भारत के दूरदर्शी थिंक टैंक की लाठी बिना आवाज की

hhjgjgआज से दो साल पहले तक जो पश्चिमी देशों के शासन के कुछ लोग, भारतियों को अपने से काफी तुच्छ समझ कर, अपने चमचे पाकिस्तान की हर गलती पर भी, भारत को भी सुधरने की नसीहत देते थे, आज उन्ही पश्चिमी देशों के शासन के लोगों को ना जाने क्या हुआ है कि वे सभी, भारत की ही जबान का जमकर समर्थन करते हुए, पाकिस्तान को एक देश नहीं, बल्कि आतंकवाद पैदा करने की फैक्ट्री साबित करने पर तुले हुए हैं !

और इतना ही नहीं, पश्चिमी देशों के शासन के कुछ लोगों द्वारा जो पहले जान – जान कर अनजान बनने का नाटक करते हुए पाकिस्तान को खूब आर्थिक मदद दी जाती थी, अब उस पर भी गम्भीर प्रश्न उठने लगे हैं !

केवल कुछ पड़ोसी देशों को छोड़ दिया जाय तो विश्व के बहुत से देश के रुख अचानक से भारत के पक्ष में क्यों मुड़ रहें हैं जबकि आज से 2 साल पहले तक तो जिसको देखो वही भारत को घुड़की देने से बाज नहीं आता था !

मोदी जी से पहले की सरकार ये काम क्यों नहीं कर पायी, अब ये सबको पता चल चुका है, लेकिन मोदी जी ये काम क्यों कर पा रहें है इसका एक मात्र कारण है कि, मोदी जी धीरे धीरे विश्व के हर देशों को अच्छे से यह समझाने में कामयाब होते जा रहें है कि जितनी जरूरत हमें तुम्हारी है, उससे कम जरूरत तुम्हे हमारी नही है इसलिए अगर तुम्हारी जरूरत, तुम्हारे फायदे में हम तुम्हारा साथ दे रहें हैं तो तुम कैसे हमारी जरूरत, हमारे फायदे में साथ देने से पीछे हट सकते हो !

इस स्तर का जिगर या तो पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी में देखने को मिला या तो मोदी जी में !

उड़ी हमले के बाद मोदी जी ने केरल में भाषण दिया कि आओ लड़ना है तो गरीबी से लड़ें, अशिक्षा से लड़ें आदि आदि, जिसे सुनकर कई उत्साही युवा देशभक्तों को निराशा हुई और कुछ के मन में यह विचार भी आया कि क्या मोदीजी भी बाकि लोगों की तरह डरपोक ही हैं जो पाकिस्तान को जवाब देने में डर रहें है !

इसका उत्तर यही है कि, वास्तव में युद्ध होता क्या है, इसका अंदाजा ड्राइंग रूम में रखे टेलीविज़न से नहीं लग सकता ! युद्ध तो वो दोधारी तलवार है जो दोनों ओर के लोगों को मारती है ! महाभारत में अगर कौरवों का समूल नाश हुआ तो पांडवों की तरफ से भी कई लोग मारे गए जबकि उनके साथ तो स्वयं सत्य स्वरुप श्री कृष्ण खड़े थे !

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एक युद्ध के कितने तुरंत के और कितने दूरगामी दुष्परिणाम (जैसे – आर्थिकमन्दी, महंगाई, बेरोजगारी, निर्दोषों का रक्तपात आदि) होतें है यह युद्ध भोगी देश की जनता ही समझ सकती है !

महाभारत में पांडवों ने भी युद्ध टालने के लिए हर संभव प्रयास किये थे और अपनी पूरी संपत्ति छोड़कर सिर्फ 5 गावों तक पर समझौता करने को तैयार हो गये थे लेकिन जब इससे भी काम नहीं बना तो ही उन्होंने युद्ध किया था ठीक इसी तरह भारत को जब तक सारे कूटनैतिक प्रयास फेल ना हो जाय तब तक युद्ध शुरू नहीं करना चाहिए !

तेल और हथियार मार्केट में हुई बड़ी उठापटक के चलते भी कई देशों में रोज नयी दोस्ती, दुश्मनी के समीकरण बन रहें हैं और कुछ देश तो ऐसी स्वार्थी सोच पर भी उतर आयें है कि वे विश्व के एक बड़े हिस्से को जानबूझकर युद्ध की आग में झोक देना चाहते हैं !

तो ऐसे कठिन समय में तुरंत ताव में आकर युद्ध शुरू कर देना बुद्धिमानी नहीं होगी जबकि कई देश इसी ताक में बैठे हैं कि कब आपका युद्ध शुरू हो और कब उन्हें उस युद्ध के माहौल में तेल, हथियार आदि बेचकर अपार पैसा कमाने का मौका मिल सके !

एक बुद्धिमान और दूरदर्शी लीडर वही होता है जो अपने को पीड़ा पहुचाने वाली बातों का उत्तर जगजाहिर करके नहीं देता जिससे विरोधियों के मन में हमेशा डर बना रहता है कि ना जाने यह ऊंट किस – किस करवट बैठेगा इसलिए ऐसे लीडर्स की लाठी कब बिना आवाज किये हुए, अत्याचारियों को आकर लग जाती है यह उन्हें चोट का दर्द महसूस होने पर ही पता लग पाता है !

भारत का अनुभवी थिंक टैंक को पता है कि अन्दर से एकदम कंगाल हो चुका पाकिस्तान आज कि डेट में कभी भी आमने सामने की लड़ाई नहीं लड़ेगा जब तक कि कोई दूसरा देश खुल्लम खुल्ला उसके समर्थन में आकर खड़ा ना हो जाय ! इसलिए मोदी जी के ईमानदार दबाव की वजह से, भारत का ख़ुफ़िया तंत्र दिन रात कोशिश कर रहा है कि कोई हमला भारत में दुबारा बिल्कुल ना होने पाए !

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