अब जो तम्बाखू खायेगा, उसे कैंसर होने की संभावना प्रबल है

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प्रकृति जो महामाया का ही आंशिक प्रत्यक्ष रूप है वो कुछ नए नियम, समय काल परिस्थिति के हिसाब से बनाती रहती है और उन नियमों की जानकारियां, ईश्वर के विशिष्ट कृपा प्राप्त साधू, सन्तों, ऋषि सत्ताओं के माध्यम से आम जन मानस तक पहुचाती भी रहती है !

ऐसा नहीं हैं की तम्बाखू कोई गलत चीज है | भगवान् के द्वारा बनायीं कोई भी चीज गलत या फ़ालतू हो ही नहीं सकती है, बशर्ते कि उसका इस्तेमाल गलत ना किया जाय !

तम्बाखू से कई जरूरी औषधियों (जैसे – लकवा, पुरानी चोट आदि) का निर्माण होता है पर किसी भी प्रकार के छोटे, बड़े नशे के लिए तम्बाखू का सेवन करना, निश्चित रूप से खतरनाक है !

पुराना जमाना जबकि वातावरण एकदम शुद्ध हुआ करता था, कई लोग 30 – 40 साल तक तम्बाखू, सूर्ती आदि का सेवन किया करते थे और उन्हें कोई समस्या भी नहीं होती थी लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं रहा !

सन्त समाज की कृपा से प्राप्त जानकारी के अनुसार निकट भविष्य में होने वाले महा परिवर्तन के मद्देनजर अब प्रकति धीरे धीरे कई बातों पर क्रमशः कठोर होती जा रही है और उन्ही बातों में से एक है कि अब जो भी बच्चा, बूढा, जवान तम्बाखू, गुटखा आदि का थोड़ा भी नियमित सेवन करेगा, उसे कैंसर होने की संभावना प्रबल है !

माउथ कैंसर या थ्रोट कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण हर व्यक्ति में थोड़े अलग अलग तरीके से प्रकट हो सकते हैं, जैसे- फोड़ा, छाला या गिल्टी का होना और उस गिल्टी में दर्द होना, मुंह गले आदि के आस पास की त्वचा पर बार बार रैशेस (चकत्ते), निशान, धब्बा आदि का उभरना, बार बार बुखार होना, बहुत कमजोरी महसूस होना, गले में घोटने में दर्द होना या कान में दर्द, कहीं सुन्न महसूस होना, सूजन होना, खून आना, गर्दन या जबड़े में दर्द, आवाज बैठना, अचानक वजन घटना या बुढ़ापा बढ़ना, आदि !

WHO के अनुसार तम्बाखू की वजह से ही 75 % लोगों को ओरल (oral) कैंसर होता है और अकेले भारत में पूरे विश्व के एक तिहाई माउथ कैंसर के मरीज हैं पूरे विश्व में हर साल लगभग 4 से 5 लाख नए लोगों में ओरल कैंसर डिटेक्ट होता है जो की निश्चित तौर पर एक भयावह स्थिति है | तम्बाखू के साथ शराब और सिगरेट का सेवन करने से कैंसर होने की सम्भावना जल्दी हो जाती है !

कभी – कभी सादा पान मसाला के बारे में भी सुनने को मिलता है कि उनमें गुटखे जैसी सेंसेशन व टेस्ट पैदा करने के लिए ऐसा केमिकल मिलाया जाता है जिससे भी माउथ कैंसर पैदा हो सकता है !

डॉक्टर्स की सलाह पर कैंसर के इलाज में एलोपैथिक के साथ – साथ आयुर्वेद और योग की सहायता भी बिल्कुल ली जा सकती है ! दुनिया में कोई ऐसा रोग नहीं हैं जिसका आयुर्वेद और योग में इलाज ना हो, बशर्ते की आयुर्वेद और योग के सही जानकार से मुलाक़ात हो सके !

कैंसर हो जाने पर सबसे पहला काम ये करना चाहिए कि डरना बन्द करना चाहिए क्योंकि डरने से आदमी का दिमाग काम करना बन्द कर देता है जिससे उचित इलाज का निर्णय लेने में दिक्कत आती है !

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