बस एक बार श्री सिद्धिदात्री का कृपा कटाक्ष, और तत्क्षण सर्व मनोरथ सिद्धि
इनकी आराधना से भक्त को 8 महा सिद्धियाँ – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व और 9 निधियों की प्राप्ति होती है !
नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं ! सिद्धिदात्री माँ के कृपा पात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे !
माँ भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है।
माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है।
इन देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए।
मधु कैटभ को मारने के लिए माता सिद्धिदात्री ने माया दिखाई, जिससे देवी के अलग-अलग रुपों ने राक्षसों का वध किया। मां सिद्धिदात्री को ही जगत को संचालित करने वाली देवी कहा गया है।
देवता गण, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त हैं ! देवी जी की भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना स्नेह लुटाती हैं !
हे माँ ! सर्वत्र विराजमान, माँ सिद्धिदात्री आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।
हे माँ, मुझ नीच को भी अपनी महान कृपा का पात्र बनाओ !
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