आखिर क्यों नहीं करता प्राणायाम फायदा !
ऐसा कई बार देखा गया है की प्राणायाम (Pranayama) जैसी जबरदस्त फायदेमंद चीज को लोग कोसते फिरते है की उनको प्राणायाम करने के बाद उनकी बीमारी घटने के बजाय बढ़ गयी और साथ ही कई और नयी समस्याएं भी पैदा हो गयी।
तो इसमें ध्यान देने वाली बात है की जिस प्राणायाम को विधिवत करने से हर बड़ी से बड़ी बीमारी में 9 महीने में काफी आराम मिल सकता है वो प्राणायाम नुकसान कैसे कर सकता है !
सैकड़ो लोगो से पूछताछ करने के बाद ये पता लगा की अच्छे से अच्छे समझदार और पढ़े लिखे लोग भी प्राणायाम (Pranayam) करने में जाने अनजाने बहुत सी गलतिया करते है जिससे प्राणायाम से नुकसान होने लगता है।
इसलिए अगर आप नीचे लिखी हुई सावधानियों का सख्ती से पालन करते है तो इसमें कोई शक नहीं की प्राणायाम से आपको जबरदस्त फायदा मिले-
– अगर आपने कोई लिक्विड पिया है चाहे वह एक कप चाय ही क्यों ना हो तो कम से कम एक घंटे बाद प्राणायाम करे और अगर आपने कोई सॉलिड (ठोस) सामान खाया हो तो कम से कम 3 से 4 घंटे बाद प्राणायाम करे और प्राणायाम करने के बाद आधे घंटे तक कुछ भी ना खाए पीये तो बेहतर है पर अगर बहुत प्यास लगे तो 1 कप तक पानी पिया जा सकता है।
– अगर पेट में बहुत गैस हो या हर्निया (hernia) या अपेण्डिस्क (appendicitis) का दर्द हो या आपने 6 महीने के अंदर पेट या हार्ट का ऑपरेशन (HEART BYPASS OPERATION or SURGERY) करवाया हो तो प्राणायाम न करे।
– प्राणायाम करते समय रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रखे और चेहरे को ठीक सामने रखे (कुछ लोग चेहरे को सामने करने के चक्कर में या तो चेहरे को ऊपर उठा देते है या जमींन की तरफ झुका देते है जो की गलत है) |
– समतल भूमि पर कोई ऊनी कम्बल या सूती चादर बिछाकर ही प्राणायाम करे एवं मौसमानुसार ढीले वस्त्र पहनना चाहिए (नंगी जमींन पर बैठ कर प्राणायाम ना करे और प्राणायाम के 2 मिनट बाद ही जमींन पर पैर रखे) |
– आप प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट कपाल भाति और 10 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम जरूर करे। प्राणायाम का समय धीरे – धीरे बढ़ाना चाहिए ना कि पहले ही दिन से 15 मिनट प्राणायाम शुरू कर देना चाहिए अन्यथा गर्दन की नली में खिचाव या कोई अन्य समस्या पैदा होने का डर रहता है।
– सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन किसी भी आसन में बैठें, मगर जिसमें आप अधिक देर बैठ सकते हैं, उसी आसन में बैठें।
– प्राणायाम करते समय हमारे शरीर में कहीं भी किसी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए, यदि तनाव में प्राणायाम करेंगे तो उसका लाभ नहीं मिलेगा।
– प्राणायाम करते समय अपनी शक्ति का अतिक्रमण ना करें।
– साँस का आना जाना बिलकुल आराम से होना चाहिए।
– जिन लोगो को उच्च रक्त-चाप या हार्ट की शिकायत है, उन्हें अपना रक्त-चाप साधारण होने के बाद धीमी गति से प्राणायाम करना चाहिये।
– यदि आँप्रेशन हुआ हो तो, छः महीने बाद ही प्राणायाम का धीरे धीरे अभ्यास करें।
– हर साँस के आने जाने के साथ मन ही मन में ओम् का जाप करने से आपको आध्यात्मिक एवं शारीरिक लाभ मिलेगा और प्राणायाम का लाभ दुगुना होगा।
– ऐसा नहीं है कि केवल बीमार लोगों को ही प्राणायाम करना चाहिए, यदि बीमार नहीं भी हैं तो सदा निरोगी रहने की प्रार्थना के साथ प्राणायाम करें।
– प्राणायाम शौच क्रिया एवं स्नान से निवृत्त होने के बाद ही किया जाना चाहिए या एक घंटे पश्चात स्नान करें।
– प्राणायाम खुले एवं हवादार कमरे में करना चाहिए, ताकि श्वास के साथ आप स्वतंत्र रूप से शुद्ध वायु ले सकें। अभ्यास आप बाहर भी कर सकते हैं, परन्तु आस-पास वातावरण शुद्ध तथा मौसम सुहावना हो।
– प्राणायाम करते समय अनावश्यक जोर न लगाएँ। यद्धपि प्रारम्भ में आप अपनी माँसपेशियों को कड़ी पाएँगे, लेकिन कुछ ही सप्ताह के नियमित अभ्यास से शरीर लचीला हो जाता है। प्राणायाम को आसानी से करें, कठिनाई से नहीं। उनके साथ ज्यादती न करें।
– मासिक धर्म, गर्भावस्था, बुखार, गंभीर रोग (menstruation, pregnancy, fever, sickness) आदि के दौरान प्राणायाम न करें।
– प्राणायाम करने वाले को सम्यक आहार अर्थात भोजन प्राकृतिक और उतना ही लेना चाहिए जितना कि पचने में आसानी हो।
– प्राणायाम के प्रारंभ और अंत में विश्राम करें।
– यदि प्राणायाम को करने के दौरान किसी अंग में अत्यधिक पीड़ा होती है तो किसी योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही प्राणायाम करें।
– प्राणायाम प्रारम्भ करने के पूर्व अंग-संचालन करना आवश्यक है खासकर गर्दन की। इससे अंगों की जकड़न समाप्त होती है तथा प्राणायाम के लिए शरीर तैयार होता है।
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