स्वास्तिक में चार बिन्दिया होनी चाहिए की नहीं ?
स्वास्तिक एक महा मंगल कारी चिन्ह है जो सर्व विघ्न हर्ता, सर्व अशुभ नाशक भगवान गणेश जी का ही रूप है |
इसे बहुत आसानी से बनाया जा सकता है और कोई भी आदमी पवित्र मन और श्रद्धा से भरे ह्रदय से इसे बनाकर लाभ उठा सकता है |
अब इसमें जानने वाली बात है की कुछ लोग स्वास्तिक बनाते समय इसमें चार बिन्दिया भी बनाते है और कुछ लोग बिन्दिया नहीं बनाते है, पर वे ऐसा क्यों करते है इसका कारण उन्हें भी नहीं पता होता है !
तो आइये हम बताते है आपको इस रहस्य के बारे में जिसको जानकर आप स्वास्तिक चिन्ह का असली लाभ उठा सकते है |
जो भी चल (चलायमान या गतिशील) चीजे है जैसे दुकान, वाहन आदि पर जो स्वास्तिक बनाया जायेगा उसमें चार बिन्दिया लगानी चाहिए और जो चीजें अचल हैं (जैसे – घर) उनमे स्वास्तिक में बिन्दिया नहीं लगाते है |
कई लोग स्वास्तिक बनाने में बिना मतलब की महा मूर्खता करते है की स्वास्तिक को डिजाइनिंग लुक देने के लिए या उसे और सुन्दर – स्टाइलिश दिखाने के लिए स्वास्तिक बनाने के बाद उसके सिरों को अन्त में हल्का हल्का टेढ़ा कर देते है जो की बहुत ही गलत है और इससे एनर्जी का स्वरुप और दिशा बदल सकती है इसलिए इस तरह के यन्त्रों और प्रयोगों में अपनी पसन्द और नापसन्द के हिसाब से हल्का सा भी परिवर्तन नुकसान दायक हो सकता है |
चित्र में दिखाए गए स्वास्तिक ही सही स्वास्तिक के रूप है और इनमे कोई भी परिवर्तन करना गलत है |
अब स्वास्तिक किस स्याही से लिखते है इसका निर्धारण आपके उद्देश्य पर निर्भर करता है, अत: इसके बारे में जानकारी आप किसी विद्वान पंडित – पुरोहित से कर सकते है |
पर इस बात का ध्यान जरुर रखना चाहिए की स्वास्तिक जिस भी चीज से लिखा जाय वो पूरी तरह से प्राकृतिक (नेचुरल) हो, उसमे कोई भी आर्टिफिशियल केमिकल वाला सामान नहीं होना चाहिए क्योकी आजकल बाजार में मिलने वाले लगभग हर पूजा के सामान (रोली, चन्दन, सिन्दूर, गोरोचन, अगरबत्ती, धूप) को बनाने में धडल्ले से आर्टिफिशियल केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है और इन केमिकल से बने हुए पूजा के सामान से पूजा करने पर या स्वास्तिक बनाने पर कितना फायदा मिलेगा इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते है !
हमारे शास्त्रों में जो भी पूजा का विधि विधान लिखा है उसी विधि विधान का पालन करने पर ही पूजा पाठ का लाभ मिलता है, ना की रोली चन्दन के नाम पर बाजारू लाल पीले केमिकल इस्तेमाल करने पर |
स्वास्तिक का चिन्ह जहा भी बनाया जाय वो जगह साफ़ सुथरी और पवित्र होनी चाहिए और स्वास्तिक चिन्ह जो की साक्षात् भगवान गणेश का रूप है उसके आस पास मांस मछली अंडा शराब सिगरेट आदि का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए और ना ही कोई ठगी का या दूसरों को सताने का व्यापार होना चाहिए |
सही तरीके से बनाया हुआ स्वास्तिक निश्चित ही रोज मर्रा की कई छोटी बड़ी समस्यों से हमारी रक्षा करता है और साथ ही ईमानदारी से पैसा कमाने के नए – नए अवसर भी पैदा करता है |
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