जब गान्धर्वी नाड़ी कुण्डलिनी नागिन पर अमृत गिराती है

head-44803_640आप को कई बार आश्चर्य होता होगा कि क्यों हमारे परम आदरणीय हिन्दू धर्म शास्त्रों में हर व्यक्ति को रोज रोज नियम से ध्यान (dhyana yoga meditation) लगाने के लिए जोर दिया जाता है ?

इसके पीछे बहुत ही गूढ़ रहस्य है जिसे आजकल के वैज्ञानिकों को खोजने में अभी ना जाने कितने सौ साल और लग जायेंगे पर हमारे अनन्त वर्ष पुराने हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) के वैज्ञानिक ऋषियों मुनियों ने इसे आदि काल में ही खोज निकाला था !

असल में होता यह है कि हर आदमी के अन्दर रीढ़ के हड्डी (spinal cord) के सबसे नीचले हिस्से में, गुदा द्वार और मूत्र इन्द्रिय के ठीक बीचों बीच में कुण्डलिनी महा शक्ति (kundalini shakti) सोई रहती है !

इस कुण्डलिनी शक्ति का रूप एक नागिन (Nagin) का बताया गया है जो अपने शरीर का साढ़े तीन कुंडली चक्कर लगाकर अपने पूंछ को अपने मुंह से दबाकर हमेशा सोयी रहती है !

साधारण आदमी औरतों की पूरी जिंदगी बीत जाती है लेकिन उनकी कुण्डलिनी शक्ति कभी नहीं जागती (kundalini jagran or kundalini awakening) !

पर जब कोई आदमी औरत, प्रचंड योग साधना या भक्ति साधना (Yoga Workout) करता है और अपनी साधना में भावातिरेक होकर ध्यानस्थ हो जाता है तो शरीर में अदृश्य रूप से विद्यमान गान्धर्वी नाम की नाड़ी से अमृत चूने लगता है और ये अमृत सीधे गिरता है कुण्डलिनी शक्ति के मुंह पर, जिससे थोड़ी देर बाद, सेकंड के भी करोड़वें हिस्से में कुण्डलिनी नागिन अचानक से जाग उठती है और अपने मुंह से अपनी पूंछ छोड़ देती है !

और फिर ये महा शक्ति जिन्हें आदि शक्ति दुर्गा का रूप कहा जाता है, ऊपर उठने लगती हैं और फिर 6 चक्रों का भेदन करती हुई सहस्त्रार चक्र (जिसमे परम शिव का साक्षात् वास होता है) पहुँचती है ! और जब शिव शक्ति का मिलन होता है तो आदमी स्वयं भगवान ही हो जाता है !

इसलिए आपका जिस भी चीज में मन लगता हो (चाहे वह भगवान का कोई चित्र हो या तेजोमय प्रकाश पुंज) उसी चीज का ध्यान करिए, पर रोज 15 मिनट से आधा घंटा ध्यान जरूर करिए !

नोट- इन जानकारियों का यहाँ वर्णन, भारत माँ के अति समृद्ध योग विज्ञान का परिचय करवाने के लिए किया गया है, इसलिए इन यौगिक क्रियाओं को सिर्फ पढ़कर अभ्यास नहीं शुरू कर देना चाहिए, बल्कि किसी योग्य जानकार योगी के मार्गदर्शन में ही अभ्यास करना चाहिए अन्यथा शरीर की हानि पहुँच सकती है !

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