किसने कहा शादी करना जरूरी है ?

Swami_Vivekananda_Jaipurश्री स्वामी विवेकानंद जी ने अपने जीवन में कई विषयों के रहस्यमय पहलुओ का उजागर किया जिसकी वजह से उनकी गिनती आज भी दुनिया के सबसे बुद्धिमान लोगों में होती है |

उनको माँ काली का दर्शन होता था और ऐसा महा सौभाग्य उनको उनके गुरु श्री राम कृष्ण परम हंस जी के आशीर्वाद से मिला था |

एक बार स्वामी विवेकानंद जी से किसी आदमी ने पूछा कि हिन्दुओं में बाल विवाह होता है जो कि बहुत गलत है इसलिए हिन्दू धर्म में सुधार होना चाहिए !

स्वामी जी ने उस से पूछा – क्या हिन्दू धर्म ने कभी कहा है कि हर आदमी को अपनी जिंदगी में शादी करना चाहिए ? या किसी आदमी की शादी उसके बचपन में ही हो जानी चाहिए ?

प्रश्न पूछने वाला थोडा सा सकपकाया फिर भी जिद करते हुए बोला- हिन्दुओं में बाल विवाह नहीं होते क्या ?

स्वामी जी – पहले ये बताओ कि विवाह का प्रचलन हिन्दू समाज में है या हिन्दू धर्म में ? हिन्दू धर्म तो ब्रह्मचर्य पर बल देता है ! हिन्दू धर्म तो 25 वर्ष के अवस्था से पहले गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने की अनुमति बिल्कुल नहीं देता | शादी तो सामाजिक विधान है जिसको करने का सही तरीका धर्म ही सिखाता है |

स्वामी जी ने थोडा विराम लिया और फिर से बोले :- हिन्दू धर्म तो विवाह करने पर कभी जोर नहीं देता है। धर्म , पत्नी प्राप्ति की नहीं, ईश्वर प्राप्ति की बात करता है !

प्रश्न फिर हुआ – स्वामी जी सुधार होना तो जरूरी है !

स्वामी जी – अब आप खुद ही निर्णय करे कि सुधार किसका होना जरूरी है, समाज का या हिन्दू धर्म का ? हमें धर्म – सुधार की नहीं, समाज सुधार की जरूरत है और ये ही अपराध कई लोंग अब तक करते आ रहे है ! हमें समाज- सुधार की जरूरत थी और करने लग गए धर्म में सुधार !

स्वामी जी आगे बोले – धर्म सुधार के नाम पर हिन्दुओं का सुधार तो नहीं हुआ किन्तु ये सत्य है की हिन्दुओं का अपमान अवश्य हो गया। उनमे हीन भावना अधिक गहरी जम गई।

धर्म सुधार के नाम पर नए – नए सम्प्रदाय बनते गए और वो सब हिन्दू समाज के दोषों को, हिन्दू धर्म से जोड़ते रहे और इनको ही गिनाते रहे, साथ ही साथ ये सम्प्रदाय भी एक दूसरे से दूर होते गए, सब में एक प्रतिस्प्रधा सी आ गई है और हर सम्प्रदाय आज भी इसमें जीतना चाहता है, प्रथम आना चाहता है, हिन्दू धर्म की आलोचना करके प्रसिद्धि पाना चाहता है और उसके लिए हिन्दू धर्म की आलोचना करना सबसे सरल उपाय है (Ramkrishna Paramhans pupils, devotee or follower Swami Vivekananda great speech about Hindu Religion) !

ये दुर्भाग्य ही तो है, समाज सुधार को, धर्मके सुधार से जोड़ देना जबकि धर्म में सुधार की जरूरत ही नहीं थी |

जरूरत है तो केवल धर्म के अनुसार समाज में सुधार करने की !

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