लकवा, पागलपन, घबराहट, डर, स्ट्रेस, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस आदि सभी मानसिक रोगो में गारन्टीड फायदा देगी यह मुद्रा

20150704-0001ये कोई कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि हार्ड कोर, वेरी एनसीएन्ट साइंस है जिसका नाम है “योग” जिसके प्रथम प्रणेता थे अनन्त शक्तिशाली, जन्म – मृत्यु से रहित, सबको बनाने, पालने और बिगाड़ने वाले महादेव भगवान शिव शंकर और इन्ही परम दयालु भगवान शिव जी ने समय समय पर अपने इस दुर्लभ ज्ञान को अपने कई भक्तों, ऋषियों को प्रदान किया |

योग में एक मुद्रा है जिसका नाम है ज्ञान मुद्रा और जिसे करना भी बहुत आसान है | इसमे सिर्फ दोनों हाथ की तर्जनी उंगली के सिरे को, अंगूठे के सिरे से छूना है और बाकि तीनो उंगलियों को सीधा रखना है (जैसा की चित्र में दिखाया है) |

इस ज्ञान मुद्रा को कोई भी आदमी 5 मिनट से लेकर 3 घंटा 36 मिनट तक कर सकता है | इसे हर समय किया जा सकता है बस दोपहर और रात के खाने के बाद या जब भी फुल खाना खाया हो, उसके 2 घंटे बाद तक नहीं करना चाहिए |

इसे करते समय रीढ़ की हड्डी और गर्दन सीधी होना चाहिए और अगर बैठ कर ऐसा ज्यादा देर ना कर पाय तो सीधे लेट कर भी कर सकते है| और ऐसे मरीज जो लकवा या किसी अन्य बीमारी के वजह से सीधे पीठ और गर्दन करके ना बैठ पायें, वैसे लोग जिस तरह से भी आराम से बैठ या लेट कर मुद्रा कर सकते हो वैसे ही करना चाहिए |

पर जब उनको उनकी बीमारी में आराम मिलने लगे और वो इस लायक हो जाय की पीठ और गर्दन सीधे करके बैठ सके तो उन्हें गर्दन और पीठ सीधी करके ही मुद्रा लगाना शुरू करना चाहिए (जिससे सुषुम्ना में प्राण का प्रवाह बाधित ना हो) क्योकी सीधे न बैठ कर मुद्रा लगाने से फायदा कम मिलता है |

इसे करने से होता क्या है ! इसका लगातार कई दिन तक अभ्यास करने से पूरा ब्रेन सक्रीय होने लगता है, मस्तिष्क के अन्दर बेहद दुर्लभ और बेहद कीमती हारमोंस का स्राव होने लगता है जिससे कई रहस्यमय अतीन्द्रिय शक्तिया जागृत होने लगती है और बीमारिया जैसे लकवा, पागलपन, घबराहट, डर, स्ट्रेस – तनाव, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस आदि में धीरे – धीरे आराम मिलने लगता है |

इसके आलावा हमारा आयुर्वेद कहता है की हमारे शरीर के हर अंग की हर बीमारी (मतलब चाहे वह हाथ पैर की बीमारी हो या पेट की, चाहे वह छाती की बीमारी हो या आंख की) की जड़ हमारे मस्तिष्क में गुप्त रूप से छिपी होती है और अगर हम उस जड़ को ही काट दे तो उस बीमारी का पेड़ तो अपने आप ही सूख जायेगा, तो यही तो होता है ज्ञान मुद्रा से, मतलब ज्ञान मुद्रा पूरे ब्रेन के करोड़ो ज्ञान तंतुओ को सक्रीय करके ब्रेन के हर विसंगतियो (खराबियों) को दूर करती है और एक प्रचण्ड शक्तिशाली मस्तिष्क का निर्माण करती है और ये प्रचण्ड शक्तिशाली मस्तिष्क, मानव को धीरे – धीरे महा मानव में बदल देता है |

मानव के महामानव बनने की इस प्रक्रिया में बीमारिया तो बहुत पहले ही नष्ट हो जाती है |

किसी बीमारी में आराम होने में कुछ महिना से लेकर कुछ साल तक भी लग सकते है लेकिन आराम मिलता जरुर है | और ज्ञान मुद्रा लगाते समय अगर आंख बंदकर इस तरह ध्यान भी किया जाय की पूरे शरीर में भगवान की दिव्य प्रकाशमयी उर्जा खूब भरी हुई है और वो भगवान का प्रकाश पूरे शरीर में समा रहा है जिससे पूरा शरीर बहुत सुन्दर, बहुत अच्छा, बहुत स्वस्थ और बहुत ताकतवर बन रहा है | तो इस तरह ध्यान लगाने से ज्ञान मुद्रा से फायदा मिलने की रफ़्तार कई गुना बढ़ जाती है |

ध्यान रहे की कुछ अति आवश्यक परहेज भी है जिनको ना करने पर कोई भी अध्यात्मिक साधना या पूजा पाठ का कभी भी कोई लाभ मिल ही नहीं सकता | 

वो परहेज है,- तामसिक खाना (मांस, मछली, अंडा, शराब, बियर, तम्बाखू, सिगरेट आदि) और ऐसे अन्य खाने पीने के सामान (जैसे केक, टॉफ़ी, चॉकलेट, नूडल्स, फ़ास्ट फ़ूड जिसमे अंडा पड़ने का शक हो, साथ ही जानवरो से बनने वाले लिपस्टिक, परफ्यूम आदि कॉस्मेटिक) एकदम छोड़ना पड़ेगा और साथ में गन्दी कमाई और दूसरों का दिल दुखाना भी छोड़ना पड़ेगा |

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