औषधीय घी, जो मालिश करने पर करे कठिन बुखार, पीलिया और बवासीर का नाश
प्राचीन तपस्वी और वैद्याचार्य श्री शांर्ग्धर ने इस आयुर्वेदिक नुस्खे का निरूपण किया था !
इसके निर्माण के लिए बहुत कम औषधियों की आवश्यकता होती है।
इसे बनाने के लिए नीम की छाल, अरूसा, गिलोय (गुर्च), कटेरी और परवल के पत्ते सब मिलित 4 छटाक लेकर कल्क बनाईये |
फिर घृत 1 सेर, उपर्युक्त पाचों औषधियाँ का काढ़ा 4 सेर, पाकार्थ जल 4 सेर, विधि से सिद्ध घृत मालिश करने से सब प्रकार के विषम ज्वर, पांडुरोग, विसर्प, कृमि रोग और बवासीर को नष्ट करता है |
[नोट – यहाँ पर दिए गए सारे फायदे सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय माता से प्राप्त होने वाले सभी अमृत तुल्य वस्तुओं (जैसे- गोबर, मूत्र, दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि) के हैं, ना कि भैंस के या वैज्ञानिकों द्वारा सूअर के जीन्स से तैयार जर्सी गाय से प्राप्त होने वाली वस्तुओं के]
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