क्या ये आदत महिलाओ को बाँझ भी बना सकती है ?
आजकल कई महिलाओं के अन्दर बाँझपन की समस्या आ रही है, मतलब वो महिलाये कभी भी माँ बन नहीं सकती हैं और उनकी इस समस्या के कारण के बारे जो संदेह जाहिर किया है कई योग शोधकर्ताओं ने, वो है नियमित मांसाहार करना !
क्योकी ज्यादातर मांस, मुर्गे या बकरे का होता है जो की नर जानवर होते है इसलिए इन योग शोधकर्ताओं ने संभावना व्यक्त की है कि नर हारमोंस वाला मांस कोई मादा यानी औरत रोज रोज खाएगी तो धीरे – धीरे उसके शरीर के अन्दर के हारमोंस का बैलेंस बिगड़ने लग सकता है और यहाँ तक की उस औरत के मादापन यानी औरत के स्वाभाविक गुण भी ख़तरे में पड़ सकते है (उसकी कई शारीरिक क्रियाये भी उटपटांग होने लग सकतीं है) !
वैसे तो ओक्सिटोसिन इंजेक्शन वाला मांस खाकर पुरुषों में भी नपुंसकता की बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है ! बाजार में बिकने वाला अधिकांश मांस, ओक्सिटोसिन के इंजेक्शन से तेजी से बड़े हुए जानवरों का ही होता है !
कम से कम समय में अधिक से अधिक मांस पैदा करने के लिए कई विक्रेता अपने पाले हुए जानवरों को, सरकारी रूप से इललीगल होने के बावजूद चोरी छुपे ओक्सिटोसिन का इंजेक्शन लगाते ही लगाते हैं !
आज के जमाने में तो भ्रष्टाचार इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि लोग सस्ती सब्जियों तक को जल्दी बड़ा करने के लिए भी ओक्सिटोसिन का इंजेक्शन लगाने से बाज नहीं आते हैं तो महंगा बिकने वाले मांस के लिए क्यों नहीं ओक्सिटोसिन का इंजेक्शन लगायेंगे !
ओक्सिटोसिन के इंजेक्शन से ना केवल नपुंसकता आती है बल्कि कैंसर, अस्थिक्षय जैसी सैकड़ों घातक बीमारियाँ भी पैदा होती हैं !
महिलाओ या पुरुषों की कैसे भी बाझपन या नपुंसकता की समस्या हो विधिवत कपाल भाति प्राणायाम करने से निश्चित ही ख़त्म हो जाती है |
महिलाओं में अधिकांश दोष मासिक धर्म की गड़बड़ीयों से होता है ! लगभग एक प्रतिशत स्त्रियों में फैलोपियन ट्यूब (fallopian tube) बन्द होने की शिकायत पाई जाती है जिसमें लगभग 50 प्रतिशत स्त्रियों का आप्रेशन होकर एक तरफ का रास्ता खुल जाता है जिससे वे गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती हैं। ऑपरेशन के अलावा नियमित कपाल भाति प्राणायाम को करने से भी फैलोपियन ट्यूब (fallopian tube) की समस्या में बहुत लाभ मिलते देखा गया है !
कई ऐसी बाँझ महिलाये जिन्हें अमेरिका, लन्दन के बड़े बड़े डाक्टरों ने यहाँ तक कह दिया था कि वे कभी भी माँ नहीं बन सकती, वे महिलाये भी कपालभाति प्राणायाम (Kapabhaiti Pranayama) का विधिवत अभ्यास करके 1 से 2 साल में, माँ बनते हुए देखी गयी हैं !
हमारे ग्रंथो में कपाल भाति प्राणायाम (Kapabhaiti Pranayam) को इतना ताकतवर बताया गया है कि इसका विधिवत अभ्यास करने पर दुनिया की बड़ी से बड़ी बीमारी का भी नाश 1 से 2 साल में हो जाता है पर एक बात बहुत ध्यान से समझने वाली है कि कपालभाति समेत और भी जितने ताकतवर प्राणायाम, योग व दवाएं है, सब के सब बहुत कमजोर साबित हो जातें हैं, उस दर्द भरे भयंकर श्राप के सामने जो किसी जानवर की हत्या करते समय उसके दिल से निकलता है !
इसलिए मांस खाने वाला आदमी लाख प्राणायाम (Pranayama) कर ले या खूब महंगी महंगी दवाएं खा ले या खूब मन्दिर फ़क़ीर तीरथ कर ले, लेकिन देर सवेर वो फेफड़े, हार्ट, लीवर, किडनी आदि की भयंकर तकलीफ दायक बीमारियों को झेलने से बच नहीं सकता है !
अगर व्यक्ति अपना भला वाकई में चाहता हो तो उसे तुरन्त मांस मछली अंडा और इनसे बनने वाले सारे सामान (जैसे – चाकलेट, केक, नुडल्स, लिपस्टिक आदि) को खाना, लगाना छोड़ दे और भगवान से बार बार माफ़ी मांगकर, साफ सुथरे पवित्र मन से कपालभाती प्राणायाम (Pranayam) का अभ्यास शुरू करे तो निश्चित ही उसकी सारी बीमारियों का नाश होकर ही रहेगा !
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