सृष्टि के कण कण में जिसका विलास है वही महा रास है, वही महा रास है
त्रिभुवन का स्वामी, भक्तों का दास है, वही महा रास है ! आत्मा परमात्मा के मिलन की जो रात है वही महा रास है, वही महा रास है !
शरद पूर्णिमा वही महान रात्रि है जब ऐसी अनोखी घटना हुई जो आज से पहले कभी भी नहीं हुई थी ! ये वो रात थी जब परम सत्ता, श्री कृष्ण के रूप में, जीवों पर प्रत्यक्ष रूप से मोहित हो रही थी ! वैराग्य स्वरुप श्री कृष्ण आज रागी हो रहे थे !
श्री कृष्ण, गोपिका रुपी, रोग और मृत्यु से आबद्ध जीवों पर इतने कृपालु हो रहे थे की अपनी दयालुता के नियमों को बार बार तोड़ रहे थे !
यही वो दिन है जब श्री वृन्दावन धाम जो गोलोक स्वरुप ही है, में सिर्फ 9 वर्ष उम्र के बांके बिहारी और करोड़ो गोपिकाओं के बीच महा रास हुआ था !
कुछ दुष्ट लोग इसे काम लीला कह कर मजाक उड़ाते हैं क्योंकि उन्हें आत्मा और परमात्मा की अभेद्यता का जरा भी ज्ञान ही नहीं होता है !
हर एक गोपी के लिए श्री कृष्ण ने अलग अलग रूप लिए !
श्री राधा जी समेत श्री कृष्ण ने जो महा उत्सव किया है महा रास में, कि पूरी पृथ्वी का एक एक कण आनन्द से आन्दोलित हो उठा !
ख़ुशी और दुःख से दूर रहकर हर समय कठोर तपस्या करने वाले स्वयं महादेव भी इस महा रास के महा उत्सव का आनन्द उठाने के लिए आ गए !
श्री कृष्ण ने चंद्रमा को स्तंभित कर दिया और समय को भी बांध दिया !
ये महा उत्सव पूरे 6 महीने तक चलता रहा लेकिन समय एक सेकेंड भी आगे नहीं बढ़ा !
शरत पूर्णिमा का चाँद मधु (शहद) में डूबा हुआ होता है !
पौराणिक श्रुति अनुसार इस रात चाँद से अमृत बरसता है इसलिए कई भक्त जन इस दिन खीर को खुले आकाश के नीचे रात भर रखते है क्योंकि ये खीर स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी होती है !
इस रात माता लक्ष्मी भी विशेष प्रसन्न रहती है अतः उनकी पूजा का भी विशेष लाभ मिलता है !
कई भक्त लोग इस रात जागकर श्री राधा कृष्ण का चिंतन करते हैं जिससे निश्चित रूप से श्री कृष्ण की दिव्य कृपा प्राप्त होती है !
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