दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य – सिर्फ इस आवाज को सुनने से, 1 सेकेंड से भी कम समय में शरीर की सारी बिमारियां जल कर भस्म हो जाती हैं !
मानव शरीर की बहुत सी रहस्यमय बातों और गुप्त शक्तियों का विस्तृत वर्णन किया गया है हमारे परम आदरणीय हिन्दू धर्म के ग्रंथों में !
वास्तव में हमारा शरीर आश्चर्यों का खजाना है और एक से बढ़कर एक विचित्र क्रियाएं हैं जिन्हें करने से अदभुत, चमत्कारी लाभ, सिद्धियाँ मिलती है !
इन्ही रहस्यमय क्रियाओं में से एक है अनाहत नाद साधना !
हमारे शरीर में हर समय एक दिव्य आवाज पैदा होती रहती है जिसे अनाहत नाद कहते है क्योकि ये आवाज बिना किसी आहत यानी टक्कर के पैदा होती है !
इस दिव्य आवाज को शब्द ब्रह्म कहते है मतलब ब्रम्ह (ईश्वर) का शब्द स्वरुप !
ये आवाज 14 प्रकार की होती है, जिसमे पहली ही आवाज सुनने से ही 1 सेकंड से कम समय में ही शरीर के सारे रोग जलकर नष्ट हो जाते है !
बाकी अगली 13 दिव्य आवाजें क्रमशः बारी – बारी सुनने को मिलती है जिनको सुनने से अलग – अलग किस्म की दिव्य सिद्धियाँ मिलती है और इसमे से आखिरी आवाज सुनने से तो आदमी स्वयं भगवान का स्वरुप हो जाता है ! ये दिव्य आवाजें ओम या ओंकार नहीं है, ये कुछ ऐसी दिव्य ध्वनियां हैं जिन्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है, पर बयान नहीं किया जा सकता है !
इस अनाहत नाद क्रिया का अभ्यास करना भी बहुत आसान है पर इसमें जो सबसे ज्यादा जरूरी चीज है वो है धैर्य यानी सब्र क्योकि इसमें सफलता मिलने में कुछ दिनों से लेकर कई महीने भी लग सकते है !
आपको बिना सब्र तोड़े रोज रोज (बिना नागा किये) अकेले में कम से कम 1 घंटा अभ्यास करना पड़ेगा और इसे दिन या रात किसी भी समय किया सकता है, पर जिस समय करें उसी समय रोज करें (साधना और पूजा पाठ का समय रोज रोज बदलना नहीं चाहिए) !
अगर आपका कोई गुरु ना हो तो आप इस साधना को शुरू करने से पहले अति दयालु महादेव शंकर भगवान को ही अपना गुरु मान लें, क्षमा के सागर भगवान शिव निश्चित ही आपकी रक्षा करेंगे और सफलता देंगे !
इसके अभ्यास में मात्र केवल इतना करना है की रोज अकेले में सीधे बैठ कर या (बिना तकिया लगाए हुए) सीधे लेट कर, दोनों हाथ की पहली ऊँगली (तर्जनी) से अपने दोनों कान के छेदों को बंद करके, आंखे बंद करके, एकाग्र होकर ध्यान से शरीर के अन्दर से निकलने वाली आवाज को सुनने का प्रयास करें !
शुरू में आपको अगल बगल के वातावरण की आवाज या घरघराहट की आवाज या सीटी की आवाज आदि सुनने को मिलेगी पर इन सब फ़ालतू आवाजों से अपना ध्यान हटाकर, लगातार अनाहत दिव्य ध्वनि को सुनने की कोशिश करना चाहिए !
अथक प्रयास करते रहने पर वो दिव्य ध्वनि एक ना एक दिन जरूर प्रकट होती है (ऐसा साक्षात् महादेव शिव का वचन है) और उस ध्वनि के प्रकट होने पर किसी को ये बताने की जरूरत नहीं पड़ती की यही ध्वनि ही अनाहत नाद है क्योंकि वो ध्वनि इतनी दिव्य होती है कि उसके सुनने मात्र से पूरे शरीर का कायाकल्प और नवीनीकरण तुरंत शुरू होने लगता है !
योगी राज भगवान महादेव की कृपा असीम है और वो कृपा जिस पर हो जाय उसके लिए कौन सी कठिन से कठिन क्रिया में भी सफलता पाना मुश्किल है !
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