ज्योतिष के अनुसार क्या कारण व निवारण हो सकता है मोटापा का
मोटापा घटाने के लिए अगर हम आध्यत्मिक उपायों को देखे तो वेरी सायिंटीफिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोटापा होना या ना होना तय करता है, मानव की जन्म कुंडली के अनुसार बृहस्पति ग्रह की स्थिति पर !
मतलब आसान भाषा में कहें तो अगर कुंडली में बृहस्पति ग्रह से सम्बन्धित समस्या हो तो मानव जल्दी मोटापा का शिकार हो सकता है !
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह का मुख्यतः वास होता है गुरु (मार्गदर्शक) में इसलिए जिन्होंने अपने पूर्व के किसी जन्म में, अपने गुरु को बहुत दुखी या परेशान किया होता है उनके इस जन्म की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति समस्याकारक हो सकती है !
उदाहरण के तौर पर “स्वयं बनें गोपाल” समूह एक ऐसे सज्जन को जानता था जिनका वजन बढ़ने लगता था अगर वो बिना किसी एक्सरसाइज के खाने पीने में लापरवाही करें ! उन सज्जन को ये तो पता था कि उनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर है, लेकिन ग्रह कमजोर क्यों है ये उन्हें बाद में संतपुरुषो की कृपा से पता चला था !
संतपुरुषों द्वारा उन सज्जन को पता चला था कि पूर्व के किसी जन्म में वे सज्जन मोक्ष प्राप्त करने के लिए, अपने ईमानदारीपूर्वक अपरम्पार कमाई करवाने वाले व्यापार और अपनी पत्नी को युवावस्था में ही छोड़कर, सन्यासी बनकर घर से बहुत दूर जंगल में तपस्या करने चले गये थे !
उस समय उन्हें सन्यास ना लेने के लिए उनकी पत्नी और गुरु ने बहुत समझाया था, लेकिन वे नहीं माने और अंततः चले गये थे ! जिसकी वजह से उनकी पत्नी और गुरु को बहुत दुःख हुआ था !
उनके गुरु ने उन सज्जन को समझाया था कि तुमने शादी की है इसलिए तुम्हारा पहला कर्तव्य है अपने परिवार के पालन पोषण के साथ – साथ गरीबो की सहायता के लिए धन कमाओ और धन कमाने के बाद जो थोड़ा – बहुत समय बचे, सिर्फ उसी में ईश्वर की आराधना करोगे तब भी मोक्ष जरूर मिल जायेगा क्योकि गृहस्थ धर्म किसी मामले में सन्यास धर्म से कम महत्वपूर्ण नही होता है !
लेकिन उन सज्जन को लगा कि धन जैसी तुच्छ, नाशवान व मायावी चीज के लिए मै अपने जीवन के कीमती दिन क्यों नष्ट करू इसलिए मुझे तुरंत परम सुख यानी मोक्ष प्राप्ती की तलाश में निकल जाना चाहिए और उन्होंने किया भी वही, यानी सबको रोता – दुखी छोड़कर सन्यासी बन गये और फिर कभी लौटकर वापस नही आये !
पुराने जमाने में गुरु लोग अपने शिष्यों को पुत्र के समान प्यार करते थे इसलिए उन सज्जन के चले जाने से उनके गुरु को भी अथाह दुःख हुआ जिसका नतीजा था कि उन सज्जन के इस जन्म में कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति कमजोर थी !
इतना ही नहीं उन सज्जन को ना तो उस जन्म में मोक्ष मिला और ना ही वे आगामी जन्मों में अपनी उच्च विद्वता के बाद भी कोई ख़ास धनार्जन कर पाए (यानी “ना राम मिले ना माया”) क्योकि उन्होंने पिछले जन्म में ईमानदारीपूर्वक आते हुए धन की भी अवेहलना की थी और साथ ही साथ अपने गुरु व पत्नी के भीषण दुखों को अनदेखा करके, ईश्वर को खुश करने चले थे !
हालांकि वर्तमान जन्म में उन सज्जन ने कई जरूरतमंदों की उचित सहायता करके अपनी उन गलतियों का प्रायश्चित कर लिया है ! वास्तव में देखा जाए तो यह कोई चमत्कार नही, बल्कि एक सीधा सा सिद्धांत है कि “जैसा करोगे वैसा आज नहीं तो कल भुगतोगे ही” क्योकि बिना भोगे किसी भी हाल में छुटकारा नही मिलने वाला है (हालांकि अपवाद स्वरुप कुछ बेहद परोपकारी किस्म के ऐसे स्त्री – पुरुष भी होते हैं जो सिर्फ इसलिए ही जन्म लेते है ताकि वे दूसरों के अधिक से अधिक कष्टों को स्वेच्छा से अपना बनाकर दूसरों को सुखी कर सकें; जैसे श्री गौतम बुद्ध) !
खैर दुनिया के सभी आदमी – औरतों की कुंडली में कोई ना कोई ग्रह हमेशा कमजोर तो होता ही है ! और हर समस्या का कोई ना कोई समाधान होता ही है !
इसलिए अगर किसी की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति ठीक ना हों तो वह भी अपने वर्तमान जन्म के गुरु को प्रसन्न करके, अपने बृहस्पति ग्रह को मजबूत कर सकता है !
लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या ये है कि आजकल सही गुरु मिलते कहा हैं ! इसलिए सही गुरु की तलाश में व्यर्थ समय बर्बाद करने की बजाय अपनी जन्मदाता माँ को ही अपना गुरु मानकर, रोज सुबह उठते ही उनके पैर छूने का अति पवित्र काम करना शुरू कर देना चाहिए (अगर माता जीवित ना हो या साथ में ना रहती हों तो उनका मानसिक रूप से ध्यान करके पैर छूना चाहिए) !
लगभग हर आध्यात्मिक पुस्तकों में लिखा गया है किसी भी मानव की सबसे पहली और सबसे बड़ी गुरु उसकी माँ ही होती है इसलिए माँ चाहे जैसी भी हो, हमेशा कोशिश यही करना चाहिए कि माँ को कभी भी दुख ना पहुचें !
इस बात को तो कई मॉडर्न लीजेंड्स ने भी स्वीकारा है कि जिसके ऊपर माँ का आशीर्वाद है उसका कभी क्या कोई बिगाड़ सकता है ! यहाँ तक कि खुद भगवान गणेश जी को भी गणाधिपति का सम्मानित पद, केवल अपने माता – पिता की आदरपूर्वक परिक्रमा करने मात्र से प्राप्त हो गया था !
इसलिए माँ चाहे अपनी जन्मदात्री हो या गौमाता हों या भारत माता हर हाल में पूज्यनीय हैं !
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