युग परिवर्तन काल की इस संधि वेला मे, ईश्वर के दिव्य अंशों का पुनरागमन होने जा रहा है
कुछ ऐसी विचित्र ब्रह्मांडीय घटनाएँ होती हैं जिन्हें सिर्फ ज्योतिष से नहीं समझा जा सकता है लेकिन ईश्वर कृपा प्राप्त संतों के माध्यम से अपेक्षाकृत आसानी से जाना जा सकता है !
जो दुर्लभ ज्ञान व जानकारियाँ ये सन्त देते हैं, वो जानकारियाँ किसी भी ग्रन्थ, पुस्तक आदि में खोजने पर भी नहीं मिलती !
जब कोई आदमी अपने प्रचण्ड पुरुषार्थ का जीवन भर निष्पादन करता है और किसी भी योग (कर्म योग, सेवा योग, भक्ति योग, तंत्र योग, हठ योग, राज योग) में सिद्धि प्राप्त कर लेता है तो उसे दुनिया का सबसे बड़ा सौभाग्य अर्थात अनन्त ब्रह्मांडो के निर्माता ईश्वर के साक्षात् दर्शन का अवसर मिलता है !
ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन का महा सौभाग्य प्राप्त करने वाले महापुरुष अन्दर ही अन्दर आनन्द स्वरुप हो जाते हैं ! इस परम सुख की अवस्था में भी उनके भौतिक शरीर में बड़े बड़े रोग लग सकते हैं (जैसे श्री रामकृष्ण परमहंस को गले का कैंसर हो गया था, श्री विवेकानंद को जलोदर हो गया था आदि), लेकिन ये सारे रोग उनके आंतरिक सुख में जरा भी विघ्न नहीं डाल पाते !
हर बड़े संत के वंशज भी महान हो, ऐसा जरूरी नहीं हैं क्योंकि इतिहास में पहले भी ऐसे उदाहरण हैं जहाँ महान व्यक्तियों को दुष्ट स्वभाव की संताने पैदा हुई तथा पापी घरों में भी महान संताने पैदा हुई !
यदि किसी दिव्य सन्त के परिवार जन (पत्नी, पुत्र आदि) सद्गुणों (जैसे – परोपकार, क्षमा, परिश्रम आदि) से युक्त हों तो उनके परिवारजन, अपने जन्मदाता, ईश्वर दर्शन प्राप्त सन्त के भौतिक शरीर छोड़ने के बाद भी, उनके प्रत्यक्ष अनुभव से बार बार अभिभूत हुए बिना नहीं रह पाते !
किसी भी ईश्वर दर्शन प्राप्त संत की सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पंचतत्वों से बनी शरीर की ही मृत्यु हो सकती है, लेकिन उनके पंचतत्वों से बनी शरीर की मृत्यु के बाद, ईश्वर खुद उन्हें अपने ही समान महा तेजस्वी शरीर प्रदान कर उन्हें अपने परम आनन्द से भरे, अति दुर्लभ निज धाम में अनन्त काल के लिए निवास प्रदान करते है !
पर जब किसी बेहद गुप्त और दुर्लभ ब्रह्माण्डीय घटना का आगाज होने वाला होता है, तो इन्ही दिव्य सत्ता को, परम सत्ता खुद बुलाकर, बोध कराती है कि तुम्हे अपने परिवार वालों को छोड़ कर जल्दी इसलिए यहां बुलाना पड़ा क्योंकि जो महान काम तुम्हे अपने वंशजो से पृथ्वी लोक पर करवाना है वो काम तुम अपने पंचतत्वों से बनी अल्प सामर्थ्य वाली शरीर से नहीं करवा पाते, पर अब तुम दिव्य देहधारी हो चुके हो, अतः जाओ और पृथ्वी पर रहने वाले अपने वंशजों, को उनके अतीत का स्मरण दिलाकर, उन्हें कठिन स्तर तक तैयार करो जिससे वो निकट भविष्य में होने वाले महा परिवर्तन के दौर में अपनी तकलीफों से भरी भूमिकाओं को सफलता पूर्वक निभा सकें !
स्वयं ईश्वर से ऐसा आदेश मिलने पर वे दिव्य सत्ता, ईश्वर का धाम छोड़कर खुद पृथ्वी लोक पर स्थित अपने वंशजों के पास प्रत्यक्ष रूप से गुरु बनकर आ जाती हैं जिससे वे अपने वंशजों को भविष्य में मिलने वाली कष्टों से भरी विश्व निर्माण की बेहद कठिन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लायक बना सकें जिसके लिए स्वयं ईश्वर ने उन वंशजों, उनके जन्म दाता दिव्य सत्ता तथा कई अन्य जुझारू व्यक्तित्वों को बहुत पहले से ही चुन कर रखा है !
वैसे आगे आने वाला समय, बहुत से लोगों के लिए अत्यंत कठिन गुजरने वाले हैं !
क्या राजा क्या रंक, अधिकाँश झेलेंगे !
निजी जिंदगी की कठिन समस्याओं के अलावा भीषण प्राकृतिक आपदाओं के भी आसार हैं !
प्रकृति, श्री दुर्गा का ही रूप हैं और इनके क्रोधित होने पर गजब का ताण्डव मच सकता है !
भगवान गणेश अर्थात शुभता की जब गर्दन कट गयी थी तब प्रकृति अर्थात माँ पार्वती ने जो हाहाकार पूरे ब्रह्माण्ड में मचाया था कि स्वयं भगवान् शिव को उन्हें शान्त करने के लिए उनके चरणों के नीचे आना पड़ा था ! ठीक यही काम आज के समय में भी हो रहा है ! हर शुभ काम का नाश हो रहा है और अशुभता (अपराध, मांसाहार, नशा, बुजुर्गों की अवेहलना, धोखा, प्रताड़ना आदि) हर जगह अन्दर तक पैर पसार चुकी है, तो ऐसे में अगर प्रकृति ने प्रचण्ड रूप धर लिया तो शिव ही मालिक हैं !
ये जो महा परिवर्तन का समय निकट आ रहा है उसमे भीषण घटनाएं आम हो जायेंगी !
असल में आज अधिकांश लोग पाप के रास्ते पर इतना आगे इसलिए बढ़ पाए हैं क्योंकि उनके द्वारा किये गए गलत कामों का दंड उन्हें तुरन्त नहीं मिला, जिसकी वजह से उनके मन में गलत काम करने का डर ख़त्म हो गया पर इन दिव्य सत्ता की कृपा से प्राप्त जानकारी के अनुसार जल्द ही आने वाले समय में यह सुविधा ख़त्म होने वाली है और आदमी चाहे कितनी भी पावरफुल पोस्ट पर बैठा हो, अगर वो गलत काम करेगा तो जल्द ही ऐसा झेलेगा की रोएगा !
इसी वजह से आने वाले समय में, पूरे विश्व में ऐसे करप्ट- लीडर, बिजनेस मैन, अधिकारी जो आज बहुत सशक्त माने जा रहे हैं, मटिया मेट हो जायेंगे क्योंकि अब न्याय करने का काम, ईश्वर इंसानों के हाथों से वापस लेकर खुद ही करने जा रहें है जिसके लिए ईश्वर के विशिष्ट अंशों का भी पृथ्वी पर जन्म लेने की सम्भावना है !
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