प्रचण्ड तेजस्वी सन्त – भाग 1
ये बड़े उच्चकोटि के संत थे। वे 260 साल तक धरती पर रहे। रामकृष्ण परमहंस ने उनके काशी में दर्शन किये तो बोलेः “साक्षात् विश्वनाथ जी इनके शरीर में निवास करते हैं।”
उन्होंने तैलंग स्वामी को ‘काशी के सचल विश्वनाथ’ नाम से प्रचारित किया। तैलंग स्वामी का जन्म दक्षिण भारत के विजना जिले के होलिया ग्राम में हुआ था।
बचपन में उनका नाम शिवराम था। शिवराम का मन अन्य बच्चों की तरह खेलकूद में नहीं लगता था। जब अन्य बच्चे खेल रहे होते तो वे मन्दिर के प्रांगण में अकेले चुपचाप बैठकर एकटक आकाश की ओर या शिवलिंग को निहारते रहते।
कभी किसी वृक्ष के नीचे बैठे-बैठे ही समाधिस्थ हो जाते। लड़के का रंग-ढंग देखकर माता-पिता को चिंता हुई कि कही यह साधु बन गया तो ! उन्होंने उनका विवाह कराने का मन बना लिया।
शिवराम को जब इस बात का पता चला तो वे माँ से बोलेः “माँ ! मैं विवाह नहीं करूँगा, मैं तो साधु बनूँगा। कुछ समय बाद माँ तो चली गयी भगवान के धाम और वे बन गये साधु। उनकी तप साधना की वजह से उनकी ख्याति बहुत फैली और आज भी काशी में उनका नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है।
भारतीय संत देवरहा बाबा की मृत्यु 1990 में हुई । देवरहा बाबा को खेचरी मुद्रा पर सिद्धि थी जिस कारण वे अपनी भूख और आयु पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते थे।
भारत के पहले राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद के अनुसार इस बात के पुख्ता सबूत थे कि बाबा की आयु बहुत अधिक थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक बैरिस्टर के अनुसार उनका परिवार 7 पीढ़ियों से बाबा का आशीर्वाद लेता रहा।
बाबा ने पूरा जीवन नदी के किनारे मचान पर ही काट दिया। प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मथुरा के माठ इलाके में यमुना के किनारे एक साधु के दर्शन करने आना था। एसपीजी के साथ जिला और प्रदेश का सुरक्षा बल तैनात हो गया। प्रधानमंत्री के आगमन और यात्रा के लिए इलाके की मार्किंग कर ली गयी। आला सुरक्षा अफसरों ने हेलीपैड बनाने के लिए वहां लगे एक बबूल के पेड़ की डाल छांटने के निर्देश दिये।
भनक लगते ही साधु ने एक बड़े पुलिस अफसर को बुलाया और पूछ लिया- यह पेड़ क्यों छांटोगे। जवाब मिला-पीएम की सुरक्षा के लिए जरूरी है। बाबा- तुम यहां अपने पीएम को लाओगे और प्रशंसा पाओगे, पीएम का भी नाम होगा कि वह साधु संतों के पास जाता है। लेकिन इसका दंड तो इस बेचारे पेड़ को ही भुगतना होगा। वह मुझसे इस बारे में पूछेगा तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा। नहीं, यह पेड़ नहीं छांटा जाएगा।
प्रशासन में हडकंप मच गया। अफसरों ने अपनी मजबूरी बतायी कि दिल्ली से आये आला अफसरों ने यह फैसला लिया है, इसलिए इसे छांटा ही जाएगा। अब कुछ नहीं हो सकता। और फिर, पूरा पेड़ तो काटना है नहीं, केवल उसकी कुछ डाल काटी जाएगी। मगर साधु टस से मस नहीं हुआ। बोला – यह पेड़ होगा तुम्हारी निगाह में, मेरा तो सबसे पुराना शिष्य है। दिन रात मुझसे बतियाता है।
यह पेड़ नहीं कटेगा। उधर अफसरों की घिग्घी बंधी हुई थी। साधु का दिल पसीज गया। बोले- और अगर यह कार्यक्रम टल जाए तो।
तयशुदा कार्यक्रम को टाल पाने में अफसरों ने भी असमर्थता व्यक्त कर दी। आखिरकार साधु बोला- जाओ चिंता मत करो। तुम्हारे पी. एम. का कार्यक्रम मैं कैंसिल करा देता हूं। और, आश्चर्य कि दो घंटे बाद ही पी. एम. आफिस से रेडियोग्राम आ गया कि पी. एम. का प्रोग्राम टल गया है। कुछ हफ्तों बाद राजीव गांधी वहां आये, लेकिन इस बार वह पेड़ नहीं छांटा गया। यह थे देवरहा बाबा।
न उम्र का पता और न अंदाजा। न कपड़ा पहनना और ना भोजन करना। उन्हें न तो किसी ने खाते देखा और न ही पानी पीते। शौचादि का तो सवाल ही नहीं। हां, दिन में चार-पांच बार वे नदी में सीधे उतर जाते थे और प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि आधा-आधा घंटा तक वे पानी में रहते थे। इस पर उठी जिज्ञासाओं पर उन्होंने शिष्यों से कहा मैं जल से ही उत्पन्न हूं। उनके भक्त उन्हें दया का महासमुंद्र बताते हैं।
और अपनी यह संपत्ति बाबा ने मुक्त हस्त से लुटाई। जो भी आया, बाबा की भरपूर दया लेकर गया। वितरण में कोई विभेद नहीं।
वर्षाजल की भांति बाबा का आशीर्वाद सब पर बरसा और खूब बरसा। मान्यता थी कि बाबा का आशीर्वाद हर मर्ज की दवा है। कहा जाता है कि बाबा देखते ही समझ जाते थे कि सामने वाले का सवाल क्या है। दिव्य दृष्टि के साथ तेज नजर, कड़क आवाज, दिल खोल कर हंसना, खूब बतियाना बाबा की आदत थी।
याददाश्त इतनी कि दशकों बाद भी मिले व्यक्ति को पहचान लेते और उसके दादा-परदादा तक का नाम व इतिहास सब बता देते, किसी तेज कंप्यूटर की तरह। हां, बलिष्ठ कदकाठी भी थी। लेकिन देह त्यागने के समय तक वे कमर से आधा झुक कर चलने लगे थे। ख्याति इतनी कि जार्ज पंचम जब भारत आया तो अपने पूरे लाव लश्कर के साथ उनके दर्शन करने देवरिया जिले के दियारा इलाके में मइल गांव तक उनके आश्रम तक पहुंच गया।
दरअसल, इंग्लैंड से रवाना होते समय उसने अपने भाई से पूछा था कि क्या वास्तव में इंडिया के साधु संत महान होते हैं। प्रिंस फिलिप ने जवाब दिया- हां, कम से कम देवरहा बाबा से जरूर मिलना। ऐसे थे विश्व प्रसिद्ध देवरहा बाबा।
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