आश्चर्यजनक तृतीय नेत्र कब खुलता है
दोनों आँखों के बीच में जिसे भ्रूमध्य कहते हैं, वहां पर तृतीय नेत्र (third eye) सूक्ष्म रूप में मतलब अदृश्य रूप में स्थित होता है ! इस तृतीय नेत्र को साधना के माध्यम से जगाना पड़ता है !
ये साधना कई प्रकार की होती है और कहने को साधक अपनी रूची के हिसाब से कोई साधना चुनता है पर उसके पीछे दैवीय प्रेरणा होती है ! भक्ति साधना (bhakti sadhana), योग साधना (Yoga Practice), कर्म साधना (karma kriya) आदि सभी साधनों से तृतीय नेत्र जागता है !
साधना में थोड़ा सा आगे बढ़ने पर, जब आदमी आँखे बंद करता है तो उसे भ्रूमध्य में धुंधली सी सफ़ेद रोशनी दिखाई देती है जो बार बार अपना रंग बदलती है या गायब हो जाती है ! कुछ दिन बाद ये रोशनी एक गोलाई का रूप लेकर सूर्य के रूप में बदल जाती है और ये सूर्य भी बार बार अपना रंग बदलता है ! इसी सूर्य को ही हमारे हिन्दू धर्म में तृतीय नेत्र कहा गया है पर ये अभी भी पूरी तरह से जागृत अवस्था में नहीं है !
पर इस अवस्था में भी साधक को स्वप्न में या कभी कभी प्रत्यक्ष रूप से कुछ विचित्र दृश्य दिखाई दे सकते हैं जिनसे घबड़ाना नहीं चाहिए !
जब साधक अपनी साधना के पथ पर और आगे बढ़ता है तो ये सूर्य अचानक से पूरा 360 डिग्री पर घूमता है और इस दौरान एक काला सूर्य (Black sun) दिखाई देता है ! ये काला सूर्य बहुत रहस्यमय होता है और इसके बारे में हमारे धर्म ग्रन्थ ज्यादातर चुप ही रहते हैं ! हिन्दू धर्म में कहा गया है कि ” यत ब्रह्माण्डे तत पिण्डे ” जिसका मतलब यही होता है की इस ब्रह्माण्ड में जो कुछ भी है वो सब कुछ मानव शरीर के अन्दर मौजूद है !
प्राप्त जानकारी के अनुसार काला सूर्य, वास्तव में वास्तविक लाल सूर्य के बहुत तेजी से अपने अक्ष पर घूमने से पैदा होने वाले प्रबल चुम्बकीय आघूर्ण से उत्पन्न आभासी महसूस होने वाला सूर्य है ! ये काला सूर्य ही देवी काल रात्रि (devi kalratri) हैं या हिरण्यगर्भ का कोई और रूप, इसकी जानकारी सिर्फ विशिष्ट शक्ति धारक साधक ही जानते हैं !
काले सूर्य के घूर्णन के बाद शुरू होता है तृतीय नेत्र की असली शक्तियों का महसूस होना और उस शक्ति से ईश्वर को छोड़कर जो भी देखना चाहें, जिसे भी देखना चाहें, आंख बंदकर, संकल्प कर आसानी से देखा जा सकता है और सुना भी जा सकता है !
तृतीय नेत्र जागना वैसे तो साधारण आदमी के लिए बहुत बड़ी सिद्धि है पर जब साधक, भगवान् की बनायीं हुई सबसे बड़ी साधना, (kundalini shakti awakening) कुण्डलिनी जागरण (third eye opening or third eye activation) को सफलता पूर्वक पूर्ण करता है तो उसे जो महान सिद्धि मिलती है उसके आगे तृतीय नेत्र जागरण आदि की सिद्धि कहीं भी नहीं टिकती !
नोट- इन जानकारियों का यहाँ वर्णन, भारत माँ के अति समृद्ध योग विज्ञान का परिचय करवाने के लिए किया गया है, इसलिए इन यौगिक क्रियाओं को सिर्फ पढ़कर अभ्यास नहीं शुरू कर देना चाहिए, बल्कि किसी योग्य जानकार योगी के मार्गदर्शन में ही अभ्यास करना चाहिए अन्यथा शरीर की हानि पहुँच सकती है !
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