जब तक हम “सही कारण” को नहीं हटायेंगे तब तक उससे मिलने वाली “तकलीफ” से परमानेंट मुक्ति कैसे पा सकेंगे
बड़ा ही सीधा सा सिद्धांत है कि जब तक किसी समस्या का “कारण” (reason) मौजूद है तब तक उस समस्या से परमानेंट मुक्ति कैसे मिल सकती है ! जैसे जिस कील की वजह से टायर पंक्चर हुआ है उसे बिना हटाए टायर फिर से पंक्चर मुक्त कैसे हो सकेगा !
इस साधारण सच्चाई को बचपन से ही अनगिनत बार महसूस करने के बावजूद पढ़े – लिखे लोग भी ना जाने क्यों अपने जीवन की बहुत सी तकलीफों को ठीक करने के लिए, उसके पीछे छिपे हुए असली कारण को खोजकर हटाने की जगह, किसी सुखद चमत्कार की आशा में बैठकर इन्तेजार करते रहतें हैं !
इसे भी तो सभी लोगों ने कभी ना कभी अपने जीवन में जरूर महसूस किया होगा कि इस दुनिया में चमत्कार नाम की कोई चीज होती ही नही है क्योकि जो कुछ भी होता है वो किसी ना किसी तरह के कर्म की मेहनत का फल होता है भले ही वो कर्म इस जन्म का हो या पूर्व के किसी जन्म का !
और इसी कर्म में आता है सबसे पहले उस कारण को ठीक से खोजना, जिसकी वजह से कोई समस्या पैदा हुई है ! जैसे किसी आदमी को कब्ज के कारण पेट में दर्द हो रहा हो और वो आदमी पेट साफ़ करने का तरीका आजमाने की जगह, दर्द दूर करने का तरीका आजमाए तो उसे कितना फायदा मिलेगा ! वही आदमी अगर कब्ज दूर करने के लिए कोई दस्तावर आयुर्वेदिक चूर्ण, शंख प्रक्षालन यौगिक क्रिया या होम्योपैथिक दवा आदि को आजमाए तो उसे बहुत जल्दी लाभ मिल सकता है, लेकिन अगर वही आदमी जानबूझकर अनजान बनते हुए दर्द दूर करने के लिए कोई पेन किलर टैबलेट (Pain Killer tablet ) खाए तो क्या उसका पेट दर्द परमानेंटली ठीक हो सकेगा !
भगवान ने हम मानवों को बाहुबल के साथ – साथ बुद्धि भी दी है ताकि हम उसका भरपूर इस्तेमाल कर सकें ! आपने शायद कभी इस तरह सोचा ना हो लेकिन ये सच है कि हम सभी लोग अपने जीवन में इंजिनियर, डॉक्टर, प्रोफ़ेसर या कोई ऑफिसर आदि बन पायें या ना बन पायें, लेकिन हमें एक साइंटिस्ट (वैज्ञानिक ) जरूर बनना पड़ता है अगर हमें सुखी रहना है तो (क्योकि जब हम साइंटिस्ट की तरह अपने साथ होने वाली हर अच्छी – बुरी घटनाओं के कारणों को खोज पायेंगे तभी उन घटनाओं का अपने जीवन में दुबारा होना या ना होना सुनिश्चित कर सकेंगे) !
कलियुग के प्रभाव की वजह से तामसिक आदतों (जैसे- निन्दा, नशा, मांस, आलस्य आदि ) में तो इंटरेस्ट पैदा होना स्वाभाविक है लेकिन एक कम्पलीट साइंटिस्ट वही होता है जिसमें इंटरेस्ट होता है अपने और दूसरों के जीवन के हर दुःख व सुख के पीछे छिपे हुए कारणों से कुछ ना कुछ सीखने की ताकि उन जानकारियों से अधिक से अधिक परेशान लोगों का भला हो सके !
वास्तव में हर समस्या का सही कारण खोज पाना इतना आसान काम भी नहीं है ! देखा जाए तो आज दुनिया भर में जितने भी तरह के साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स हो रहें हैं उन सब के मूल में किसी ना किसी तरह के “कारण” को खोजना ही है !
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि हमारा मन हर समय कुछ ना कुछ खोजता रहता है ! क्योकि परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार हमारे इस ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा जी ने जो हम लोगों की सृष्टि बनाई है उसकी मुख्य थीम (theme ) ही है “खोज” इसलिए हम सभी जीवों का मन अपने आप मजबूर रहता है किसी ना किसी खोज में !
ऐसा नहीं है कि हमारे ब्रह्मांड की जो थीम है वही दूसरे ब्रह्मांड की भी हो क्योकि अंतहीन ईश्वर ने अंतहीन ब्रह्मांड बनाएं है और हर ब्रह्मांड के अलग – अलग रचयिता ब्रह्मा, एक ही ईश्वर से अलग – अलग प्रेरणा पाकर अलग – अलग तरह की सृष्टि की रचना करतें हैं ! इस बात का संकेत रामचरितमानस में भी दिया गया है जब श्री काकभुशुण्डि जी भगवान राम को बालक रूप में देखकर यकीन ही नही कर पा रहे थे कि साधारण बालकों की तरह रोने वाला यह लड़का क्या वाकई में अनंत ब्रह्मांडों को बनाने वाला भगवान है !
तब बालक श्री राम ने अपनी सांस से काकभुशुण्डि जी को अपने पेट के अंदर खीच लिया था और पेट के अंदर काकभुशुण्डि जी ने अनंत ब्रह्मांड देखे और हर ब्रह्मांड के जीव (यानी एलियंस; Aliens) एकदम अलग – अलग थे ! कई जीव बेहद विशाल थे तो कई जीव बेहद छोटे ! कई ब्रह्मांडों की सृष्टि बहुत ही सुंदर थी तो कई की कल्पना से भी ज्यादा भयानक थी ! काकभुशुण्डि जी को बालक राम के पेट में घूमते – घूमते करोड़ो वर्ष बीत गये और उन्हें बाहर निकलने का रास्ता ही नही मिल रहा था तो अंततः उन्होंने भगवान राम की स्तुति की तब बालक राम ने उन्हें फिर से अपनी नाक से बाहर निकाल दिया ! बाहर आने पर काकभुशुण्डि जी को पता चला कि अभी तो मात्र कुछ ही घड़ी समय बीता है तब उन्हें समझ में आया की भगवान को “समय” से भी परे क्यों कहा गया है !
खैर हम लोगों पर तो हमारे ही ब्रह्माण्ड के नियम लागू होंगे और उस हिसाब से तो किसी न किसी “कारण” को खोजने की जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया से मुक्ति मिल पाना सम्भव नही है ! इसलिए आपने गौर किया होगा कि जब तक डॉक्टर को भी किसी बिमारी का सही कारण पता नही चल जाता है तब तक वो इलाज शुरू ही नही करता है ! तो निष्कर्ष यही है कि किसी कठिन समस्या को अगर ठीक करना हो तो यथासंभव या तो खुद की बुद्धि से या किसी एक्सपर्ट की मदद से समस्या का सही कारण खोजने की कोशिश करनी चाहिए !
आईये अब हम आपको आपकी जिन्दगी से मिलते – जुलते कुछ ऐसे प्रैक्टिकल उदहारण बता रहें जिससे आपको ज्यादा अच्छे से समझ में आ सकेगा कि सही कारण को ना खोज पाने की वजह से, किसी कठिन समस्या से मुक्ति पाने में कितना व्यर्थ समय बर्बाद हो सकता है ! जैसे-
“स्वयं बनें गोपाल” समूह एक होम्योपैथी के दुर्लभ जानकार चिकित्सक द्वारा सही “कारण” को खोज पाने के कई आश्चर्यजनक परिणाम देख चुका है ! जैसे- एक बार उन चिकित्सक महोदय ने एक ऐसे पेशेंट के एक्सीडेंट की वजह से उत्पन्न हुए घाव को ठीक किया था जिसका एलोपैथी चिकित्सा आधारित अलग – अलग सर्जन्स द्वारा 3 बार ऑपरेशन करने के बावजूद भी घाव से बहने वाला पस (मवाद ) नही रुक रहा था !
मवाद ना रुक पाने का सही कारण था एक्सीडेंट की वजह से टूटा हुआ एक हड्डी का एक बेहद छोटा टुकड़ा जो कि घाव के अंदर ही कहीं फसकर लगातार मवाद बना रहा था और जिसे सर्जन्स समझ ही नही पा रहे थे और बार – बार बेवजह ऑपरेशन किये जा रहे थे जिसकी वजह से पेशेंट और उसकी फैमिली को काफी शारीरिक व मानसिक तकलीफों को झेलना पड़ रहा था ! लेकिन बुद्धिमान होम्योपैथ चिकित्सक ने अपने अनुभव के आधार पर ऐसी दवा दी कि वो हड्डी का टुकड़ा खुद ही कुछ दिनों बाद मवाद के साथ बहकर बाहर आ गया जिसके कुछ ही दिनों बाद घाव एकदम ठीक हो गया !
अब दूसरा उदाहरण एक ऐसे बालक का है जो कि बचपन की उम्र पार करने के बाद जब बड़ा होने लगा तो उसके घर वालों ने गौर किया कि वो लड़का हमेशा अपनी गर्दन एक तरफ झुकाकर बात करता है ! शुरू में घर वालों ने समझा कि गर्दन की नस में कोई खिचाव आया होगा इसलिए उस लड़के का क्रिकेट खेलना जैसा मेहनत वाला हर काम को बंद करवा दिया गया ! लेकिन जब इसके बावजूद भी ठीक नही हुआ तो घर वालों ने समझा कि गर्दन की हड्डी में कोई प्रॉब्लम है इसलिए वे उस लड़के को लेकर हड्डी के डॉक्टर के पास गये ! डॉक्टर ने सारी जांच की तो उन्हें भी कोई कारण समझ में नहीं आया तो उन्होंने अंततः गर्दन की कुछ एक्सरसाइज बताकर विदा कर दिया !
लेकिन जब एक्सरसाइज से भी फायदा नहीं मिला तो घर वालों ने होम्योपैथ डॉक्टर को दिखाया ! डॉक्टर ने उस बच्चे का बचपन से लेकर अब तक का पूरा इतिहास उसके माँ – बाप से पूछा और उस बच्चे के शरीर की जांच भी अच्छे से की तो पाया कि उस लड़के को एक कान से कम सुनाई देता है जिसकी वजह से वो लड़का उस कान को हमेशा दूसरों के नजदीक करके बात सुनने की कोशिश करता था, इसलिए उसकी गर्दन टेढ़ी या झुकी हुई दिखाई देती थी !
कान से कम सुनाई देने की वजह थी उस बच्चे की माँ की वो लापरवाही जब वो बचपन में उसके मुंह में दूध की बाटल लगाकर अपने घरेलु काम में व्यस्त हो जाती थी और बाटल से निकलने वाली दूध की धार रोज बच्चे के मुंह से बाहर निकलकर रिसते हुए बच्चे के एक कान में भी जाती थी !
अब देखिये सही कारण पता लग जाने से इलाज का पूरा तरीका ही बदल गया क्योकि कहाँ अभी तक उस लड़के के गर्दन की हड्डी में प्रॉब्लम को कारण मानकर इलाज हो रहा था जबकि कारण उसके कान की प्रॉब्लम थी !
आईये अब बात करते हैं तीसरे और आखिरी उदाहरण की ! ये किस्सा है 37 वर्षीय एक ऐसी अविवाहित महिला का जो इस बात से काफी परेशान थी कि आये दिन उसे आर्थिक तंगी का सामना क्यों करना पड़ता है ! वो महिला वेल क्वालिफाइड थी और एक संस्कारी परिवार से सम्बन्ध रखती थी लेकिन अक्सर उसे अपनी रोजमर्रा की जरूरी चीजों को खरीदने के लिये भी पैसे कम पड़ जाते थे ! उस महिला के पिता अपने जमाने के प्रसिद्ध व्यक्ति थे लेकिन कई वर्ष पूर्व उनका स्वर्गवास हो जाने की वजह से घर में धीरे – धीरे गरीबी आ गयी थी और कमाई का कोई फिक्स जरिया ना होने की वजह से खाने – पीने के भी किल्लत होने लगी थी !
अपनी इन्ही सब समस्याओं का कहीं से कोई उचित समाधान ना पाकर वह महिला एक दिन निराश होकर गूगल (Google) पर समाधान खोज रही थी कि अचानक से उसे “स्वयं बनें गोपाल” समूह की वेबसाइट पर प्रकाशित माँ सरस्वती का आर्टिकल (जिसका लिंक है- सभी बिमारियों, सभी मनोकामनाओं व सभी समस्याओं का निश्चित उपाय है ये) पढ़ने को मिला ! उसे यह लेख पसंद आया तो उसने “स्वयं बनें गोपाल” समूह के कई और आर्टिकल्स भी पढ़े, जिसके बाद उसने अंततः यह सही निष्कर्ष निकाला कि भगवान कभी भी किसी को सीधे पैसा नहीं देते हैं बल्कि उसकी बुद्धि और मेहनत में लगातार बढ़ोत्तरी करते जातें हैं जिससे उस भक्त की कमाई भी लगातार बढ़ने लगती है !
वास्तव में इस दुनिया की कड़वी सच्चाई यह है कि दुनिया का हर आदमी अपने आप को बेहद बुद्धिमान व जानकार समझता है लेकिन जब किसी भक्त के ऊपर ईश्वरीय कृपा होती है तब उसे यह सच्चाई पता चलती है कि उससे बड़ा मूर्ख कोई और है ही नहीं क्योकि अभी तक तो उसने कुछ जाना ही नहीं और उसके बावजूद भी उसे अपनी विद्वता का मन के किसी कोने में घमंड भी हो गया था (इसलिए दुनिया के सबसे बड़े जानकार यानी ऋषि मुनियों ने भी कहा है कि “जब दिखने लगता है तब वाणी मौन हो जाती है” अर्थात ईश्वरीय कृपा से जब किसी को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है तब वह ईश्वर के अंतहीन साम्राज्य को देखकर आश्चर्य के सागर में डूबकर किसी गूंगे के समान स्पीचलेस यानी स्तब्ध हो जाता है ! इसलिए ऋषि – मुनि समाधि की अवस्था में हजारों सालों तक केवल स्तब्ध भाव से ईश्वर की अंतहीन सृष्टि को निहारते रहते हैं और अंत में इसी निष्कर्ष पर पहुचतें हैं कि हमने तो अभी तक कुछ जाना ही नही) !
तो उस महिला ने भी “स्वयं बनें गोपाल” समूह के आर्टिकल में दी गयी जानकारी अनुसार माँ सरस्वती का नाम जप शुरू किया ! ज्यादा जपने के दौरान उसे “जितेन्द्रिया” नाम के उच्चारण में दिक्कत आ रही थी (क्योकि उसे लगा कि उसके द्वारा बचपन से बोले जाने वाले उसके प्रदेश के क्षेत्रीय भाषा की टोन की वजह से शायद वह “जितेन्द्रिया” नाम का सही उच्चारण नही कर पा रही है) इसलिए उसने केवल “जय माँ सरस्वती” ही जपना शुरू किया !
अपनी रोजमर्रा की दिक्कतों से उस महिला को जितना ज्यादा फ्रस्ट्रेशन, चिंता, दुःख आदि होता वह उतना ही ज्यादा “जय माँ सरस्वती” का जप करती थी ! उसे दिन – रात में जब भी थोड़ा सा खाली समय मिलता वो माँ सरस्वती का नाम लेना शुरू कर देती थी ! किसी दिन वो केवल 100 बार ही जप कर पाती थी तो किसी दिन 2 – 3 हजार बार तक जप कर लेती थी !
कुछ महीने में ही माँ सरस्वती का नाम जपने से उस महिला की बुद्धि की गहराई व कांफिडेंस में काफी बढ़ोत्तरी हुई जिसकी वजह से उसकी सभी समस्याओं की गुत्थी खुद ही सुलझने लगी थी ! अब उसे खुद ही समझ में आने लगा कि उसकी आर्थिक तंगी का कारण है कमाई का जरिया ना होना, और कमाई का जरिया ना होने का कारण है उसकी कोई नौकरी ना लग पाना, और नौकरी ना लग पाने का कारण है उसका इंटरव्यू में अच्छा परफॉर्म ना कर पाना, और इंटरव्यू में अच्छा परफॉर्म ना कर पाने का कारण हैं उसके कांफिडेंस में कमी, और कांफिडेंस में कमी का कारण है उसका अपने आप को हमेशा अकेला असहाय असुरक्षित महसूस करना !
कुछ लोगों को यह मामूली बात लग सकती है लेकिन यह उस लड़की के लिए एक बहुत बड़ी खोज थी कि माँ सरस्वती की कृपा से अंततः वह इस निष्कर्ष पर पहुँच सकी कि उसकी अधिकाँश समस्याओं का मुख्य कारण आर्थिक तंगी नहीं है बल्कि उसका लगातार अकेला व इनसिक्योर महसूस करते रहना है ! इसलिए अब उसे सबसे पहले, सभी समस्याओं के कारण यानी अपने आप को अकेला असहाय महसूस करने की भावना का इलाज करना है और जिसका तुरंत सबसे बढ़िया समाधान है एक अच्छे जीवनसाथी यानी पति की तलाश !
अब यहाँ उस महिला के सामने एक बड़ा प्रश्न था कि उसे जल्द से जल्द एक अच्छा, सज्जन, नेक दिल का लड़का कहाँ से मिलेगा शादी के लिए ! और दूसरा प्रश्न उस महिला के सामने यह भी था कि क्या वो एक अच्छा पति पाना डिजर्व करती भी है या नहीं (क्योकि “जय माँ सरस्वती” जपने से उस महिला की बुद्धि काफी शुद्ध हो चुकी थी इसलिए अब वो बिना किसी भेदभाव के अपनी खुद की गलतियों व बुरी आदतों को भी महसूस कर सकती थी) क्योकि अब वह लड़की खुद महसूस कर रही थी कि उसकी असुरक्षा की भावना की वजह उसका स्वभाव काफी चिडचिडा, गुस्सैल, तुनकमिजाज व बद्तमीज टाइप का हो गया था जिसकी वजह से उसने जाने – अनजाने कई बार अपने कई अरिचित – परिचित लोगों को चुभने वाली कड़वी बातें बोल दी थी !
माँ सरस्वती का नाम जपने की वजह से उसका अंतर्मन अब दिन ब दिन पहले से ज्यादा पवित्र होता जा रहा था जिसकी वजह से उसके द्वारा की गयी पुराने से पुरानी और छोटी सी छोटी गलतियों की आत्मग्लानि अब उसे बेचैन कर रही थी इसलिए वो लड़की उन गलतियों के लिए यथासम्भव बारम्बार उसके द्वारा पीड़ित सभी लोगों से बिना किसी संकोच के माफ़ी मांगकर प्रायश्चित कर रही थी !
और अपने इसी माफ़ी मांगने की सर्वोत्तम स्तर की आत्मशोधन की प्रक्रिया के दौरान अचानक से उसका रिश्ता तय हो गया एक ऐसे संस्कारी परिवार से जो पूर्व में उस लड़की के झगड़ालू स्वभाव से नाराज होकर चले गये थे ! एक सुखी – सम्पन्न घर में शादी हो जाने के बाद उस लड़की को माँ सरस्वती की कृपा से एक और उपलब्धि मिली और वह उपलब्धी थी घर बैठे ही अच्छी कमाई देने वाले रोजगार की शुरुआत !
असल में माँ सरस्वती की कृपा से उस लड़की की बुद्धि पर से यह भ्रम भी हटा कि उसे जीवन में सफलता सिर्फ जॉब ही दिला सकती है क्योकि शादी के बाद, उसने अपने इंटरेस्ट के अनुसार अपने ससुराल में ही छोटी बच्चियों को सिखाने के लिए क्लासिकल डांस की ट्यूशन क्लासेस शुरू की, जो कुछ ही महीनों में एक फिटनेस सेण्टर में बदल गया और उसमें कई घरेलु महिलायें भी डांस द्वारा वजन कम करने के लिए आने लगी ! किसी जमाने में मात्र कुछ हजार की नौकरी को तरसने वाली वो महिला अब घर बैठे ही प्राप्त जानकारी अनुसार 2 लाख रूपये तक महीने कमाने लगी !
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है कि उस लड़की को माँ सरस्वती का नाम जप शुरू करने के पहले भी यह पता था कि उसे अब शादी कर लेनी चाहिए और उसे यह भी पता था कि एक बार उसे डांस टीचर बनकर भी पैसा कमाने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन इसके बावजूद भी उसका बुरा प्रारब्ध उसके मन में बार – बार यह भ्रम पैदा करता रहता था कि उसे शादी से ज्यादा जरूरत है एक अच्छी नौकरी की है ताकि शादी के बाद अगर उसके पति से कभी उसका झगड़ा हो जाए तो भी वो अकेले जीवन व्यापन कर सके ! और जहाँ तक डांस सिखाकर पैसे कमाने की बात है तो उसे खुद बिल्कुल भरोसा नहीं था कि वो डांस सिखाकर भी इतना पैसा कमा सकती है !
यही प्रारब्ध का वास्तविक मायाजाल है कि मकड़ी की तरह हम अपनी ही अपरिपक्व सोच के बनाये हुए काल्पनिक जाल में फसकर तरक्की नहीं कर पाते हैं जैसे क्षमता होने के बावजूद भी ये लड़की माँ सरस्वती का नाम जप शुरू करने के पहले तक कुछ ख़ास तरक्की नही कर पा रही थी ! पर ऐसे मौके पर काम आती है ईश्वरीय कृपा जो हमें यह विश्वास दिलाती है कि हमारी कार्यक्षमता प्रबल है इसलिए हम हर हाल में सम्मानजनक सफलता प्राप्त कर सकते हैं जैसा कि हुआ इस लड़की के साथ !
यहाँ पर एक और सत्य लाभ का वर्णन करना भी बेहद जरूरी है कि माँ सरस्वती का नाम जपने वाले भक्त से दूसरे लोग भी बुरा बर्ताव करना धीरे – धीरे कम करने लगते हैं ! अर्थात माँ सरस्वती का नाम जपने से भक्त का खुद का स्वभाव तो रोज पहले से ज्यादा सुधरता ही है और साथ ही साथ उस भक्त के सम्पर्क में आने वाले सभी बुरे आदमी भी उस भक्त से यथासंभव सिर्फ अच्छा बर्ताव ही करते हैं (जब तक कि कोई अकाट्य प्रारब्ध ना हो) जिससे भक्त बेवजह के झगड़ों व समस्याओं से हमेशा बचा रहता है !
आज के जमाने की एक बहुत बड़ी समस्या ये भी है कि हर माँ – बाप के मन में कहीं ना कही ये डर हमेशा बना रहता है कि उनकी लड़की/लड़के की शादी किसी ऐसे लड़के/लड़की से ना हो जाए जो सूटेबल (उपयुक्त) ना हो ! अतः यहाँ ये बात भी अच्छे से समझ लेने की जरूरत है कि माँ सरस्वती की पूजा करने वाली लड़की/लड़के की शादी, माँ सरस्वती की कृपा से सिर्फ उसी लड़के/लड़की से होगी जो उसके लिए सबसे अच्छा होगा (भले ही शादी के लिए कई और उससे अच्छे लगने वाले रिश्ते मौजूद हों लेकिन वाकई में कौन रिश्ता सबसे अच्छा साबित होगा इसका फैसला बुद्धि की देवी माँ सरस्वती से बेहतर कोई दूसरा नहीं कर सकता है) ! माँ सरस्वती की पूजा करने वाले भक्तों को धोखा देना बहुत मुश्किल होता है क्योकि देर – सवेर भेड़ की खाल में छिपे भेड़ियों का असली चेहरा माँ सरस्वती के भक्तो के सामने किसी ना किसी माध्यम से प्रकट हो ही जाता है !
वास्तव में इस कलियुग में हर आदमी के अंदर अच्छे विचार के साथ – साथ बुरे विचार भी होतें हैं इसलिए कोई आदमी उतना ही ज्यादा महान होता है जो अपने ऊपर जितने कम बुरे विचारों को प्रभावी होने देता है अतः अगर किसी स्त्री/पुरुष की किसी ख़राब स्वभाव वाले पुरुष/स्त्री से शादी हो भी चुकी हो तब भी उसको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है और तलाक जैसे कठोर क़दमों को उठाने से पहले एक बार उसे माँ सरस्वती की शरण में जरूर जाना चाहिए क्योकि “जय माँ सरस्वती” का जप करने से बुरे से बुरे जीवनसाथी के स्वभाव में भी पहले ही दिन से थोड़ा – बहुत सुधार आना निश्चित शुरू हो जाता है और अधिकतम 3 साल में उसके जीवनसाथी का स्वभाव इतना ज्यादा अच्छा हो जाता कि जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है !
तो ये रहा तीसरा उदाहरण जो कि बताता है कि कैसे एक महिला अपने जीवन की सभी समस्याओं का कारण पैसे की कमी समझ रही थी जबकि असली कारण था उसके अंदर मौजूद अकेलापन व असुरक्षा की भावना, जिसका इलाज होते ही (यानी जीवन के हर क्षण में साथ व सुरक्षा महसूस कराने वाले रिश्ते शादी में बंधते ही) उसके जीवन में हर तरफ से खुशियों की बहार आ गयी !
वास्तव में देखा जाए तो उपर्युक्त तीनो उदाहरण की ही तरह लगभग सभी लोग अपनी जीवन की किसी ना किसी समस्या के समाधान लिए वर्षों तक इधर – उधर व्यर्थ भटकते रहतें हैं ! तो इसका मतलब हम सभी लोगों की सभी समस्याओं का समाधान ना मिल पाने का सबसे बड़ा कारण हैं हमारी बुद्धि की परिपक्वता में कमी ! शायद इसी लिए प्राचीन काल में बुद्धि की देवी माँ सरस्वती की पूजा करना सभी के लिए कंपल्सरी (अनिवार्य) था अर्थात चाहे किसी मानव के ईष्ट देवता शंकर जी हों या विष्णु जी, दुर्गा जी हों या काली जी, राधा जी हों या कृष्ण जी, लेकिन सभी को कुछ देर के लिए अपने ईष्ट देवता के साथ – साथ माँ सरस्वती की पूजा करना भी जरूरी था और इस बात की ट्रेनिंग शुरू से हर गुरुकुल में हर बच्चे को दी जाती थी ! यहाँ तक की स्वयं भगवान राम और कृष्ण जी जब पढ़ने के लिए गुरुकुल गए तो उन्हें भी उनके गुरु ने सिखाया कि वे रोज माँ सरस्वती की पूजा जरूर करें !
देखिये इस सच्चाई को हम सभी लोगों ने अपने जीवन में जरूर महसूस किया होगा कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हम खुद ही हैं और हमारा सबसे बड़ा दोस्त भी हम खुद ही हैं ! यहाँ हमारा से मतलब है हमारा दिमाग, क्योकि हमारा शरीर वही काम करता है जो हमारा दिमाग उससे कहता है करने के लिए ! अक्सर देखा गया है कि दिमाग द्वारा जाने – अनजाने में लिये गये एक गलत निर्णय की वजह से पूरा जीवन दुखमय हो जाता है ! इसलिए परम आदरणीय संतसमाज के अनुसार माँ सरस्वती के बेहद छोटे से नाम (“जय माँ सरस्वती”) का प्रतिदिन जप करने से भक्त अपने जीवन में हर छोटे – बड़े खतरों से सुरक्षित रहते हुए, इतनी विलक्ष्ण बुद्धि प्राप्त कर लेता है कि वह अपने किसी भी मनपसन्द कैरियर (रोजगार) में बेहद सफल होता है और साथ ही साथ मृत्यु के पश्चात् माँ सरस्वती के दुर्लभ धाम में महासुख भी प्राप्त करता है !
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