गायत्री मन्त्र की सत्य चमत्कारी घटनाये – 25 (पुरश्चरण और पाठ कराने से लाभ)
श्री बलवन्त विष्णु नागदे, राजमहेन्द्री कहते हैं कि व्यापारी को फुरसत नहीं मिलती । हमकों बहुत काम रहता है। रात को दो बजे तक अक्सर काम करना पड़ता है। इसलिए सबेरे देर से आँख खुलती है। फिर नहा धोकर शंकर जी के दर्शन करते हैं और भोजन करके दुकान पर चले जातें हैं। भजन पूजा का वक्त सबेरे शाम का होता है। सो दोनों ही निकल जाते हैं सबेरे सोते रहते है। शाम को व्यापार का खास समय होता है।
उस समय काम की इतनी भीड़ रहती है कि जरा भी फुरसत नहीं रहती। मन्दिर में दर्शन करके भगवान को माथा झुकाने का ही साधन सध पाता है। हमारी फार्म के मुनीम गोपाल बारडे ने कहा था कि गायत्री बहुत अच्छा मंत्र है। उससे भगवान प्रसन्न होते हैं और बहुत लाभ देते हैं। तब से मेरे मन में गायत्री की अभिलाषा हुई । खुद तो कर नहीं पाता, पर पंडितों से हर साल नवरात्रि में गायत्री पुरश्चण कराता हूँ।
एक पंडित नित्य गायत्री सहस्त्रनाम का पाठ करने आते हैं।
दो वर्ष पहले की बात है स्वप्न में एक छोटी कन्या दिखाई दी उसने मुझसे कहा-अमुक व्यापारी का दिवाला निकलेगा तुम अपना रुपया निकाल लो । आँख खुल गई। वह व्यापारी बहुत मजबूत था, बहुत कारोबार था, स्वप्न की बात कुछ समझ में नहीं आती थी फिर मैंने दूसरे ही दिन अपना रुपया निकाल लिया। इसके बीस दिन बाद उसका दिवाला निकल गया।
स्वप्न की बात सच हो गई । मेरा 22 हजार डूबने से बच गया। इसी प्रकार तेजी मन्दी के चांस कई बार स्वप्न में ऐसे मिले हैं कि उनसे बड़ा लाभ रहा। आंत उतरने की बीमारी में भी दो वर्ष से फायदा है और भी कई लाभ हुए हैं। हमारे मुनीम को भी कई फायदे हो चुके हैं। मेरे यहाँ नियमित रूप से जप होता।
जब अनुष्ठान कराता हूँ तो एक रुपया प्रति हजार के हिसाब से सवा लक्ष्य जप के लिये सवा सौ रुपया पंडित जी को दिए जाते हैं। उन्हें वस्त्र बर्तन आदि से भी सन्तुष्ट करते हैं। हवन आदि को मिलाकर करीब दो सौ रुपया खर्च पड़ जाते हैं। पर उनसे लाभ कई गुना मिल जाता है । पुण्य का फल सुखदायक होता है। ऐसा सुना करते थे अब आँखों से प्रत्यक्ष देख लिया कि गायत्री माता के लिए जो कुछ किया जाता है वह परलोक में ही नहीं इस लोक में भी आनन्द दायक होता हैं।
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