जानिये कैसे, आँख के इलाज से ही मुफ्त में ठीक हो गया घुटना और कमर भी
वास्तव में “स्वयं बनें गोपाल” समूह के हर एक आर्टिकल के पीछे, इससे जुड़े स्वयं सेवकों का कितना हार्ड रिसर्च वर्क छिपा हुआ रहता है, इसका पता तब चलता है जब इसमें दी गयी जानकारियों का उपयोग करके, कोई निराश हो चुका व्यक्ति भी आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त करता है ! हमारे कई ऐसे आर्टिकल्स हैं जिन्हे पढ़ने में भले ही आपको मात्र 10 मिनट लगतें हों, लेकिन उन आर्टिकल्स को सही व सरल तरीके से लिखने में एक हफ्ते से ज्यादा का समय, और उन आर्टिकल्स में प्रकाशित बेशकीमती जानकारियों को पूरी तरह से खोज निकालने में 1 साल से भी ज्यादा का समय लगा है, शायद इसी वजह से “स्वयं बनें गोपाल” समूह को इतना अत्यधिक प्रेम मिला है कि इसके आदरणीय पाठक अब विश्व के 188 देशों के 6041 शहरों तक में प्रसारित हो चुके हैं !
वैसे तो पिछले लगभग 10 वर्षों में “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए मूर्धन्य स्वयं सेवी शोधकर्ताओं के बहुमूल्य अनुभवों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अब तक ना जाने कितने ही आदरणीय पाठक लाभान्वित हुए हैं (जो कि हमारे लिए अत्यंत गौरव का विषय है), लेकिन कभी – कभी कोई आदरणीय पाठक हम लोगों से खुद से ही सम्पर्क करके अपने लाभ के अनुभव प्रकाशित करने की प्रसन्नतापूर्वक अनुमति देतें हैं ताकि दूसरे लोग भी उनसे प्रेरणा पाकर उन्ही की तरह लाभान्वित हो सकें ! ठीक ऐसा ही एक अनुभव आज हम यहाँ प्रकाशित कर रहें हैं हमारे एक ऐसे पाठक का जो कि मुख्यतः महाराष्ट्र से ताल्लुक रखतें हैं लेकिन काफी समय विदेश में रहने के बाद वो वापस मातृभूमि आकर बस गए और उन्होंने अपना नाम व फोटो ना प्रकाशित करने के अनुरोध पर, अपनी आश्चर्यजनक सच्ची आपबीती घटना हमसे प्रकाशित करने का निवेदन किया है जो इस प्रकार है-
उन लगभग 40 वर्षीय उम्र के पाठक ने बताया कि आम तौर पर वो स्वस्थ रहते थे लेकिन कोरोना के भारत में आने के बाद से ही उनको किसी ना किसी तकलीफ की वजह से एलोपैथिक दवाओं का सेवन करना पड़ रहा था ! काफी पैसा खर्च करके बढियाँ से बढियाँ डॉक्टर्स को दिखाने के बावजूद भी उन्हें लगभग 2 सालों तक एलोपैथिक दवाओं का सेवन करना पड़ा, और संभवतः जिसकी वजह से उन्हें आँखों में अक्सर दर्द होता व धुंधला भी दिखाई देता था और कमर, घुटने आदि में भी हर समय दर्द महसूस होने लगा था इसलिए वो रोजमर्रा के जरूरी काम भी ठीक से नहीं कर पा रहे थे !
वो पाठक हाइली क्वालिफाइड थे और ऊंचे पद पर कार्यरत भी थे लेकिन अपनी शरीर की एक के बाद एक तकलीफों से इतना परेशान हो चुके थे कि उन्हें खुद भी नहीं समझ में आ रहा था कि आखिर वो बीमारियों के इस चक्रव्यूह से कैसे बाहर निकलें ! इसलिए उन्होंने गूगल (Google) में विश्वप्रसिद्ध नेचुरोपैथी संस्थाओं के द्वारा आँखों के इलाजों के बारे में खोजना शुरू किया, तो उन्हें गूगल के फर्स्ट पेज पर ही “स्वयं बनें गोपाल” समूह का यह आर्टिकल पढ़ने को मिला- (भाग – 2) जानिये कैसे, आँखों से गायब होती रौशनी अचानक वापस लौटी (श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी आत्मकथा) !
प्रथमदृष्टया उन्हें यह आर्टिकल कोई ख़ास नहीं लगा (उनकी भाषा में कहें तो आर्टिकल उन्हें बोरिंग व पकाऊ लगा) लेकिन इस आर्टिकल में बताया गया इलाज का तरीका उन्हें काफी आसान लगा जिसमें आराम से बैठकर सिर्फ 15 – 20 मिनट तक बिना मेहनत का काम (यानी भगवान सूर्य की आराधना) करना था ! वास्तव में वो पाठक नास्तिक थे, और उन्हें बिमारी ठीक करने के लिए योग की भक्ति शाखा का प्रयोग करने में विश्वास नहीं था, लेकिन एक कहावत है ना कि “मरता क्या न करता” इसलिए बीमारियों के कुचक्र से बाहर निकलने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थे !
उन पाठक ने यह लेख रात को 1 बजे पढ़ा था और उन्हें अपनी बिमारी से मुक्ति पाने की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने अगले दिन का इन्तेजार करने की जगह, उन्होंने उसी रात से वो इलाज शुरू कर दिया (जबकि इस इलाज में एक जरूरी स्टेप है भगवान सूर्य को जल अर्पित करना, जो कि रात में सिर्फ मानसिक तौर पर ही सम्भव है) !
रात में पूजा करने के बाद वो सो गए और फिर 6 घंटे बाद जब वो सुबह 8 बजे सोकर उठे तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ यह देखकर कि मात्र एक रात में ही, ना केवल उनकी आँखों की तकलीफ में, बल्कि घुटनों व कमर की तकलीफों में भी लगभग 20 प्रतिशत तक आराम महसूस हो रहा है ! उन्हें बिल्कुल नहीं समझ में आ रहा था कि बिना कोई दवा खाये हुए, सिर्फ मुंह से भगवान सूर्य की पूजा 15 – 20 मिनट करने से केवल एक रात में इतना आराम कैसे मिल सकता है ! और दूसरे आश्चर्य की बात यह भी है कि उन्होंने इलाज आँखों के लिए किया था तो फिर घुटनों व कमर में भी कैसे फायदा मिल गया !
खैर उन्होंने सोचा कि हो सकता हो कि यह आराम उनका भ्रम हो क्योकि जब तक ये बीमारियां पूरी तरह से ठीक ना हो जाए तब तक उनको किसी फाइनल निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए ! इस घटना के लगभग 1 महीने बाद उन पाठक ने “स्वयं बनें गोपाल” समूह से सम्पर्क किया और उन्होंने हमे बारम्बार धन्यवाद देते हुए कहा कि अब उन्हें लगता है कि उनकी बीमारियां लगभग 60 से 80 प्रतिशत तक ठीक हो चुकी हैं लेकिन उनसे रहा नहीं गया हमसे ये जानने के लिए कि आखिर इस आर्टिकल में बताये गए तरीके से, उन्हें लाभ कैसे मिल गया और इलाज तो आँखों का था तो फिर घुटनों व कमर में कैसे आराम मिल गया !
हमने उन पाठक को बताया कि अगर उन्होंने आँखों के लिए प्रॉपर प्रीकॉशन्स (उचित परहेज जैसे- आँखों से मोबाइल, कंप्यूटर, टेलीविजन आदि जैसी चमकदार सतह को नजदीक से देखना अवॉयड करना आदि) लिया होता तो शायद अब तक वो 100 परसेंट ठीक हो चुके होते (क्योकि वो पाठक जैसे – जैसे ठीक होने लगे थे, वैसे – वैसे वो कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करने लगे थे, जिससे उनकी कमजोर आँखों पर काफी जोर पड़ता था) ! हमने उनकी रिकवरी प्रॉसेस को तेज करने के लिए, हमारे एक अन्य आर्टिकल में बताये गए तरीके को भी साथ में आजमाने की सलाह दी जिसका लिंक है- आँखों की रोशनी तेज करने का बेहद आसान उपाय !
और जहाँ तक बात उनके प्रश्नो की हैं तो उस बारे में हमने उन पाठक को बताया कि हमने उनके प्रश्नों के उत्तर तो पहले से ही उस आर्टिकल में दे रखा है और ना केवल उनके प्रश्नो का उत्तर बल्कि हमारे अधिकाँश आर्टिकल में दी गयी, किसी भी जानकारी को पढ़कर मन में उठ सकने वाले लगभग सभी संभावित उचित प्रश्नों के उत्तर, आसान भाषा में आर्टिकल के अंदर ही हमेशा उपलब्ध रहतें हैं, इसलिए हमारे नए आर्टिकल प्रकाशित होने में अक्सर थोड़ा ज्यादा समय लग जाता है (कई पाठकों ने हमसे बताया है कि वे हमारे हर एक आर्टिकल को शौक से कई बार पढ़तें ही क्योकि हर बार पढ़ने के बाद उनके नए कॉन्सेप्ट्स क्लियर होतें हैं इसलिए वे हमारे आर्टिकल्स को किसी हाई क्लास साइंटिस्ट के “रिसर्च जर्नल” जितने ही महत्वपूर्ण मानतें हैं, जो कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी कई तरह से लाभकारी साबित होंगे) !
हमने उन पाठक से बताया कि उनका पहला प्रश्न “सिर्फ भगवान सूर्य की 15 – 20 मिनट पूजा करने से आँखों के कठिन रोग कैसे ठीक हो सकतें हैं” का सारगर्भित उत्तर है उस आर्टिकल में लिखी यह लाइन- “दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों अर्थात ऋषि मुनियों ने परम आदरणीय हिन्दू धर्म में आँखों का स्वामी, भगवान् सूर्य को बताया है इसलिए भगवान सूर्य को प्रसन्न करके आँखों के सभी रोगों से निश्चित मुक्ति पायी जा सकती है” !
फिर हमने बताया कि उनका दूसरा प्रश्न “इलाज तो आँखों का था तो फिर घुटनों व कमर में कैसे आराम मिल गया” का उत्तर लिखा है इस लाइन में- “अगर आँखों की कोई बिमारी नही है तो भी रोज मात्र 12 बार इस मन्त्र को जपकर भगवान सूर्य को जल देने से आँखों व दिमाग सम्बंधित कोई बिमारी तब तक नही होने पाती है जब तक कि कोई बड़ा बदपरहेज ना किया जाए (दिमाग स्वस्थ रहने पर शरीर के अन्य अंगो में भी बिमारी जल्दी नहीं होने पाती है क्योकि आधुनिक रिसर्च से भी साबित हो चुका है कि शरीर की सभी बीमारियों को ठीक करने की कंट्रोलर कीज यानी नियंत्रक चाभियाँ मानव के अचेतन मन में ही कहीं छिपी हुई होती हैं)” !
जैसा की हमने ऊपर बताया भी कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह यथासम्भव सिर्फ उन्ही बातों को आपके समक्ष रखने की कोशिश करता है जिसकी विश्वसनीयता किसी ना किसी माध्यम से परखी जा सकती हो ! जैसे- आँखों से संबंधित इस आर्टिकल ((भाग – 2) जानिये कैसे, आँखों से गायब होती रौशनी अचानक वापस लौटी (श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी आत्मकथा)) को लिखते समय हमारे पास परम आदरणीय श्री कृष्ण चंद्र पांडेय जी द्वारा प्रदत्त (और प्रत्यक्ष सबूतों पर आधारित) केवल यह जानकारी उपलब्ध थी कि भगवान् सूर्य से संबंधित यह इलाज करने से आँखों की बीमारियों में निश्चित लाभ मिलता है, लेकिन क्या इस तरीके से आँखों के अलावा और किसी बिमारी में भी लाभ मिल सकता है या नहीं, इस जानकारी को खोज निकालने का श्रेय जाता है हमसे जुड़े हुए बेहद मेहनती व समर्पित स्वयं सेवी शोधकर्ताओं को, जिन्होंने कई अलग – अलग तरीकों से एक्सपेरिमेंट्स करके जाना कि भौतिक आँखे केवल मांस का पिंड नहीं होतीं है बल्कि मन की अनंत गहराईयों में जाने का द्वार भी होतीं हैं इसलिए आँखों के सबल होने पर, कल्पतरु माने जाने वाले मन की शरण स्थली मस्तिष्क की कार्य क्षमता में भी वर्धन होता है, मतलब आसान भाषा में सारांश कहें तो सीधा पॉजिटिव इम्पैक्ट ब्रेन के लगभग सभी मेजर व माइनर फंक्शन्स पर भी होता है ! इसलिए जब तक कोई अकाट्य प्रारब्ध ना हो, इस इलाज से ना केवल आँखों के रोंगो में बल्कि शरीर की कई अन्य छोटी – बड़ी बीमारियों में भी अपने आप लाभ निश्चित मिलने लग सकता है !
अंततः बस हम यही कहना चाहेंगे कि परम् आदरणीय गौ माता की कृपा से हम तुच्छ स्वयं सेवक, हमेशा ऐसी नई – नई खोजों व अविष्कारों को आप सभी आदरणीय पाठकों के सम्मुख बारम्बार प्रस्तुत करतें रहें, जिनसे आपके जीवन के किसी एक छोटी सी मुस्कान का भी कारण हम बन सकें, तो बस इसी में हमारा जीवन सार्थक है !
वन्दे मातरम् !
सभी वास्तुदोषों को बेहद जल्दी समाप्त करके, घर को ही महाशुभदायक तीर्थ बनाने का एक सबसे आसान तरीका
जब तक हम “सही कारण” को नहीं हटायेंगे तब तक उससे मिलने वाली “तकलीफ” से परमानेंट मुक्ति कैसे पा सकेंगे
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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !