विश्व के जागृत हिन्दू मंदिर और तीर्थ स्थल -4
पद्मनाभ मंदिर, केरल में वो रहस्यमयी मंदिर है जहाँ पर प्राचीन काल से अनगिनत धनराशि सहेज कर रखी गयी है। इस मंदिर की देखभाल त्रावणकोर का राज परिवार करता है जो आज भी इस पद्मनाभ स्वामी के छठे तहखाने को खोलने की अनुमति किसी को नहीं देता।
परिवार को डर है कि अगर मंदिर के छठे तहखाने का दरवाजा खुला तो अपशकुन हो सकता है।
136 साल पहले इस दरवाजे को खोलने की कोशिश की गई थी, लेकिन बीच में ही एक अनजान डर के कारण दरवाजा खोले बगैर इसे बंद कर दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि जब छठे दरवाजे को जब खोला गया था तो दरवाजे के पीछे से पानी की तेज धार जैसी आवाज आने लगी। ऐसा लगा मानों दरवाजे के पीछे समंदर उफान मार रहा है।
इससे वहां के पुजारी बुरी तरह से डर गए थे उन्हें ऐसा लगा कि सर्वनाश बेहद ही करीब है। 136 साल गुजर चुका है, लेकिन पद्मनाभस्वामी मंदिर के छठे दरवाजे का राज अब तक राज ही है।
इस तहखाने में कई ऐसे राज दफन हैं, जिन्हें उजागर करना अच्छा नहीं है। कहा जाता है की इस मंदिर नीचे भगवान विष्णु स्वयं भगवान शेषनाग पर वीराजमान है।
अनंतपुर मंदिर कासरगोड, केरला में स्थित एकमात्र झील मंदिर है, और ‘बबिआ ‘ नाम के एक दिव्य मगरमच्छ की किंवदंती से प्रख्यात है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह मंदिर की रक्षा करता है।
लोग यह भी कहते हैं कि जब झील में एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यपूर्ण ढंग से एक दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है!
यह मंदिर भगवान अनंतपद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) को समर्पित है। २ एकड़ की बड़ी झील के बीचों बीच समाया यह प्राकृतिक छटा एवं परिदृश्य का साक्षी है।
देवता की पूजा के पश्चात, श्रद्धालुओं से मिला प्रसाद ‘बबिआ’ को खिलाया जाता है जो उसे सिर्फ मंदिर के प्रबंधन मण्डली के द्वारा अर्पण करने पर ही स्वीकार करता है। यह भी मान्यता है कि यह मगरमच्छ शाकाहारी है और किसी को भी नुक्सान नहीं पहुंचाता।
इसका निर्माण सन 1847 में प्रारम्भ हुआ था। जान बाजार की महारानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार माँ काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए।
इस भव्य मंदिर में माँ की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई। दक्षिणेश्वर माँ काली का मुख्य मंदिर है।
प्रसिद्ध संत श्री रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी।
यह कितना महत्वपूर्ण मंदिर है इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि यह हिन्दुओं के चार धामों में से एक है।
इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है।
यह एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। हर भारतीय को अपने जीवन में कम से कम एक बार यहाँ अवश्य आना चाहिए !
रामेश्वरम का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है। यह मंदिर लगभग 6 हेक्टेयर में बना हुआ है।
इसे बदरीनारायण मंदिर भी कहते हैं, अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बदरीनाथ को समर्पित है।
यह हिन्दुओं के चार धाम में से एक धाम भी है इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है !
ऋषिकेश से यह 295 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। मन्दिर में नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है
द्वारिका गुजरात में है और इसे भगवान कॄष्ण ने इसे बसाया था।
माना जाता है कि कृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई यह नगरी समुद्र में डूब गई।
आज भी द्वारका की महिमा अपरम्पार है। यह चार धामों में एक है साथ ही साथ सात पुरियों में से भी एक है।
यह भारत के ओडिशा राज्य के शहर पुरी में स्थित है।
इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है।
इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव विश्व प्रसिद्ध है।
इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।
इस मंदिर में साक्षात् श्री कृष्ण विराजतें हैं इसलिए एक बार यहाँ आने का सौभाग्य सभी को प्राप्त करना चाहिए !
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