भारतवर्ष में पायी जाने वाली गाय माता की प्रमुख नस्लें
प्राचीन युग में गाय माता के जो रूप थे उनके नाम थे श्री कामधेनु, श्री कपिला, श्री देवनी, श्री नंदनी, श्री भौमा आदि। ब्रह्मर्षि श्री वशिष्ठ जी ने ईश्वरीय प्रेरणा से इन्ही गाय माताओं से, गाय माता के कुल का विस्तार किया जिससे कई अन्य नयी प्रजातियों का विकास हुआ !
पिछले कई सालों से लगातार गाय माता के भीषण संहार की वजह से गाय माता की कई प्रजातियाँ नष्ट हो गयी या बहुत कम देखने को मिलती हैं !
अभी कुछ समय पूर्व तक भारत में गाय माता की सिर्फ 30 नस्लें ही पाई जाती थी पर अब उनमें से कितनी जिन्दा बची है और कितनी मार कर खा ली गयी है इसका आंकड़ा सही से मिलना मुश्किल है ।
भारतवर्ष में मुख्यत: साहीवाल (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार), गिर (दक्षिण काठियावाड़), थारपारकर (जोधपुर, जैसलमेर, कच्छ), करन (राजस्थान), सिंधी (सिंध का कोहिस्तान, बलूचिस्तान), कांकरेज (कच्छ की छोटी खाड़ी से दक्षिण-पूर्व का भू-भाग), मालवी (मध्यप्रदेश, ग्वालियर), नागौरी (जोधपुर के आसपास), पंवार (पीलीभीत, पूरनपुर तहसील और खीरी), भगनाड़ी (नाड़ी नदी का तटवर्ती प्रदेश), दज्जल (पंजाब के डेरा गाजी खां जिला), गावलाव (सतपुड़ा की तराई, वर्धा, छिंदवाड़ा, नागपुर, सिवनी तथा बहियर), हरियाणा (रोहतक, हिसार, सिरसा, करनाल, गुडगांव और जींद), अंगोल या नीलोर (तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गुंटूर, नीलोर, बपटतला तथा सदनपल्ली), निमाड़ी (नर्मदा घाटी), देवनी (दक्षिण आंध्रप्रदेश, हिंसोल) आदि हैं।
अन्य प्रजातियाँ हैं, राठ अलवर की गाय माता, अमृतमहल, हल्लीकर, बरगूर, बालमबादी नस्लें मैसूर की वत्सप्रधान, एकांगी, कंगायम और कृष्णवल्ली गाय माता हैं।
गाय माता कई रंगों की होती है जैसे – सफेद, काली, लाल, बादामी तथा चितकबरी । भारतीय गाय छोटी होती है, जबकि विदेशी गाय का शरीर थोड़ा भारी और बड़ा होता है।
भारत में विदेशी नस्लों में जर्सी गाय पायी जाती है ! यह जर्सी गाय दूध तो अधिक देती है, पर इसके दूध से कई किस्म की बीमारियाँ पैदा होती है ।
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