गैस, अपच, ज्यादा या कम भूख व अन्य सभी पेट के रोगों की यौगिक चिकित्सा

cure stomachache gas fart constipation kabja abdomen pain foul smelling treatment by ayurveda yoga asanas pranayama herbal jadibuti medicines aushadhi dawa diseases remedy naturopathyआज के समय में अधिकाँश लोगों को ताड़ासन के बारे में सिर्फ यही पता होता है कि इसको करने से बच्चों के शरीर की हाइट (लम्बाई) बढ़ती है या ज्यादा से ज्यादा जॉइंट्स (जैसे घुटने, कमर, गर्दन आदि) की समस्या में लाभ मिलता है !

जबकि वास्तविकता इससे कई गुना ज्यादा है क्योंकि ताड़ासन वास्तव में शरीर में एक ऐसा सुधार तुरंत कर सकता है जिससे पूरी पाचन प्रकिया पर बहुत ही सकारात्मक असर पड़ता है !

भगवान शिव की प्रेरणा से पतंजलि ऋषि ने जिन अलग अलग आसनों का आविष्कार किया था, उन सभी आसनों की अपनी अलग अलग यू. एस. पी. (अनोखी विशेषता) है और इसी क्रम में ताड़ासन का विशेष गुण है कि यह शीघ्रता से व बलपूर्वक, कुपित अपान वायु का नियमन करता है !

अपान वायु क्या होती है और ये कहाँ रहती है, आईये विस्तार से जानतें हैं इसके बारे में-

नाभि के नीचे के जितने अंग हैं, उनकी कार्य प्रणाली को अपानवायु ही नियंत्रित करती है ! जो कुछ भी हम खाते पीतें हैं, उसे पचाना और उसके बाद जो व्यर्थ बचता है, उसे मल, मूत्र के रूप में बाहर निकलना, यह सभी कार्य अपानवायु से ही संचालित होते हैं !

वास्तव में अपान वायु ही हमारी पूरी पाचन क्रिया को कंट्रोल करती है, जैसे गालब्लेडर, लिवर, छोटी आंत, बड़ी आंत, ये सभी इसी क्षेत्र में आते हैं !

हर मानव के शरीर में प्राण वायु के जो पांच मुख्य प्रकार होतें हैं उनमें से एक अपान वायु भी होती है, और यह अपान वायु कुपित क्यों होती हैं, इसके अनेक कारण हो सकतें हैं जिनके बारे में “स्वयं बनें गोपाल” समूह अक्सर अपने लेखों में प्रकाशित करता रहता है इसलिए विस्तार भय से पुनः उन कारणों को यहाँ प्रकाशित नहीं किया जा रहा है, किन्तु उन कारणों को जानने के लिए आप इस लेख के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकतें हैं- मांसपेशी के खिचाव गठिया नस चढ़ना साल पड़ना तनाव के दर्द का आसान घरेलू उपाय !

सारांश रूप में इतना जानें कि अनियमित दिनचर्या या गलत खान पान की वजह से ही मुख्यतः अपान वायु कुपित हो जाती है !

अब जरा सोचिये कि शरीर के स्वस्थ रहने के लिए अपान वायु का सुचारू रूप से कार्य करना कितना ज्यादा जरूरी है क्योंकि इसके गड़बड़ हो जाने पर तो शरीर में सिर्फ पाचन तंत्र की गड़बड़ी ही नहीं बल्कि कई अन्य भयंकर शारीरिक रोग भी पैदा हो सकतें है !

निष्कर्ष यही है कि जब तक अपान वायु (अर्थात पाचन तंत्र) स्वस्थ है तब तक शरीर को आवश्यक पोषण मिलता रहेगा जिससे शरीर स्वस्थ बना रहेगा लेकिन जब अपान वायु थोड़ा या ज्यादा कुपित हो जाती है तो पाचन क्रिया भी उसी अनुसार थोडा या ज्यादा कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से उचित पोषण (भले ही व्यक्ति कितना भी काजू, किशमिश, बादाम, दूध, घी खाए पीये) के अभाव में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी थोड़ा या ज्यादा कमजोर होने लगती है !

इसलिए भी यह कहा जाता है कि शरीर की लगभग सभी बिमारियों (चाहे वह कैंसर हो या जुकाम हो या अन्य कोई बिमारी) की शुरुआत, कहीं ना कहीं पेट की खराबी (अर्थात अपान वायु की खराबी) की वजह से ही उत्पन्न होती है !

अतः ताड़ासन अपान वायु का बलपूर्वक नियमन करके पूरी पाचन क्रिया को शीघ्र संतुलित करता है !

ताड़ासन से पेट में गैस बनने की बिमारी में भी बहुत लाभ मिलता है ! पाचन शक्ति मजबूत हो जाने से खाया पिया सब अच्छे से पच जाता है जिससे खूब खून बनता है (जिससे हिमोग्लोबिन ठीक रहता है), खट्टी डकार, एसिडिटी, कब्ज आदि की समस्या में लाभ मिलता है ! पाइल्स रोगियों को ताडासन करने से लाभ मिलता है !

अगर किसी को भूख ज्यादा लग रही हो तो ताड़ासन के प्रभाव से उसकी अनावश्यक भूख घटकर सामान्य हो जाती है और यदि किसी को भूख कम लग रही हो तो उसकी भूख भी बढ़कर एक स्वस्थ आदमी जितनी हो जाती है !

अपान वायु के नियमन हो जाने से सरवाईकल स्पान्डयलोसिस (गर्दन दर्द), गठिया (घुटने या चाहे किसी भी अन्य अंग का हो), कमर व पीठ दर्द, स्याटिका आदि में काफी लाभ मिलता है !

वास्तव में अपान वायु के कुपित होने पर ही लकवा व बुढ़ापे में हाथ पैर के कापने की बीमारी होती है, जो कि ताड़ासन करने वालों को कभी भी नहीं हो सकती (जब तक कि कोई खाने पीने या दिनचर्या में विशेष बदपरहेजी ना करें) !

योग शास्त्र अनुसार इस योग को करने से, ना केवल पेट बल्कि छाती के भी सभी प्रकार के रोग नष्ट होते हैं क्योंकि इसको करने हृदय को पर्याप्त बल मिलता है जिसकी वजह से हृदय की अनियमित धडकन में भी लाभ मिलता है ! ताड़ासन करते समय पूरे शरीर की हड्डियों पर जोर पड़ने की वजह से पूरे शरीर की हड्डियाँ व उनके जॉइंट्स मजबूत व लचीले बनें रहतें हैं ! इस योग को करने से स्लिप डिस्क होने की संभावना नही रहती है ! इस योग से शरीर में संतुलन बनता है और वीर्यशक्ति में भी वृद्धि होती है।

ताड़ासन योग को करने से शरीर का आलस्य व सुस्ती चली जाती है ! इसके नियमित अभ्यास करते रहने से पंजे मजबूत होते हैं और पैरों में भी मजबूती आती है ! ताडासन करने से कंधों के जोड़ मजबूत होते हैं और सांस लेने-छोडऩे की प्रक्रिया सुधरती है !

शरीर में बुढ़ापे आने की सबसे पहली निशानियों में से एक होता है, कंधे व गर्दन का धीरे धीरे आगे की ओर झुकते जाना व इनका जाम भी होते जाना (मतलब कंधे व गर्दन का आसानी से दायें बाएं ना घूम पाना) ! ताड़ासन नियमित करने वाले इस निशानी से लम्बे समय तक दूरी बनाये रहतें हैं क्योंकि उनकी गर्दन व कंधे उसी तरह सीधे व लचीले बनें रहतें हैं जैसे किसी नौजवान के होतें हैं !

इसलिए ताड़ासन का 5 से 10 बार अभ्यास सभी को करना चाहिए ! ताड़ासन बहुत ही सुरक्षित आसन है और इसे बच्चे से लेकर वृद्ध स्त्री/पुरुष सभी आराम से कर सकतें हैं !

बुढ़ापे में तो इसका अभ्यास जरूर करना चाहिए ताकि जॉइंट्स की समस्या ना होने पाए (लेकिन बूढ़े स्त्री/पुरुषों को इसे धीरे – धीरे करना चाहिए ताकि जॉइंट्स व हड्डियों पर ज्यादा जोर ना पड़े) ! बच्चों को ताड़ासन नियम से करने से उनकी शरीर की हाइट तेजी से बढती है ! किसी बच्चे के माँ बाप की हाइट भले ही कम हो लेकिन ताड़ासन का रोज कई वर्षों तक अभ्यास करने वाले बच्चे की हाइट निश्चित ही काफी लम्बी होती है (शरीर की लम्बाई बढ़ाने के बारे में विस्तार से जानने के लिए कृपया इस लिंक को क्लिक करें- बच्चों के लम्बाई तेजी से बढ़ाने के लिए जबरदस्त यौगिक व आयुर्वेदिक नुस्खे ) !

ताड़ासन खड़े होकर भी किया जा सकता है और लेटकर भी ! खड़े होकर करना हो तो पैर आपस में सटाकर एकदम सीधे खड़े हो जाएँ और दोनों हाथ उपर उठाकर, भरपूर सांस फेफड़ों के अंदर भरते हुए शरीर को उपर की ओर खीचते हुए पंजो के बल खड़े हो जाएँ ! जब तक सांस अंदर रोक सकतें हों तब तक शरीर को ऊपर खीचतें रहें ! फिर जब सांस बाहर निकालें तो, हाथ नीचे करते हुए शरीर को वापस आराम की मुद्रा में लेते आयें ! यह हुआ एक बार ताड़ासन ! इस तरह 5 से 10 बार रोज करें !

ठीक इसी तरह लेटकर भी किया जा सकता है ! किसी समतल जमीन पर चद्दर या कम्बल बिछाकर, पीठ के बल लेटकर, बाहों को कान के बगल में सीधे रखकर सांस अंदर भरकर खीचे ! नाभि के ऊपर का हिस्सा हाथ की तरफ खीचें तो नाभि के नीचे का हिस्सा पंजे की ओर खीचें !

चाहे लेटकर कर ताड़ासन करें या खड़े होकर, लेकिन दो बातों को हमेशा याद रखें; पहली बात यह है कि शरीर को ना बहुत ज्यादा जोर से खीचें और ना ही बहुत हल्के से खीचें, मतलब शरीर को मध्यम ताकत से खीचें ! और दूसरी बात यह है कि ताड़ासन करते समय पैर, पीठ, गर्दन व हाथ एकदम एक सीध में होने चाहिए, नहीं तो खिचाव आ सकता है !

ताड़ासन करते समय अन्य सावधानियां भी वही हैं जो अन्य सभी योगासन व प्राणायामों में होतीं हैं, जैसे किसी लिक्विड भोजन (चाय, कॉफ़ी, दूध, पानी आदि) के एक से डेढ़ घंटे बाद और सॉलिड भोजन (लंच, डिनर आदि) के 3 से 4 घंटे बाद इसे करना चाहिए ! 6 महीने के अंदर कोई ऑपरेशन हुआ हो अथवा अपेंडिक्स या हर्निया की शिकायत हो या गर्भवती हों तो नहीं करना चाहिए !

ताड़ासन के अलावा 20 मिनट कपालभाति व 10 मिनट अनुलोम विलोम करने से भी गैस व अन्य वायु रोगों में बहुत ही लाभ मिलता है !

दोनों वक्त भोजन (लंच व डिनर) करने के तुरंत बाद 10 मिनट से लेकर आधा घंटा तक वज्रासन में बैठने से सभी पेट के रोगों में जबरदस्त लाभ मिलता है !

जिन्हें बेहद जिद्दी किस्म की कब्ज की बिमारी हो, वे ऊपर लिखे हुए उपायों को करने के अतिरिक्त, निम्नलिखित लेख के लिंक को क्लिक कर बहुत से आसान व प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय भी जान सकतें हैं- सारी बिमारियों की जड़ कब्ज का परमानेंट आयुर्वेदिक इलाज

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