भोलेपन की पराकाष्ठा में भोले भण्डारी का खजाना लुटने की रात : महाशिवरात्रि
महामाया की परम ब्रह्म से लौकिक विवाह की रात है महाशिवरात्रि ! इस परम पावनी रात में ऐसे दुर्लभ संयोग बनते है, कि अति पीड़ादायक कष्ट भी आसानी से छोड़ भागते हैं !
महा शिवरात्रि की बेहद कीमती रात व दिन केवल दूसरों को बधाई व शुभ सन्देश भेजने में बिता दी तो दुर्भाग्य ही है !
भोले नाथ तो इतने भोले हैं कि भक्त उनसे उन्ही को मारने का तरीका (भस्मासुर) चुपके से पूछ लेते हैं और उनको पता भी नहीं चलता ! ऐसा कोई एक बार नहीं हुआ है, रावण ने भी उनसे उनका पूरा राजमहल (अमरावती अर्थात लंका) मांग लिया और उन्होंने तुरन्त दे दिया !
शिवरात्रि के दिन ऐसे भोलेनाथ अपनी भोलेपन की पराकाष्ठा पार कर जाते हैं और उनके खजाने के द्वार खुल जाते हैं बस जरूरत है ऐसे फरियादी की जिसकी फरियाद उनके दिल के पास पहुँच पाये !
भगवान् शिव ने ही सोने चांदी रूपये पैसे सब बनाए हैं इसलिए इनके शिवलिंग पर सोने चांदी पैसे चढ़ाने से ये खुश हो जायेंगे, ये गलत फहमी है !
भगवान् शिव के कठिन मन्त्रों को जपने से या कठिन शास्त्रोक्त विधि से अभिषेक करने से शिव कितने दिन, कितने महीने या कितने साल में प्रसन्न होंगे यह अंदाजा लगाना मुश्किल है !
पर एक तरीका है जिससे हर देवता व हर भगवान् तुरन्त प्रसन्न होते हैं !
जिन भी भगवान् का दिन (पर्व, त्यौहार) हो, उन भगवान को उस दिन प्रेम से प्रणाम करके, उन भगवान् का कोई भी नाम भक्ति से लगातार मन में जपते हुए, जितना हो सके उतने रूपये का अन्न, वस्त्र या अन्य जरूरी मदद, जरूरतमंदों को दान करने से, वे भगवान निश्चित ही प्रसन्न होते हैं !
क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि, कलियुग में दान से बड़ा कोई धर्म नहीं है !
दान सिर्फ पैसों का ही नहीं होता है, किसी गरीब या जरूरतमंद की सहायता के लिए मेहनत करने को भी दान (श्रम दान) कहते हैं !
सिर्फ ईमानदारी की कमाई से किये गए दान का ही फल मिलता है ! दान सिर्फ उचित पात्रों को ही देना चाहिए ना की गरीब के नाम पर आलसी अकर्मण्य को दान करके उसकी आदत बिगाड़नी चाहिए ! पर उचित पात्र की तलाश में सभी गरीबो और साधू संतों पर बेवजह शक नहीं करना चाहिए !
तो शिवरात्रि पर भोले नाथ की कृपा पाने का शर्तिया तरीका यही है की भगवान शिव का कोई भी नाम जपते हुए, उनके नाम पर कुछ धन श्रद्धा से निकाल कर, किसी अनाथालय, वृद्धाश्रम, या गरीब बस्ती में जा कर, गरीबों की जरूरतों को पूरा करिए तथा हो सके तो उस रात अपने माता पिता, दादा दादी आदि बुजुर्गों के चरण कम से कम 15 मिनट जरूर दबाईये और तुरन्त श्री शिव की विशेष कृपा का सुख महसूस करिए !
इस पर दिमाग खर्च करने की जरूरत नहीं हैं कि शिव अगर खुश हो गए तो कैसे और क्या कर सकते हैं क्योंकि ईश्वर, शिव के ही रूप में प्रलय काल में पूरे ब्रह्माण्ड को एक क्षण से भी कम समय में भस्म कर देते हैं तो भक्तों के दुःख एक क्षण में क्यों नहीं भस्म कर सकते !
इसलिए पूरा ध्यान इस पर रखिये कि भोले बाबा को कैसे भी खुश करके ही छोड़ा जाय, क्योंकि भोले भंडारी अगर एक बार खुश हो गए तो जिंदगी में हाथ कभी दूसरों के आगे फ़ैलाने के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ दूसरों को बांटने के लिए उठते हैं !
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