पढाई के क्षेत्र में अपार सफलता पानी हो तो रोज आधा घंटा जरूर करिए सरस्वती पूजन
दुनिया में सभी जन्म से तेज दिमाग के पैदा हों ऐसा सम्भव नहीं हैं, पर हमारे शास्त्र कहते हैं कि, ये शाश्वत सत्य है कि जो – जो भी जगदम्बा सरस्वती की शरण में जाता है वो – वो पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में सफलता के बड़े बड़े झंडे जरूर गाड़ता है !
इस संसार में हर एक के अन्दर जो कुछ भी सोचने या बोलने की क्षमता है वो सब की सब, देवी सरस्वती की ही देंन है ! जो जितना ज्यादा बुद्धिमान और तेज दिमाग का होता है वो इस जन्म के या पूर्व के किसी जन्म के अच्छे कर्मों की वजह से देवी सरस्वती का उतना ज्यादा कृपा पात्र होता है !
देवी सरस्वती को जो कर्म सबसे ज्यादा पसंद हैं, उनमें से एक है कि बिना किसी घमण्ड या चालाकी के अपने ज्ञान को दूसरे सुपात्रों की मदद करने के लिए मुफ्त में बांटना !
धन होने से कोई शिक्षा के क्षेत्र में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता पर ये जरूर है की education (शिक्षा) के क्षेत्र में सफलता पाने से अथाह धन जरूर कमा सकता है !
अतः जिसे भी पढ़ाई के क्षेत्र में सफलता पानी हो उसे माँ सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए !
या तो माँ सरस्वती का कोई मन्त्र जपे (पर शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखना बहुत जरूरी है) या सिर्फ “जय माँ सरस्वती” का जप करे तब भी माँ सरस्वती जरूर कृपा करती हैं !
अपने बच्चों को दिन में जब भी फुर्सत मिले 15 मिनट से आधा घंटा तक “जय माँ सरस्वती” का जप जरूर कराईए और निश्चित चमत्कार देखिये कि कुछ ही महीने में एग्जाम में लड़के के बढ़िया मार्क्स आने लगेंगे ! इसलिए पढाई के क्षेत्र में अपरम्पार सफलता पानी हो तो रोज आधा घंटा जरूर करिए सरस्वती पूजन !
सरस्वती पूजन करने से पहले ही दिन से बुद्धि का धीरे धीरे विकास होना शुरू हो जाता है! दिमाग तेज चलने लगता है ! व्यक्ति धीरे धीरे इतना ज्यादा बुद्धिमान हो जाता है की हर तरफ उसकी बुद्धि की प्रशंसा होने लगती है !
पढ़ने में मन ना लगना या पढ़ा हुआ समझ में ना आना, जैसी हर बाधा का नाश करती हैं माँ सरस्वती !
वैसे महा देवी की शक्ति अपार है और ये चाहें तो एक क्षण में महा मूर्ख को महा बुद्धिमान बना दें पर उस स्तर का समर्पित भक्त भी तो हो ! देवी की आराधना जो जितने अधिक भक्ति भाव से करता है उतना जल्दी देवी का ह्रदय द्रवित होता है !
भगवती सरस्वती देवी को, कड़वा बोलने वाले, दूसरों की सहायता ना करने वाले, माँ बाप की आज्ञा ना मानने वाले, तथा मांस मछली अंडा खाने वाले लोग बिल्कुल पसन्द नहीं हैं !
माँ सरस्वती वाणी की अधिष्ठात्री देवी है। माघ शुक्ल पंचमी अर्थात बसंत पंचमी को इनकी विशेष पूजा की जाती है।
जगदम्बा सरस्वती देवी मानवों को अति दुर्लभ ज्ञान का खजाना प्रदान करती है। इनके हाथ में वीणा हैं। शास्त्र इन्हें जलदेवी के रूप में भी महत्ता देते हैं (एक नदी का नाम भी सरस्वती है) !
सभी ऋषि गण निरन्तर यही प्रार्थना करते है कि, श्वेत कमल पर आसीना, शुभ्र हंसवाहिनी, तुषार धवल कान्ति, शुभ्रवसना, स्फटिक माला धारिणी, वीणा मण्डित करा, श्रुति हस्ता वे भगवती भारती सभी जीव जगत पर हमेशा प्रसन्न रहें ! इनकी कृपा मनुष्य में कला, विद्या, ज्ञान तथा प्रतिभा उत्पन्न करती है। यही समस्त विद्याओं की अधिष्ठात्री हैं। ये सत्व रूपा, श्रुतिरूपा, आनन्दरूपा हैं। विश्व में सुख, सौन्दर्य का यही सृजन करती हैं।
महाकवि कालिदास ने इन्हे प्रसन्न करने में सफलता प्राप्त की थी ! और उसके बाद कैसे कालिदास साधारण व्यक्ति से महा विद्वान बने पूरी दुनिया गवाह है ! इसलिए आदि काल से विद्वान पुरुष प्रत्येक बड़े कामों से पहले उनका स्मरण करके ही अपना काम प्रारम्भ करते थे !
कम बुद्धि या मन्दबुद्धि लोगों के लिए माँ सरस्वती की आराधना परम हितकारी साबित होती है।
बौद्धिक क्षमता विकसित करने, चित्त की चंचलता दूर करने के लिए सरस्वती साधना की विशेष उपयोगिता है।
इसके अलावा दिमाग से संबंधित रोगों जैसे अनिद्रा, सिर दर्द्, तनाव आदि में माँ सरस्वती की साधना का बड़ा लाभ मिलता है। बार बार भूलना, कल्पना शक्ति की कमी, सही निणर्य न कर सकना आदि समस्याओं को दूर करने के लिए देवी सरस्वती साधना एक बहुत फायदेमन्द आध्यात्मिक उपचार भी है।
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