सब कुछ खाने पीने का सुख लेना हो तो ये काम करिए
यहाँ पर कुछ भौतिक प्रक्रिया के अलावा अध्यात्मिक प्रक्रिया की भी बात हो रही है जिसे सिद्ध कर लेने पर अद्भुत कमाल होता है ! अध्यात्मिक प्रक्रिया का फायदा भौतिक प्रक्रिया के तुलना में बहुत ही ज्यादा है !
भौतिक प्रक्रिया के अंतर्गत प्राचीन भारत की आयुर्वेद ज्ञान की मर्दन विद्या जिसका बिगड़ा नाम एक्यूप्रेशर है उसका उपयोग है ! बहुत ही आसान पॉइंट है बस पैर में ऊपर की तरफ अंगूठे और बीच की उंगली के बीच में पॉइंट होता है (चित्र देखें) वहां प्रेशर देने से बॉडी का मेटाब्लोजिम सुधरता है (acupressure points for metabolism) !
सबसे बढ़िया रहता है 24 घंटे में जब भी फुर्सत मिले पैर के पंजे की मालिश तेल से या बिना तेल के कर लेना चाहिए क्योंकि हथेली की तरह पैर के पंजों में भी शरीर के सारे अंगों और उनसे सम्बंधित बिमारियों के पॉइंट्स होते हैं इसलिए पंजों की मालिश से शरीर पर बहुत ही अच्छा असर पड़ता है !
शरीर के पञ्च प्रमुख प्राणों में से एक उदान वायु को ही मेटाब्लोजिम कहा जा सकता है लेकिन आजकल के डॉक्टर्स जिसे मेटाब्लोजिम कहते हैं उसकी ताकत और उदान वायु की ताकत में जमीन आसमान का अन्तर होता है !
उदान वायु से असम्भव जैसे काम सिद्ध किये जा सकते हैं !
उदान वायु अगर बैलेंस हो जाय तो पूरा शरीर अभेद्य हो जाता है और कई चमत्कारी लाभ मिलते हैं ! आदमी कुछ भी खाए पीये सब पच जाता है और शरीर हमेशा युवा मजबूत बना रहता है !
सिर्फ एक्यूप्रेशर से उदान वायु पूर्ण रूप से बैलेंस नहीं हो सकती है ! उदान वायु का पूर्ण नियमन सिर्फ अध्यात्मिक शक्तियों जैसे हठ योग, राज योग या भक्ति योग से ही सम्भव हैं !
हठ योग की प्रक्रिया प्राणायाम का अगर कई वर्षों तक बिना नागा किये लगातार अभ्यास किया जाय तो उदान वायु सिद्ध होने लगती है फिर उसके बाद तो फिर पूरे शरीर का अदभुत आश्चर्यजनक चमत्कारी कायाकल्प शुरू हो जाता है !
इस काया कल्प का एक उदाहरण देखना हो तो श्री बाबा रामदेव के शरीर को पास से देखिये ! टेलीविजन पर सच्ची असलियत पता नहीं चलती लेकिन वास्तव में जब कोई श्री बाबा रामदेव के शरीर को पास से देखता है तो 1 सेकेंड के लिए बिना आश्चर्य चकित हुए नहीं रह पाता है !
पास से देखने वाले साधारण संसारी आदमी समझ ही नहीं पातें हैं की कैसे सिर्फ उबली सब्जी और दूध पीकर रहने वाले श्री बाबा रामदेव की शरीर बिना किसी मेकअप पाउडर के इतनी ज्यादा चमकदार लाल सुर्ख तेजस्वी ओजस्वी छरहरी फुर्तीली है !
जितना ज्यादा प्राणायाम उतना ज्यादा लाभ ! लेकिन प्राणायाम का अभ्यास बहुत धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए क्योंकि अचानक से ज्यादा प्राणायाम करने से फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है !
दुनिया में सुन्दर चमकदार आदमी औरत कई जगह देखने को मिल जायेंगे पर उनकी असलियत जाननी हो तो उन्हें बारिश में पानी के नीचे 10 मिनट खड़े होने को बोल दीजिये वही उनकी असलियत खुल जायेगी जब पूरे शरीर पर पोती गयी मेकअप पाउडर लिपस्टिक की मोटी परत घुल कर पानी में बह जायेगी ! पर वही श्री बाबा रामदेव का ओरिजिनल शरीर अब दिव्य हो चुका है और उनके ऊपर बारिश का पानी उसी तरह शोभा पाता है जैसे वृक्ष के नए निकले चमकदार पत्ते के ऊपर ओंस की बूंद !
वैसे देखा जाय तो बाबा रामदेव जितना प्रदूषण लगभग 1 हफ्ते में झेल रहे हैं उतना आम आदमी एक साल में भी नहीं झेलता क्योंकि श्री रामदेव सिर्फ हमारी ही जन्म भूमि के पुनर्निर्माण के लिए प्रतिदिन 15 से 18 घंटे तक पूरे भारत में गली गली मोहल्ले मोहल्ले बिना थके भागे फिरते हैं ! दिन रात अथक मेहनत करते हैं और बदले में मिलता है बिकाऊ मीडिया द्वारा उनके खिलाफ फैलाइ गइ बदनामी की बातें ! इतना जिगर, इतनी स्टेमिना, इतना महान ह्रदय सिर्फ और सिर्फ असली सन्त में ही हो सकता है !
प्राणायाम में आधा घंटा कपालभांति और 15 मिनट अनुलोम विलोम करने से उदान वायु का नियमन अच्छा और तेज होता है !
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