बेहद असरदार औषधि है शतावर
महर्षि चरक ने भी शतावर को बल्य और वयः स्थापक (चिर यौवन को बरकार रखने वाला) माना है I आधुनिक शोध भी शतावरी क़ी जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं I
आयुर्वेद में इसे ‘औषधियों की रानी’ माना जाता है। इसकी गांठ या कंद का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जो महत्वपूर्ण रासायनिक घटक पाए जाते हैं वे हैं ऐस्मेरेगेमीन ए नामक पॉलिसाइक्लिक एल्कालॉइड, स्टेराइडल सैपोनिन, शैटेवैरोसाइड ए, शैटेवैरोसाइड बी, फिलियास्पैरोसाइड सी और आइसोफ्लेवोंस।
शतावर पुराने से पुराने कमजोर रोगी के शरीर को रोगों से लड़ने क़ी क्षमता प्रदान करता है ! यूरोप में भी इसकी भारी डिमांड है !
इसकी जड़ तंत्रिका प्रणाली और पाचन तंत्र की बीमारियों के इलाज, ट्यूमर, गले के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और कमजोरी में फायदेमंद होती है। यह पौधा कम भूख लगने व अनिद्रा की बीमारी में भी फायदेमंद है। बच्चों और ऐसे लोगों को जिनका वजन कम है, उन्हें भी फायदा होता है।
शतावरी बुद्धिवर्धक, शीतल, मधुर एवं दिव्य रसायन औषधि मानी गयी है I
यह एक झाड़ीनुमा लता की तरह होती है, जिसमें एक से दो इंच लम्बे गुच्छे लगे होते हैं और यह फल (शतावरी) पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं ! यह जोडों के दर्द एवं मिर्गी में भी लाभप्रद होता है। सतावर की जड़ का उपयोग मुख्य रूप से ग्लैक्टागोज के लिए किया जाता है !
इसकी जड़ का उपयोग दस्त, क्षय रोग (ट्यूबरक्लोसिस) तथा मधुमेह के उपचार में भी किया जाता है। सामान्य तौर पर इसे स्वस्थ रहने तथा रोगों के प्रतिरक्षण के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे कमजोर शरीर प्रणाली में एक बेहतर शक्ति प्रदान करने वाला पाया गया है।
आइये जानते हैं शतावर के कुछ औषधीय फायदे (The Health Benefits Of Asparagus Or Shatavari ke ayurvedic labh)-
– रोगी खांसते-खांसते परेशान हो तो शतावरी चूर्ण 1.5 ग्राम, वासा के पत्ते का रस 2.5 मिली, मिश्री के साथ लें तो लाभ मिलता है !
– गाँव के लोग इसकी जड़ को गाय व भैंस को खिलाते हैं, जिससे उनकी दूध न आने क़ी समस्या में लाभ मिलता है !
– मूत्र या मूत्रवह संस्थान से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है !
– शतावरी के पत्तियों का कल्क बनाकर घाव पर लगाने से भी घाव भर जाता है !
– वातज ज्वर में शतावरी के रस एवं गिलोय के रस का प्रयोग या इनके क्वाथ का सेवन ज्वर (बुखार) से मुक्ति प्रदान करता है !
– शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन, दर्द एवं पित्त से सम्बंधित अन्य बीमारीयों में लाभ मिलता है !
– अनिद्रा हो तो बस शतावरी क़ी जड़ को खीर के रूप में पका लें और थोड़ा गाय का घी डालें, इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पायेंगे !
– शतावरी क़ी ताज़ी जड़ को कूट कर, इसका रस निकालें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर पका लें ! इस तेल को माइग्रेन जैसे सिरदर्द में लगायें और लाभ देखें !
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