कल्पना से भी परे फायदे, गाय माता के अमृत स्वरुप दूध के
भारतीय देशी गाय माता का दूध को पूर्ण भोजन माना गया है | व्यक्ति कई दिन तक केवल गाय माता का दूध पीकर एकदम स्वस्थ और ताकतवर बना रह सकता है और उसके शरीर में किसी आवश्यक तत्व की कमीं भी नहीं पड़ेगी !
गाय माता का दूध बेहद पौष्टिक और सेहतवर्धक होता है। मानव की बुद्धि के विकास में गाय माता के दूध का बेहद अहम रोल होता है। हाल ही में हुए शोध में यह बात सामने आई है कि भारतीय देशी गाय माता के दूध में मिलने वाले प्रोट्रीन से हृदय घात, डायबिटीज और मानसिक रोग को ठीक करने में अत्यन्त कारगर होता है। बीमार लोगों के लिए गाय माता का दूध श्रेष्ठ खुराक है।
भारतीय देशी गाय माता का दूध शरीर में जाते ही बहुत जल्द वीर्य पैदा करता है ! वीर्य वृद्धि के लिए गाय माता का दूध बहुत ही जबरदस्त औषधि है ! यह यौनांग सम्बन्धी सभी समस्याओं को दूर करने की बहुत अच्छी दवाई है ! देशी गाय माता के दूध नियम से पीने से शुक्राणुओं में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है और लिंग में कड़ापन और वीर्य निकलने का समय भी बढ़ता है जिससे दाम्पत्य जीवन बहुत सुख मय हो जाता है !
इसलिए हर गृहस्थ आदमी को गाय माता का दूध जरूर पीना चाहिए क्योंकि ये दूध इतना हल्का होता है की इसे कोई भी कमजोर आदमी पचा सकता है ! गाय माता के दूध के आश्चर्य जनक लाभ देखकर कई गृहस्थों ने घर में ही गाय माता को पालना शुरू कर दिया जिससे गाय माता के दूध, मूत्र जैसी महा औषधि के साथ साथ गाय माता की सेवा का महा पुण्य भी प्राप्त करने लगे !
कोलोन कैंसर यानी पेट के कैंसर को शुरूआती दौर में रोकने के लिए गाय माता का दूध बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह कैंसर की कोशिकाओं से होने वाले खतरे को कम कर देता है। टयूमर को बढ़ाने वाले बेसलिन के प्रभाव को कम करने में दूध के पौष्टिक तत्व काफी अहम होते हैं। नई रिर्सच में इस बात का पता चला है। कि ए1 जीन गाय माता में पाया जाता है।
यह जीन दिमाग के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। भारतीय देशी गाय माता के दूध का रंग थोड़ा पीला होता है इसकी वजह है सन ग्लैंडस है। यह शरीर को मजबूत करता है। और आंतों की बीमारी में लाभ देता है।
दूध को उबालकर उससे मलाई निकाली जाती है। मलाई गरिष्ठ, शीतल (ठण्डा), बलवर्धक, तृप्तिकारक, पुष्टिकारक, कफकारक और धातुवर्धक है। यह पित, वायु, रक्तपित एवं रक्तदोष को खत्म करती है। गुड़ डाला हुआ दूध मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) को खत्म करता है |
सुबह का दूध विशेषकर शाम के दूध की तुलना में भारी व ठण्डा होता है। रात में पिया हुआ दूध बुद्धिवर्द्धक, टी.बी.नाशक, बूढ़ों के लिए वीर्यप्रद आदि दोषों को खत्म करने वाला होता है। खाने के बाद होने वाली जलन को शान्त करने के लिए रात में दूध पीना चाहिए।
दूध ज्यादा जलन वालों, कमजोर शरीर वालों, बच्चों, जवानों और बूढ़ों सभी के लिए अत्यन्त लाभकारी है। कुल मिलाकर भारतीय देशी गाय माता का दूध साक्षात् अमृत के समान हैं। गाय माता के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेक बीमारियों से दूर रखता है। आइये जानते हैं गाय माता के दूध सम्बन्धी सकड़ों फायदे –
– गाय माता का दूध पीने से शक्ति का संचार होता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। गाय माता के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है।
– स्त्री प्रसंग (संभोग) करने के बाद एक गिलास दूध में 5 बादाम पीसकर मिलाएं और इसमें 1 चम्मच देशी घी डालें और पी जाएं। इस प्रयोग से बल मिलता है। नामर्दी दूर करने के लिए सर्दियों के मौसम में दूध में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर डालकर पीना चाहिए।
– गाय माता का दूध फैटरहित, परंतु शक्तिशाली होता है। उसे पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग आदि में लाभ करता है।
– गाय माता का दूध पाचक होता है, जो शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाता है।
– गाय माता का दूध मीठा होता है, जो गैस के रोगों को दूर करता है।
– दूध रक्त बढ़ाता है, जो शरीर को स्फूर्ति वाला बनाता है।
– दूध पित्त को संतुलित करता है, जो शरीर को ओजपूर्ण बनाता है।
– गाय माता के दूध में कैल्शियम 200 प्रतिशत, फॉस्फोरस 150 प्रतिशत, लौह 20 प्रतिशत, गंधक 50 प्रतिशत, पोटैशियम 50 प्रतिशत, सोडियम 10 प्रतिशत पाए जाते हैं।
– गाय माता के दूध में विटामिन C 2 प्रतिशत, विटामिन A (आईक्यू) 174 और विटामिन D 5 होता है।
– मेलबर्न में एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि गाय माता के दूध को आसानी से एक ऐसी क्रीम में बदला जा सकता है जो मानव को एचआईवी से बचा सकता है । मेलबर्न विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक मारिट क्रामस्की ने पाया कि जब गर्भवती गायों को एचआईवी प्रोटीन का इंजेक्शन दिया गया तो उसने उच्च स्तर की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला दूध दिया जो नवजात बछड़े को बीमारी से बचाता है। इस गाय द्वारा बछड़े को जन्म दिये जाने के बाद पहली बार दिये गये दूध को कोलोस्ट्रम कहा गया । हेराल्ड सन की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं की योजना इस दूध को क्रीम में बदलने से पहले उसके प्रभाव और सुरक्षा का परीक्षण करना है । यह क्रीम महिलाओं को पुरूषों पर विश्वास किये बिना यौन संबंध बनाने के दौरान विषाणुओं से बचा सकती है।
– बच्चे बड़े होने पर कमजोर हो या उन्हें सूखा रोग (रिकेटस) हो तो उन्हें दूध में बादाम मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
– आधा किलो दूध में 250 ग्राम गाजर को कद्दूकस से छोटे-छोटे पीस करके उबालकर सेवन करने से दूध जल्दी हजम हो जाता है। दस्त साफ आता है व दूध में लोहे की मात्रा अधिक हो जाती है।
– जिन्हें अम्लपित्त (पेट से कंठों तक जलन) हो, उन्हें दिन में 3 बार ठण्डा दूध पीने से लाभ होता है। गाय के दूध का प्रयोग करना चाहिए। भैंस के दूध का सेवन हानिकारक होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आधा गिलास कच्चा दूध, आधा गिलास पानी, 2 पिसी हुई छोटी इलायची मिलाकर सुबह पीने से अम्लपित्त में लाभ होता है।
– थकावट दूर करने के लिए 1 गिलास गर्म दूध सेवन करना चाहिए।
– 1 चम्मच कच्चे दूध में थोड़ा-सा केसर मिलाकर होंठों पर मालिश करने से होंठों का कालापन दूर होकर रौनक बढ़ती है।
– चेहरे पर से झांई, मुंहासे और दाग-धब्बे हटाने के लिए रात को सोने से पहले गर्म दूध चेहरे पर मलें, फिर आधे घंटे के बाद साफ पानी से धोयें इससे चेहरे की सुन्दरता बढे़गी, दूध की झाग चेहरे पर मलने से दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं। चेहरे पर झांई, कील, मुंहासे, दाग, धब्बे दूर करने के लिए सोने से पहले गर्म दूध चेहरे पर मले, चेहरा धोएं। आधा घंटे बाद साफ पानी से चेहरा धोएं। इससे चेहरे का सौन्दर्य बढ़ेगा। चेहरे के धब्बों पर ताजे दूध के झाग मिलने से धब्बे मिट जाते हैं। सोते समय चेहरे पर दूध की मलाई लगाने से भी कील-मुहांसे तथा दाग-धब्बों पर ताजे दूध के झाग मलने से धब्बे मिट जाते हैं।
– दूध में पानी मिलाकर रूई के फाहे से ‘शरीर पर रगड़ने के थोड़ी देर बाद स्नान करने से खुजली मिट जाती है।
– सूर्योदय (सुबह सूरज उगने से पहले) से पहले गर्म दूध के साथ जलेबी या रबड़ी खाने से आधाशीशी (आधे सिर के दर्द) का दर्द दूर हो जाता है। सूरज के उगने से पहले दूध के साथ गर्म-गर्म जलेबी खाने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द दूर हो जाता है।
– आंखों में चोट लगी हो, जलन हो रही हो, मिर्च-मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर गया हो या दर्द होता हो, तो रूई के फाहे को दूध में भिगोकर आंखों पर रखने से आराम मिलता है। दूध की 2 बूंदे दूध आंखों में भी डालने से भी लाभ होता है।
– आंखों के अन्दर तिनका या कोई चीज गिर जाए और वह निकल न रहा हो तो आंख में दूध की 3 बूंदे डालें। दूध की चिकनाहट से अवांछित चीज आंख से बाहर निकल जाएगी।
– दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें, इसमें चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने से सांस की नली के रोग जैसे खांसी, जुकाम, दमा, फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग दूर होते हैं।
– सुबह नाश्ते में 1 केला, 10 ग्राम देशी घी के साथ खाकर ऊपर से दूध पी लें। दोपहर के बाद 2 केले, लगभग 30 ग्राम खजूर, 1 चम्मच देशी घी खाकर ऊपर से दूध पीयें। ऐसा रोजाना करने से ‘शरीर में वीर्य की मात्रा बढ़ जाती है।
– मूत्राशय के रोग में दूध में गुड़ मिलाकर पीने से लाभ होता है।
– बच्चों को दूध पिलाने के बाद थोड़ा-सा पानी पिलायें। बच्चे को कोई भी चीज खाने-पीने के बाद थोड़ा-सा पानी पिलाएं और कुल्ले करायें। इससे बच्चों के दांत नहीं गलते हैं।
– छोटे बच्चों को दस्त हो तो गर्म दूध में चुटकी भर पिसी हुई दालचीनी डालकर पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। बड़ों को इसे दोगुनी मात्रा में पिलाना चाहिए।
– सुबह के समय दूध पीना बहुत ही लाभकारी होता है। दूध का पाचन सूर्य की गर्मी से होता है। साधारणतया दूध सोने से तीन घंटे पहले पीना चाहिए। रात को ज्यादा गर्म दूध पीने से स्वप्नदोष होने की संभावना रहती है।
– ताजा गर्म दूध पीना अच्छा रहता है। यदि यह सम्भव न हो तो दूध गर्म करके पीयें। गर्म उतना ही करें जितना गर्म पिया जा सकता है। दूध को ज्यादा उबालने से दूध के प्राकृतिक गुण समाप्त हो जाते हैं। दूध को बहुत उलट-पुलट कर झाग पैदा करके धीरे-धीरे पीने से दूध पीने में मजा आता है।
– चीनी में मिला दूध कफकारक होता है। अक्सर दूध में चीनी मिलाकर मीठा करके पीते हैं। चीनी मिलाने से दूध में जो कैल्शियम होता है वह खत्म हो जाता है। इसलिए दूध में चीनी मिलाना उचित नहीं होता है। दूध में प्राकृतिक मिठास होती है। फीके दूध को पीने से थोड़े ही समय में उसके प्राकृतिक मिठास का आभास होने लगता है और उसमें बाहर की कोई चीज डालकर मीठा करने की जरूरत नहीं होती है। जहां तक हो सके दूध में चीनी न मिलाएं अगर मिठास की जरूरत हो तो शहद, मीठे फलों का रस, मुनक्का को भिगोकर इसका पानी, गन्ने का रस या ग्लूकोज मिलायें। बूरा या मिश्री मिला हुआ दूध वीर्यवर्द्धक और त्रिदोषनाशक होता है।
– किसी-किसी बच्चे या व्यक्ति को दूध हजम नहीं होता या उन्हें दूध अच्छा नहीं लगता। इसके लिए दूध उबालते समय उसमें 1 पीपल डालकर दूध उबालकर पीयें। इससे पेट में गैस नहीं बनती। दूध में शहद मिलाकर पीने से भी पेट में गैस नहीं बनती है। दूध जल्दी पच जाता है।
– ताजा दूध निकालकर छानकर बिना गर्म किये ही उसमें मिश्री या शहद और भिगोई हुई किशमिश का पानी मिलाकर लगातार 40 दिन पीने से पुरुष का वीर्य बढ़ता है तथा आंखों की रोशनी भी तेज होती है। यह दूध खांसी, स्नायु की दुर्बलता, बच्चों का सूखा रोग, क्षय रोग (टी.बी), हिस्टीरिया, दिल की धड़कन आदि रोगों में भी बहुत उपयोगी है। छोटे-छोटे कमजोर बच्चों को यह दूध पीने से लाभ मिलता है।
– 3 महीनों तक रोजाना रात को सोते समय दूध पीने से यौन या संभोग करने की दृष्टि से औरतों-आदमियों की संभोग करने की इच्छा और कामशक्ति के साथ-साथ संभोग करने का समय भी बढ़ जाता है। दूध में शहद मिलाकर पीने से पुरुष का वीर्य भी बढ़ जाता है।
– गर्मी के मौसम में ज्यादा गर्म चीजें खाने से अगर पेशाब में जलन हो तो कच्चे दूध में पानी मिलाकर, लस्सी बनाकर पीने से लाभ मिलता है। 250 ग्राम दूध और 250 ग्राम पानी में चीनी मिलाकर पीने से पेशाब की जलन में लाभ होता है।
– कोई भी रोग हो, दिन में कम से कम 15 से 20 बार थोड़ा-थोड़ा दूध पीने से सारे रोगों में लाभ होता है।
– गाय के दूध में घी, सोंठ व मुनक्का डालकर उबालकर पीने से जीर्ण बुखार ठीक हो जाता है। गाय के दूध को गर्म करके उसमें मिश्री व कालीमिर्च का चूर्ण डालकर पीने से जुकाम दूर होता । दूध के मावे में चीनी मिलाकर सेवन करने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) दूर हो जाता है। गाय के दूध में 5 गुना पानी मिलाकर पानी जलने तक उबालकर ठण्डा करके पीने से रक्तपित दूर होता है। गाय का दूध और पानी बराबर मात्रा में लेकर उबाल लें। उबलने पर जब केवल दूध शेष रह जाए तब इस दूध को पीने से पेचिश की शिकायत दूर हो जाती है। गाय का ताजा दूध और घी इकट्ठा कर उसमें मिश्री मिलाकर बच्चों को पिलाने से चेचक के बुखार में लाभ होता है। गाय के दूध में सोंठ को घिसकर सिर पर लेप करने से 7-8 घंटों में भयंकर सिर दर्द भी दूर होता है।गाय के दूध में रूई को भिगोकर उस पर फिटकरी का चूर्ण आंखों पर बांधने से दुखती हुई आंखें ठीक होती हैं।
– दूध के साथ अनन्नास, जामुन, मूली, धनिया, लहसुन, उड़द की दाल, मट्ठा, दही, इमली, आम की खटाई (अमचूर) आदि सेवन करना हानिकारक होता है।
– उबाले हुए हल्के गर्म दूध में 25-25 ग्राम गाय के पेशाब और शक्कर को मिलाकर सेवन करने से अण्डकोष में उतरी आंत्र अपने आप ऊपर चली जाती है।
– 1 गिलास मीठे गर्म दूध में 25 ग्राम एरण्ड का तेल मिलाकर पीने से अण्डकोष वृद्धि ठीक होती है।
– पतले दूध में पीपल डालकर पीना चाहिए। इससे श्वास या दमा रोग ठीक हो जाता है। रोगी को केवल गर्म पानी अथवा गर्म दूध पिलाने से कफ पतला होकर दमे के रोग में आराम मिलता है। दमे का दौरा पड़ने पर हल्के गर्म पानी में रोगी के दोनों पैरों को रख देते हैं। इससे बहुत लाभ मिलता है तथा इससे बढ़ी हुई सांस तुरन्त सामान्य हो जाती है।
– दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें। इसके बाद इसमें शक्कर डालकर रोजाना सुबह-शाम पीयें। इससे खांसी तथा फेफड़ों की कमजोरी दूर हो जाती है। इस प्रयोग को कुछ महीनों तक करना चाहिए।
– दूध या मुनक्का के रस में अमलतास मिलाकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
– 6 ग्राम से 10 ग्राम पंचतिक्त घृत को ठण्डे दूध में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से आंखों का नासूर ठीक हो जाता है।
– 250 ग्राम दूध, 125 ग्राम पानी, एक गांठ हल्दी का चूर्ण और जरूरत के अनुसार गुड़ लेकर सभी को एक बर्तन में डालकर उबालने के लिए रख दें और जब उबलते-उबलते केवल दूध ही बाकी रह जाये, तो इसे उतार लेते हैं फिर इसे छानकर खांसी के रोगी को गुनगुना सा पिला देते हैं। इससे खांसी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
– 100 ग्राम जलेबी को 400 ग्राम दूध में मिलाकर खाने से सूखी खांसी में लाभ मिलता है। दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करके इसमे चीनी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खांसी ठीक हो जाती है।
– कमल पुंकेसर, मुनक्का, काकोलीमूल, यष्टिमधु एवं विदारीकन्द, दूध में उबालकर उसका नेत्र बिन्दु तैयार कर लें। इसकी 2 से 4 बूंदे रोजाना आंखों में डालने से आंखों का फूला कट जाता है।
– बच्चे के दांत निकलते समय अतिसार (दस्त) होने पर टोण्ड मिल्क पिलाएं। ध्यान रहे-बच्चे के दांत निकलते समय भैंस का दूध न दें। बच्चे के दांत निकलते समय गर्म दूध बच्चों को पिलायें। इससे पेट का दर्द व कब्ज दूर होता है।
– रोजाना सुबह 250 ग्राम गर्म दूध में 20 ग्राम देशी घी मिलाकर पीयें या मक्खन में 25 ग्राम मिश्री मिलाकर खाएं या 250 ग्राम दूध में 4 छुहारे डालकर और उस दूध को उबालकर छुहारे खाकर दूध को पी लें। इससें दिमाग की कमजोरी से होने वाले सिर का दर्द ठीक हो जाता है और रतौंधी (रात में न दिखाई देना) के रोग में लाभ होता है।
– अल्सर के रोग में रोगी को बार-बार दूध पीना चाहिए, भोजन नहीं करना चाहिए। अनार का रस एवं आंवले का मुरब्बा खाएं। एक बार ही उबले दूध को 2-2 घंटे के अन्तर के बाद देना चाहिए। पर ध्यान रहे कि खून की उल्टी में दूध का सेवन न करें।
– 250 ग्राम गाय माता का दूध, 250 ग्राम पानी और 5 साबुत कालीमिर्च लेकर पानी में डालकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाये, तब उसे उतारकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से वायुगोला (पेट की गैस) का दर्द मिट जाता है।गर्म दूध के साथ ईसबगोल की भूसी या गुलकन्द लेने से शौच खुलकर आती है। बवासीर रोग से ग्रस्त रोगियों को भी इसका सेवन कराना चाहिए।
– गाय माता का ताजा दूध पैरों के तलवों पर रगड़ने से बवासीर में राहत मिलती है। दूध और का घी का सेवन करने से कब्ज समाप्त हो जाती है। दूध में घी या मुनक्का डालकर सेवन करने से कब्ज नहीं होती है। 2 चम्मच गुलकन्द को गर्म दूध में डालकर सोने से पहले पीने से सुबह ‘शौच खुलकर आती है। 250 ग्राम दूध में 4 चम्मच ईसबगोल की भूसी डालकर पीने से मल ढीला होकर बाहर निकल जाता है। 20 ग्राम ईसबगोल को दूध के साथ रात में सोने से पहले सेवन करने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
– दूध में 5 अदद पीपल को डालकर उसमें थोड़ी सा गुण मिलाकर पीने से गैस में राहत मिलेगी।
– 100 ग्राम दूध को 300 ग्राम पानी में मिलाकर नागरमोथा डालकर उबालें जब पानी जल जाये तब इसका सेवन करने से आमातिसार (ऑवदस्त) में लाभ होता है।
– गर्म दूध को घूंट-घूंट कर पीने से हिचकी बंद हो जाती है। हल्के गुनगुने गाय माता के दूध को पीने से हिचकी में लाभ होता है।
– हकलापन खत्म करने के लिये 10 ग्राम दूध में 250 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रख लें। 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में 2 बार मक्खन के साथ मिलाकर खायें। इससे हकलापन दूर होता है।
– गाय माता के ताजे दूध में नींबू का रस निचोड़कर पीयें। इस प्रकार 5 से 6 दिन तक पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।
– 125 ग्राम गाय माता के दूध में 250 ग्राम पानी मिलाकर पिलाने से प्रसव जल्दी हो जाता है।
– कमजोरी के कारण प्यास अधिक लगने पर दूध पीने से तेज प्यास शान्त हो जाती है। ताजा दूध 100 से 500 मिलीलीटर पाचन क्षमता के अनुसार पीने से तेज प्यास दूर होती है।
– दूध को पीने से पक्वाशय में लाभ होता है।
– दूध में रोटी भिगोकर खाने से दुबले लोगों का वजन बढ़ता है।
– दूध में 1 मुनक्का बीज निकला हुआ पीसकर सोते समय रोगी को देने से उसका पेशाब निकलना बंद हो जाता है।
– दूध से बना मेवा या खोवा सोते समय 50 ग्राम की मात्रा में खाने पर नींद अच्छी आती है।1 चम्मच घी और चीनी 1 गिलास दूध में मिलाकर सोते समय पीने से नींद जल्दी आ जाती है।
– दूध का प्रयोग सुबह नाश्ते में करने से मानसिक अवसाद (दिमागी परेशानी) ठीक हो जाती है। दूध, हरी सब्जियां, सलाद और अंकुरित अनाज को रात के भोजन में लेने से मानसिक अवसाद (दिमागी परेशानी) दूर हो जाती है।
– दूध में पंचमूल की औषधियों को पकाकर पीने से वात के कारण होने वाले दर्द में राहत मिलती है। गाय के पेशाब के साथ साफ और शुद्ध एरण्ड के तेल को पीने से दस्त आकर पेट साफ हो जाता है और रोगी को पेट के दर्द से छुटकारा दिलाता है।
– 3 से 6 ग्राम महातिक्त घृत (घी) को दूध में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से सब प्रकार के त्वचा के रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
– दूध में 50 ग्राम ब्राह्मी रस को मिलाकर दिन में 3 बार लेने से दिमागी रोग दूर हो जाते हैं और याददश्त मजबूत हो जाती है।
– दही या दूध के साथ 10 ग्राम केंवाच के बीजों को 14 दिन तक खाने से घुटनों में पैदा दर्द दूर होता है। दूध या बताशे में 10 से 15 बूंद अफसन्तीन का तेल मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द दूर होता |
– सर्दी के मौसम में अक्सर चेहरा सूखकर उसकी चमक खत्म हो जाती है तो वह चमक दोबारा लाने के लिए कच्चे दूध में नींबू का रस मिला लें और इसे रूई से हल्का-हल्का चेहरे पर लगायें और थोड़ी देर के बाद साफ पानी से चेहरे को धो लें।
– 1 गिलास गर्म दूध में स्वादानुसार मिश्री या शहद, 10 भीगी हुई किशमिश उसी भिगोये हुए पानी में पीसकर मिलाकर रोजाना 40 दिन पीने से दिल की धड़कन सामान्य होती है और शरीर में शक्ति आयेगी।
– दूध, बादाम, पिस्ता, काजू, अखरोट, सेब, पपीता, अंजीर आदि उच्च रक्तचाप में लाभकारी है।
– दूध के अन्दर पानी मिलाकर रूई के फाये से ‘शरीर पर मल लें और थोड़ी देर के बाद नहा लें इससे खुजली दूर हो जाती है।
– हृदय (दिल) के रोगी को गाय का दूध व घी फायदेमन्द हैं भोजन में इसका प्रयोग रोजाना करें।
– गाय का पेशाब, गोबर और दूध को गर्म करके लगाने से विसर्प रोग में आराम आता है।
– ताजे दूध में मिश्री या शहद तथा भिगोई हुई 10 किशमिश डालकर रोजाना सुबह 40 दिनों तक पीने से हिस्टीरिया में लाभ मिलता है।
– रोजाना दूध, दही और घी का उचित मात्रा में सेवन करने से रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) सामान्य हो जाता है।
– 250 ग्राम देशी गाय माता के दूध में 2 ग्राम सोंठ मिलाकर सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है। भोजन में केवल दूध-रोटी खायें। क्रीम निकाला हुआ दूध पीलिया रोग में लाभकारी है।
– 250 ग्राम गाय के दूध के साथ दो लाल रंग की घुंघची के चूर्ण को कुछ दिनों तक लगातार रोगी को खिलाने से बलगम के कारण होने वाला पागलपन ठीक हो जाता है।
– थोड़े से दूध में थोड़ी सी गुलाब की पंखुड़ियों को डालकर रख दें। थोड़ी देर के बाद पंखुड़ियों को पीसकर निकाल लें। दूध का रंग हल्का गुलाबी हो जाएगा। इसमें बादाम को पीसकर मिलाकर गाढ़ा सा लेप बना लें और फ्रिज में रख दें। थोड़ी देर के बाद फ्रिज में से निकालकर होठों पर लगा लें और कुछ देर बाद गीली रूई से साफ कर दें। इसको रोजाना होठों पर लगाने से होठ बिल्कुल मुलायम और लाल रहते हैं।
– 10 ग्राम गाय के दूध से बने घी एवं 40 ग्राम दूध को 4 भाग (10-10 ग्राम की मात्रा) में लेकर कम तेज आग पर पका लें। इस चारों भाग में 3 से 6 ग्राम की मात्रा में असगंध नागौरी का चूर्ण मिला लें। यह मिश्रण रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कम्पन के रोगी का रोग जल्द ठीक हो जाता है।
– अंगूठे के पर्व (नाखून) के बराबर ब्रजवल्ली को लेकर दूध के साथ खाने से सिर्फ कुछ दिन में ही हर तरह का कोढ़ समाप्त हो जाता है।
– 20 से 25 ग्राम आम का रस खाना खाने से पहले एक गिलास गाय के दूध में मिलाकर पीने से खून के रोगियों के लिये लाभकारी होता है।
– सर्दियों में खुश्की से होठ फट जायें तो उन पर आधा चम्मच दूध की मलाई में चुटकी भर हल्दी का बारीक चूर्ण मिलाकर धीरे-धीरे मलने से या लगाने से होंठ चिकने और मुलायम हो जाते हैं।
– दूध की मलाई को त्वचा पर मालिश करने से त्वचा कोमल और मुलायम हो जाती है। धूप की जलन से बचने के लिए दूध की मलाई और गुलाबजल को मिलाकर चेहरे पर मलें। दूध की मलाई और ‘शहद को मिलाकर चेहरे पर लेप करने से भी लाभ होता है।
– बादाम को मिलाकर तैयार किये गये दूध को सुबह खाली पेट पीने से और उसके 2 घंटे बाद तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इस दूध को पीने से आधे सिर का दर्द भी दूर हो जाता है।
– मिट्टी के ढेले को आग में गर्म करके और फिर उसे दूध में ठण्डा करके, उससे बच्चों की नाभि पर हल्की-हल्की सिकाई करने से नाभि की सूजन समाप्त हो जाती है |
[नोट – यहाँ पर दिए गए सारे फायदे सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय माता से प्राप्त होने वाले सभी अमृत तुल्य वस्तुओं (जैसे- गोबर, मूत्र, दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि) के हैं, ना कि भैंस के या वैज्ञानिकों द्वारा सूअर के जीन्स से तैयार जर्सी गाय से प्राप्त होने वाली वस्तुओं के]
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