गायत्री मन्त्र की सत्य चमत्कारी घटनाये – 23 (अनेक अपत्तियों से छुटकारा)
श्री आर.वी. बेद घाटकोपर लिखते हैं कि एक साल पहले मेरे ऊपर कई कानूनी मुकदमे चल रहे थे, सब तरफ से परेशानी थी, आर्थिक नुकसान हो रहा था और बहुत समय से बीमारी चली आ रही थी। वे सभी मित्र जिनसे सहायता की उम्मीदें थीं, इस कठिन समय में मुँह मोड़ चुके थे। उस समय श्री जगदम्ब गायत्री ने ही सब तरह से और सब ओर से मेरी रक्षा की। मुझे सन् 1937 से वेद माता गायत्री पर अत्यन्त श्रद्घा हो गई है।
उस समय मैं प्राय: ध्यान मग्न रहा करता था, एक दिन-रात को स्वप्न में मुझे जब कि मैं काफी परेशान था एक दिव्य ध्वनि सुनई पड़ी कि तुम अपनी सारी परेशानियों को भूल कर श्री जगदम्बा के पास रक्षा के लिए जाओ। मुझे इस ध्वन्यात्मक चमत्कार से आश्चर्य हुआ, दूसरे दिन मैंने पुरश्चरण सम्बन्धी साहित्य जुटाना आरम्भ किया और उसे अन्य ब्राह्मणों की सहायता से हवन तर्पण आदि के साथ 11 दिन में पूरा कर लिया, मैं सुबह जल्दी उठता और प्रतिदिन जप और अग्निहोत्र करता।
उससे मुझे चमत्कारी लाभ हुआ। सारी बीमारियाँ, सारी पेरशानियाँ हवा की तहर छूमन्तर हो गई मरे पुराने दुश्मन भी दास हो गये। माँ हमेशा अपने बच्चे की हिफाजत करती रहती है। जिससे बच्चा खुश रहे। मुझे अपने जीवन में इसके कई अनुभव हुए हैं। मैं प्रति मंगल और रविवार को महालक्ष्मी दर्शन के लिए नियमित रूप से जाया करता था। जब मैंने पुरश्चरण करना आरम्भ किया तब मैं सोचने लगा कि यह सब कैसे होगा? क्योंकि मैं दर्शन करने के पश्चात ही भोजन किया करता था।
यह सवाल अपने आप ही हल हो गया। मरे मित्र ने जो कि मरे घर के पास ही रहते हैं और किसी सरकारी विभाग में ऑफीसर हैं, आवश्यकता के समय अपनी मोटरकार को उपयोग करने के लिए मुझसे एक दिन मेरे घर कहा। वे सोचते थे कि पत्नी बीमार हैं और कभी भी अचानक इन्हें कार की जरूरत पड़ सकती है।
क्योंकि घाटकोपर पर सिर्फ 1 टैक्सी है और यहाँ से बम्बई 15 मील दूर है।) मैंने उनसे कहा कि इन दिनों मेरे सामने सिर्फ महालक्ष्मी के दर्शनों की समस्या है क्योंकि मैं 11 दिन के लिए वेदमाता गायत्री का पुरश्चरण कर रहा हूँ और मैं अपने प्रत्येक काम के लिए इन्हीं पर निर्भर हूँ। उन्होंने कहा कि तुम अवश्य पुरश्चरण आरम्भ कर दो। सायंकाल 6 बजे जबकि जप आरती आदि कसे निर्वत्त होंगे यह कार तुम्हें दर्शन करा कर तुम्हारे भोजन के समय तक वापिस ला देगी।
इन दिनों मैं एक ही बार भोजन करता था। ये दिन बम्बई में साम्प्रदायिक के थे, ओर वह इलाका दंगा क्षेत्र घोषित था इसलिए 30-40 घण्टे का एक बार करफ्यू लगा हुआ था। इस कठिन युग में भी यह चमत्कार हुआ। हमारी यात्रा में किसी प्रकार की न कोई मुसीबत आई और न कोई मिघ्र ही आया। एक बार तो जब हम कुछ कदम ही आगे बढ़े गुण्डों ने वहाँ कोई बड़ा विस्फोट कर दिया, परन्तु हम सुरक्षित निकल गये। इन्ही दिनों में एक दिन को 30-30 मिनट पर मेरी पत्नी को वमन होने आरम्भ हुए।
आध या पौने घण्टे बाद ही मरे उठकर जप आदि करने का समय आया था। मैंने अपवने गृह-चिकित्सक को बुलाया जो कि मरे अत्यधिक अतरंग मित्र हैं। मैंने उनसे कहा मैं अब क्या करूँ। मैं पत्नी की तीमारदारी करूँ या जप मेरे लिए एक कठिन समस्या खड़ी हो गई। पत्नी को मैं अत्यधिक प्यार करता हूँ और जप आदि एक दिन के लिए भी छूटता है तो सारा सिद्घिकार्य खतम। डाक्टर ने मुझे ढाँढस बँधया और कहा कि अपनी साधना जारी रखो माता स्वयं इनकी रक्षा करेंगी।
मैं स्नानादि से निवृत्त होकर जप करने बैठ गया, इसी समय मेरी आँखों के सामने पूरे वेग के साथ मेरी पत्नी को फिर वमन हुआ। मैंने मन ही मन कहा माँ आज मेरी लाज तेरे हाथ में है- और मैं पूजन में लग गया। सचमुच ही आश्चर्य की बात है कि सबेरे 6:30 बजे जबकि मैं पूजा से उठा मुझे बताया गया कि मेरी पत्नी को चमत्कारिक लाभ हुआ है और वे इस समय स्वस्थ व प्रसनन हैं।
इसी तरह जब मेरी साधना के समय मेरे मुकदमे की एक तारीख थी, जिसमें मैं नहीं जा सकता था और जो एक महत्वपूर्ण मुकदमा था, वह भी मरे अनुकूल हुआ, क्यों कि उस दिन दूसरे फरीक का वकील ही गैर हाजिर हो गया। एक नहीं ऐसे अनेक चमत्कार मुझे देखने को मिले हैं। मैं आज पूर्ण रूप से सुखी हूँ। मुझे कोई अभाव नहीं है इस सब का श्रेय भगवती वेदमाता जगदम्बा गायत्री की कृपा को है जो कि इन्हीं के जप से प्राप्त हुई है।
सौजन्य – शांतिकुंज गायत्री परिवार, हरिद्वार
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