गायत्री मन्त्र की सत्य चमत्कारी घटनाये – 5 (मृतक को जीवन दिया)
पं० बालचरण मिश्र, नसरुल्लाह गंज, लिखते हैं कि मेरे पिता जो इटावा जिले के निवासी थे श्री गायत्री के पक्के उपासक थे। प्रात: काल 4 बजे उठकर शौच क्रिया स्नान आदि के बाद सन्ध्या करने के समय गायत्री देवी की आराधना किया करते थे ।
कई बार तो देवी जी की आराधना में इतने मस्त हो जाते थे कि वे अपने तन की सुध-बुध को भूल जाते थे यानी ध्यान मग्न होकर देवी जी के रुप के दर्शन तक किये। एक समय मेरी मॉं बहुत बीमार हो गयी दवा बहुत की ,मगर आराम नहीं हुआ कोई 15 दिन हो गये मगर पीड़ा नहीं हटी।
सब लोग पितामह से कहने लगे कि पंडित जी इनको भूत बाधा हैं आप इन्हें कहीं ले जाओ तो ठीक हो जावेंगी, नहीं तो यह बच नहीं सकतीं। बाबा ने हॅंसकर कहा कि मेरी जगदम्बा ही ठीक करेगी मैं कही नहीं ले जा सकता।
बाबा साहब दादी मॉं को उठाकर जिस स्थान पर सन्धा पूजन किया करते थे वहॉं वेद माता का एक कॉंच में मढ़ा चित्र रखा था बस उसके ही सामने दादी मॉं को सुला दिया कि मॉं तेरी शरण में यह पड़ी है, रक्षा करो तथा गायत्री देवी का जप प्रारम्भ कर दिया बाबा ने अन्न जल जक त्याग दिया।
दूसरे या तीसरे दिन दादी मॉं ने करवट ली तथा मेरे पिता जी से कहा कि मुन्ना प्यास लगी है। पिता जी ने जल पिलाया,तीसरे दिन इस तरह का हाल देखकर सब लोग दंग रह गये। पितामह के चेहरे पर खुशहाली छायी तथा नौ दिन के अन्दर दादी मॉं धीरे-धीरे चलने फिरने लगी 15 वें दिन भोजन बनाकर सब को खिलाया।
पितामह को कई प्रकार के अनुभव प्राप्त हुये। मुझे और तो मालूम नही हम तीन भाई भी उसी देवी के प्रसाद दिये हुये हैं। पिता जी भी गायत्री का अनुष्ठान कई प्रकार का किया करते थे। मैं भी वेद माता को याद किया करता हूँ जिसके द्घारा महान से महान कष्ट हट जाते हैं।
सौजन्य – शांतिकुंज गायत्री परिवार हरिद्वार
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