अनायास कृपा बरसने का समय आ गया
जगदम्बा वैसे ही माँ होने के नाते जल्दी पिघल जाती है और ऊपर से नवरात्रि !! नवरात्रि में तो अनायास ही उनकी कृपा बरसती है बस जरुरत है लूटने वाली की ! !
धार्मिक दृष्टि से हम सभी जानते हैं कि नवरात्रि देवी साधना की परम शुभ घड़ी है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों के दौरान, शक्ति – देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है।
दस महाविद्याओं की उपासना का पर्व है ‘गुप्त नवरात्र’। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 17 जुलाई से 25 जुलाई 2015 तक रहेगी। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है। इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं। गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय है। साधक इन दोनों गुप्त नवरात्रि में विशेष साधना करते हैं तथा चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि में दाढ़ी, नाखून व बाल काटना पूरे नौ दिन बंद रखें, छौंक या बघार नहीं लगाएं और लहसुन – प्याज का भोजन ना बनाएं।
आदिशक्ति जगदंबा की परम कृपा प्राप्त करने हेतु नवरात्रि में दुर्गा पूजन का बड़ा ही महत्व है। इस कल्याणप्रद, शुभ वेला श्रद्धालु भक्तजनों को मनोवांछित फल देकर नौ दिनों तक लगातार चलने वाले व्रत व पूजन का फल देती है। मां दुर्गा की आराधना से व्यक्ति एक सद्गृहस्थ जीवन के अनेक शुभ लक्षणों- धन, ऐश्वर्य, पत्नी, पुत्र, पौत्र व स्वास्थ्य से युक्त हो जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को भी सहज ही प्राप्त कर लेता है।
इतना ही नहीं बीमारी, महामारी, बाढ़, सूखा, प्राकृतिक उपद्रव व शत्रु से घिरे हुए किसी राज्य, देश व संपूर्ण विश्व के लिए भी मां भगवती की आराधना परम कल्याणकारी है।
नौ देवियाँ है – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
कल से शुरू होने वाले नवरात्रि में जो भी व्यक्ति पूजा करें उसमे दिखावट और आडम्बर के बजाय नम्रता, भक्ति और प्रेम का ही सिर्फ भाव रहे। आप जो भी पूजा कर्म कांड करें उसमे कोई गलती न होने पाये इस बात का विशेष ध्यान रखें क्योकि कई बार ऐसा देखा गया है की कई लोग और उनके पंडित – पुरोहित भी संस्कृत के कठिन मंत्रो का गलत – उटपटांग उच्चारण करके पूजा निपटा देते है जिससे पूजा का तो कोई फायदा नहीं मिलता बल्कि कभी कभी नुकसान भी हो जाता है जिसकी वजह से लोग मन्त्र पूजा पाठ को दोष देते फिरते है की कलियुग में पूजा पाठ से कोई फायदा नहीं मिलता। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है, अगर बिना किसी गलती के पूरी शुद्धता और भक्ति के साथ कोई पूजा की जाय तो उसका फल मिलता ही मिलता है।
इसलिए अगर आपके पास देवी का कोई मन्त्र नहीं है तो आप केवल देवी के कोई नाम का अधिक से अधिक जप कर सकते है। ऐसा करने पर निश्चित ही आपकी बड़ी से बड़ी समस्या का नाश करेंगी माँ जगदम्बा और शाश्वत सुख भी प्रदान करेंगी।
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