खाने का सही तरीका (खाना खाना सीखना कोई मजाक नहीं है)
कैसे खाएँ — खाना बैठकर ही खाएं । कौर को अच्छी तरह चबाएं। मुंह में चबाए गए कौर में लार मिलती है, जो पाचन में सहायक होती है। इससे पाचन सम्बन्धी विकार नहीं होते और भोजन से संतुष्टि भी मिलती है।
क्या खाएँ — प्रतिदिन के भोजन में साबुत अनाज, मौसमी सब्जियाँ, तरकारी, दालें और फलियाँ तथा सलाद शामिल करें। समय—समय पर फल, दूध और दूध से बने पदार्थ भी लें । यदि आपको किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है, तो आहार विशेषज्ञ से अपने लिए डाइट प्लान बनवाएं।
कब और कितना खाएँ — सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता और रात का खाना, इन चार मुख्य आहार को जरूर लें। खाने के बीच लम्बा अंतराल होने या दिन में बस एक—दो बार ही खाने से उपापचय की दर कम हो जाती है, जिससे मोटापा बढ़ने लगता है।
पेट को बचाएँ — आहार में साबुत अनाज, फलियां, हरी भाजियां, फल को शामिल करें। मौसमी फल ज्यादा खाएं। जिन फलों में सम्भव हो, उन्हें छिलके के साथ ही खाएं। इससे फाइबर मिलते हैं और कब्ज दूर रहती है। आयुर्वेद में कहा गया है कि रोग की शुरुआत पेट की खराबी से होती है।
कैल्शियम लें — हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाए रखने में तो कैल्शियम की भूमिका है ही, यह सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। सो, प्रतिदिन एक गिलास दूध लें या दूध से बनी चीजें भी खा सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियाँ भी कैल्शियम का अच्छा स्रोत होती हैं।
विटामिन ‘ए’ है अहम — पपीता, टमाटर, धनिया पत्ती, पालक आदि खाएं । दरअसल, विटामिन—ए घुलनशील है जब यह आहार के जरिए, ज्यादा मात्रा में मिलता है तो इसकी अतिरिक्त मात्रा यकृत यानी लीवर में संगृहीत हो जाती है। शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन—ए, न मिलने पर लीवर में संगृहीत विटामिन काम आता है।
जरूरी है लोहा — लौह तत्व से ही बनता है हीमोग्लोबिन, जो खून का अनिवार्य घटक है। आयरन के लिए आप अपने आहार में अंकुरित अनाज, हरी भाजियाँ, सोयाबीन, चीकू आदि शामिल करें। एक महत्त्वपूर्ण बात—इन चीजों के साथ विटामिन—सी से भरपूर खाद्य पदार्थ भी लें, ताकि शरीर आयरन का पूरा इस्तेमाल कर सके।
पानी कैसे पिएं — खूब पानी पिएं, लेकिन सही तरीके से । सुबह उठकर खाली पेट 1—2 गिलास पानी पिएं। कुछ खाने के तुरन्त पहले या तुरंत बाद बहुत अधिक पानी न पिएं। खाने के एक घंटे बाद ही पानी पिएं। भोजन के समय ज्यादा पानी पी लेने से पाचन में दिक्कत आती है।
इनका भी पालन करे –
– खाना खाने से पूर्व पांच अंगों (दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भीगे हुए पैरों के साथ भोजन ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। भीगे हुए पैर शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं, इससे हमारे पाचनतंत्र की समस्त ऊर्जा भोजन को पचाने में लगती है। पैर भिगोने से शरीर की अतिरिक्त गर्माहट कम होती है, जो गैस और एसिडिटी की संभावनाओं को समाप्त कर देती है। इससे स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। इससे आयु में वृद्धि होती है।
– खाना खाते समय दिशाओं का ध्यान रखें। पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके खाना ग्रहण करना चाहिए। इस उपाय से हमारे शरीर को भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पूर्ण रूप से प्राप्त होती है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन ग्रहण करना अशुभ माना गया है। पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से रोगों की वृद्धि होती है।
– कभी भी बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए। खाने की थाली को हाथ में लेकर भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन बैठकर ग्रहण करना चाहिए।थाली को किसी बाजोट या लकड़ी की पाटे पर रखकर भोजन करना चाहिए। खाने बर्तन साफ होने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
– भोजन ग्रहण करने से पहले अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता का स्मरण करना चाहिए। देवी-देवताओं को भोजन के धन्यवाद देते हुए खाना ग्रहण करें। साथ ही, भगवान से ये प्रार्थना भी करें कि सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो जाए। कभी भी परोसे हुए भोजन की निंदा नहीं करना चाहिए। इससे अन्न का अपमान होता है।
– भोजन बनने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर भी भोजन बनाना चाहिए। खाना बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। साथ ही, इस दौरान किसी की बुराई भी ना करें। शुद्ध मन से भोजन बनाएंगे तो खाना स्वादिष्ट बनेगा और अन्न की कमी भी नहीं होगी। भोजन बनाना प्रारंभ करने से पहले इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। किसी देवी-देवता के नाम का जप भी किया जा सकता है।
– खड़े होकर या कुर्सी पर बैठकर भोजन करने से कब्ज की समस्या होती है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम खड़े होकर भोजन करते हैं तो उस समय हमारी आंते सिकुड़ जाती हैं। और भोजन ठीक से नहीं पच पाता है। इसीलिए जमीन पर सुखासन में बैठकर खाना खाने की परंपरा बनाई गई है। जमीन पर सुखासन अवस्था में बैठकर खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त कर शरीर को ऊर्जावान और स्फूर्तिवान बन सकते हैं। जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी लगभग वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं। बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। जबकि इसके विपरित खड़े होकर भोजन करने से तो मन एकाग्र नहीं रहता है। इस तरह खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों होती हैं।
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