सबसे रहस्यमय व सबसे कीमती दवा जो हर बीमारी में लाभ पहुँचाती है
कई अज्ञात अदृश्य घटकों से बनी इस दवा के बारें में वैज्ञानिकों की जानकारी भी सीमित है पर आयुर्वेद के दुर्लभ ग्रथों ने इसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की है और इतना ही नहीं जीवों द्वारा प्राप्त होने वाली दवाओं की श्रेणी में इसे सर्वोच्च स्थान अर्थात प्रथम स्थान दिया गया है !
इस दवा का नाम तो बहुत लोगों ने सुना होगा पर इसके प्रचंड प्रताप की सम्पूर्ण जानकारी बहुत कम मनीषियों को ही है !
अगर हम बहुत प्राचीन रहस्मय हिन्दू धर्म के ग्रंथों का अध्ययन करे तो पाते हैं की कई जगह गाय माता को साक्षात भगवान श्री कृष्ण का ममत्व रुपी प्रत्यक्ष अवतार कहा गया है !
गोमूत्र में स्वर्ण धातु की उपस्थिति की वजह से ये पीलापन लिए हुए दिखती है ! स्वयं श्री बालकृष्ण जी ने गोमूत्र से सोने का टुकड़ा पैदा किया है, जिसे कोई भी आदमी जा कर उनके आश्रम में देख सकता है ! आयुर्वेद में सोने को चिर यौवन – हमेशा जवानी प्रदाता बोला गया है इसलिए कई औषधियों में स्वर्ण भस्म मिलायी जाती है जबकि गोमूत्र में तो सबसे बेहतरीन क्वालिटी का स्वर्ण अच्छे खासे मात्रा में मिला होता है !
हमेशा जवान रखने वाली यह सोना धातु सिर्फ भारतीय देशी गाय माता के मूत्र में होता हैं ना कि जर्सी गाय, संकर गाय या भैंस के मूत्र में हैं ! इन्ही कई वजहों से कुछ वैद्याचार्य गाय माता की सबसे कीमती चीज दूध नहीं, बल्कि उनका मूत्र मानते हैं !
इसीलिए गाय माता का हर एक अंग, मानवों के लिए जबरदस्त वरदान है पर आज की डेट में समस्या यह है की 100 % शुद्ध देशी गाय माता भारत में बहुत कम जगह ही देखने को मिलती हैं, जबकि अधिकाँश जगह सिर्फ संकर गाय (जर्सी गाय व देशी बैल से पैदा गाय), जर्सी गाय या भैंस देखने को मिलती है !
आदरणीय बाबा रामदेव जी ने सैकड़ों परोपकारी कामों के साथ, भारतीय देशी गाय माता के भी सरंक्षण की भी प्रतिज्ञा ली है जिसके तहत वे हजारों बेसहारा गाय बैलों का पालन पोषण कर रहे हैं तथा जरूरतमन्दों को 100 % शुद्ध और असली भारतीय देशी गाय माता उपलब्ध भी करा रहे हैं !
अगर आपको कही से 100 % शुद्ध भारतीय देशी गाय माता मिल जाय तो समझ लीजिये की आपके हाथ वाकई में सेहत का खजाना लग गया है ! गाय माता अगर दूध दे रही है तो दूध अमृत और अगर दूध नहीं दे रही तो उनका मूत्र सुपर अमृत क्योंकि जब गाय माता दूध नहीं देती तो उनके मूत्र में औषधीय गुण कई गुना बढ़ जाते हैं !
इन्ही सब दुर्लभ खूबियों की वजह से आज ब्राजील जैसे देश में भारतीय देशी गाय माता 2 से 3 करोड़ रूपए में बिक रही हैं और एक हम लोग हैं कि उन्हें सड़कों के किनारे कूड़ा खाने पर मजबूर कर रहें हैं या ज्यादा से ज्यादा 1 – 2 रोटी खिलाकर ही अपने आप को धन्य मान ले रहें हैं !
श्वांस (Breathing), कास (cough), शोथ (swelling), प्लीहोदर (spleen), मल अवरोध (constipation), कुष्ठ रोग (leprosy), चर्म विकार (skin disease), कृमि (worm), वायु विकार (gastric problem), मूत्रावरोध (prostate), नेत्र रोग (eye problem – myopia), खुजली (eczema – itch) आदि जैसी असंख्य बिमारियों में गोमूत्र लाभदायक है। गुल्म (Platter), अनाह (severe constipation), विरेचन कर्म (purgation), आस्थापन तथा वस्ति (lavement) व्याधियों में गोमूत्र का प्रयोग उत्तम रहता है।
गोमूत्र अग्नि को प्रदीप्त करता है, भूख (appetite) को बढ़ाता है, अन्न का पाचन करता है एवं मलबद्धता को दूर करता है। गोमूत्र से कुष्ठादि चर्म रोग भी दूर होते हैं तथा कान में डालने से कर्णशूल रोग (ear problems) खत्म होता है | पाण्डु रोग – पीलिया (jaundice) को भी गोमूत्र समाप्त करता है।
इसके अलावा आयुर्वेदिक औषधियों का शोधन गोमूत्र में किया जाता है | अनेक प्रकार की औषधियों का सेवन गोमूत्र के साथ करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में स्वर्ण, लौह, धतूरा तथा कुचला जैसे द्रव्यों को गोमूत्र से शुद्ध करने का विधान है। गोमूत्र के द्वारा शुद्धीकरण होने पर ये द्रव्य दोषरहित होकर अधिक गुणशाली तथा शरीर के अनुकूल हो जाते हैं। रोगों के निवारण के लिए गोमूत्र का सेवन कई तरह की विधियों से किया जाता है जिनमें पान करना, मालिश करना, पट्टी रखना, एनीमा और गर्म सेंक प्रमुख हैं।
आधुनिक साइंस के मतानुसार गोमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, फॉस्फेट, सोडियम, मैंगनीज, कार्बोलिक एसिड, आयरन, सिलिकॉन, क्लोरीन, मैग्नीशियम, मेलसि, सार्इट्रिक, टाइट्रिक, सक्सेनिक, कैल्शियम सॉल्ट, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, मिनरल्स, लैक्टोस, एन्जाइम्स, क्रेटिनिन, एसिड्स व अन्य आवश्यक लगभग सभी घटक पाए जाते हैं ।
गोमूत्र में पाए गए उपर्युक्त आधुनिक तत्वों के अलावा कई ऐसे अज्ञात घटक अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान हैं जो गोमूत्र को शारीरिक व आध्यात्मिक उपचार का दुर्लभ साधन बनाते है । इसकी इसी खूबी की वजह से कई महान वैद्याचार्यों का कहना है कि किसी बीमारी की कोई दवा समझ में ना आये तो गोमूत्र दे दो !
वैसे तो गाय माता से ताजा निकला मूत्र सबसे ज्यादा फायदा करता है पर अगर ताजा मूत्र ना मिल पाये तो बाजार में मिलने वाले गोमूत्र में श्री बाबा रामदेव के पतंजलि स्टोर पर बिकने वाले गोमूत्र एकदम विश्वसनीय और बेहतरीन होता है क्योंकि बाबा रामदेव अपने गोशाला की गाय माताओं को सिर्फ घास भूसा ही नहीं खिलवाते बल्कि कई पौष्टिक आयुर्वेदिक औषधियां भी नियमित रूप से खिलवाते हैं !
आइये जानते हैं भारतीय देशी गाय माता के मूत्र के कुछ अन्य औषधीय गुण –
– आयुर्वेद (Ayurveda) के मनीषी बताते हैं कि शरीर में जब करक्यूमिन (Karakyumin) नाम के तत्व की कमी होती है तभी शरीर में कैंसर (cancer) का रोग आता है। इसी कमी की स्थिति में शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं और एक जुथ जैसा बना लेती हैं, जो ट्यूमर बन जाता है और बाद में यही ट्यूमर (tumor) कैंसर में तब्दील हो जाता है। गोमूत्र में यही करक्यूमिन भरपूर मात्रा में है और पीने के तुरन्त बाद पचने भी लगता है जिससे कि तुरंत असरकारक हो जाता है।
– गोमूत्र में वात (vat) और कफ (cough) के सभी रोगों को पूरी तरह खत्म करने की शक्ति है। पित्त (bile or pitta) के रोगों को भी गोमूत्र खत्म करता है लेकिन कुछ औषधियों के साथ । वात, पित्त और कफ के कुल 148 रोग हैं। इन 148 रोगों को अकेले खत्म करने की क्षमता यदि किसी वस्तु में है तो वो है देशी गाय माता का मूत्र । गोमूत्र शरीर में वात, पित्त, कफ तीनों का सम अवस्था में लाने के लिए सबसे ज्यादा मदद करता है ।
– आधा कप गोमूत्र सुबह खाना खाने के एक घंटे पहले बवासीर – बादी और खूनी (piles), भगन्दर (fistula, fissure) , जोड़ों का दर्द (arthritis), उच्च रक्त दबाव (high blood pressure), हृदयाघात (cardiac arrest – heart attack), कैंसर आदि ठीक करने के लिए लें ।
– यह वंशानुगत गठिया रोग से भी मुक्त करता है। आलस्य व मांसपेशियों की कमजोरी (weakness) को हटाता है, कीटाणु नाशक (antibacterial), कीटाणु की वृद्धि रोकता (antibiotic) है, मांस सड़ाव (gangrene) से रक्षा करता है।
– गोमूत्र में वही 18 सूक्ष्म पोषक (microscopic or minor nutritions) तत्व हैं जो कि शुद्ध मिट्टी में होते हैं। ऐसा वैज्ञानिकों का परीक्षण कहता है (भारत में CDRI लखनऊ, वैज्ञानिकों की दवाओं पर काम करने वाली एक बड़ी संस्था है)। शरीर की बीमारियों को ठीक करने के लिए शरीर को जितने आवश्यक तत्व चाहिए तो सब गोमूत्र में उपलब्ध हैं (जैसे-सल्फर की कमी से शरीर में त्वचा के रोग आदि)।
– ब्रिटेन के डा. सिमर्स के अनुसार गोमूत्र, खून में मौजूद दूषित कीटाणुओं (bacteria, virus) का (blood infection) नाश करता है तथा पुराने घावों (injury or wound) व बढ़ते हुए मवाद (pus) को रोकता है | यह बालों के लिए एक कंडीशनर (hair conditioner) की तरह उपयोगी है। दिल से संबंधित रोगों, टीबी, पेट की बीमारियों (abdomen ailment or stomach ache) तथा गुर्दे संबंधी खराबियों (kidney problems) में गोमूत्र और गाय के गोबर का इस्तेमाल काफी लाभकारी है। गुर्दे में पथरी के लिए 21 दिनों तक लगातार गोमूत्र का सेवन बड़ा लाभकारी सिद्ध होता है।
– अमेरिका के डा. क्राफोड हैमिल्टन का दावा है कि गोमूत्र के प्रयोग से हृदयरोग (heart problem) दूर होते हैं और पेशाब खुलकर आता है। उनका कहना है कि कुछ दिन गोमूत्र के सेवन से धमानियां (artery) प्रसारित होती हैं, जिससे रक्त का दबाव स्वाभाविक होने लगता है। गोमूत्र से भूख बढ़ती है और पुराने गुर्दा रोग (रीनल फेल्योर व किडनी फेल्योर) की कारगर दवा है।
– गोमूत्र (Gomutra) में लेक्टोजन रहता है, जो ह्दय और मस्तिष्क (brain) के विकारों के लिए फायदेमंद है।
– गोमूत्र से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति (immune system) इतनी अधिक बढ़ जाती है कि, बीमारियाँ शरीर में जल्दी प्रवेश नहीं कर पाती हैं।
– Tuberculosis (टी.बी. की बीमारी) में डाट्स (DOTS – directly observed treatment, short-course) की गोलियों का असर गोमूत्र के साथ लेने से, 20 गुना बढ़ते हुए देखा गया है ! सिर्फ गोमूत्र पीने से टी.बी. 3 से 6 महीने में ठीक होते देखा गया है, सिर्फ डाट्स की गोलियां खाने से टी.बी. 9 महीने में ठीक होती है जबकि डाट्स की गोलियाँ और गोमूत्र साथ-साथ देने पर टी.बी. 2 से 3 महीने में ठीक होते देखा गया है।
– डायबिटीज (diabetes) के मरीजों (patients) में गोमूत्र, शूगर लेवल मेन्टेन (sugar level maintain) करने में मदद करता है।
– गोमूत्र का असर गले के कैंसर, आहार नली (alimentary canal) के कैंसर और पेट के कैंसर पर बहुत ही अच्छा है। गोमूत्र के असर को कैंसर के केस में प्रयोग के लिए बलसाड (गुजरात) में एक बहुत बड़ा अस्पताल है। जिसे कुछ जैन समाज के लोगों ने बनवाया है।
– मूत्र पिण्ड (urinary bladder) के सभी रोग जैसे किडनी फेल होना तथा अन्य किडनी की तकलीफों ((kidney infection, kidney failure, kidney dialysis etc) के लिए गोमूत्र 1/2 कप रोज सुबह खाली पेट लें। पेशाब से संबंधित रोग में भी गोमूत्र 1/2 कप रोज सुबह खाली पेट लें।
– पित्त के सभी रोगों के लिए गोमूत्र जब भी पियें, उन समयों में घी (देशी गाय माता का) का सेवन खाने में करें। पित्त के रोगी गोमूत्र का इस्तेमाल पानी बराबर मात्रा में मिलाकर करें जैसे एसिडिटी (acidity), हाईपर एसिडिटी (hyperacidity), अल्सर (ulcer), पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer), पेट में घाव आदि के लिए।
– गोमूत्र में गेंदे के फूल की चटनी बनाकर, उबालकर, थोड़ा हल्दी डालकर पिलाने से कैंसर में लाभ मिलता है।
– हैपेटाइटिस परिवार (hepatitis A, B, C, D, E, F) की बीमारियाँ (ज्वाइंडिस – पीलिया) गोमूत्र से ठीक होती हैं।
– स्वस्थ देशी गाय माता का ताजा मूत्र कपड़े से छानकर नियमित रूप से पीने से पुरानी कब्ज भी दूर होती है। कब्जीयत की बीमारी में 1/2 कप गोमूत्र, 3 से 4 दिन सुबह-सुबह खाली पेट पियें |
– गोबर और गोमूत्र का उपयोग दोनों आन्तरिक और बाहरी तरह से अच्छा होता है। बाहरी स्थिति में दाद (serpigo), खाज (tetter), खुजली (eczema, itch), दाग, धब्बे (spot, stain, pimples) आदि में, गोमूत्र लगाने के बाद, 10 से 15 मिनट सूर्य की रोशनी दिखाकर धो देना चाहिए, इससे सभी तरह के चर्म रोग दूर होते हैं। शरीर में ज्यादा खुजली होने पर गाय माता के मूत्र की मालिश करें | दाद होने पर, गोमूत्र में धतूरे के पत्तों को पीसकर उबालें और गाढ़ा होने पर लगाने से दाद को दूर किया जा सकता है |
– खांसी, जुकाम व दमे (asthma, bronchitis, cold & cough) में गोमूत्र को हल्का गर्म करके पीएं। शरीर पर सूजन (dropsy and swelling), मोटापा (obesity or fatness), गठिया में भी गोमूत्र फायदा करता है। दमा, जुकाम, खांसी जैसे विकारों में गोमूत्र का सीधा प्रयोग करने से कफ विकारों का शमन होता है |
– पेट के किसी भी तरह के रोग में गोमूत्र पीने से लाभ होता है |
– आंखों में जलन (eye inflammation or burn), शरीर में सुस्ती में (fatigue), गोमूत्र में मिश्री (sugar) मिलाकर पीना चाहिये|
– प्रसूति (pregnancy & delivery) के समय होने वाले रोगों में स्त्री को गोमूत्र पिलाने से लाभ होता है |
– गोमूत्र को बालों पर लगाकर उसे थोडी देर तक सूखने दें, उसके बाद बालों को धोऐं, ऐसा करने से बाल सुन्दर, चमकदार लगेगें |
– यह अनिच्छित व अनावश्यक वसा को निर्मित होने से रोकता है, लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) एवं हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) के उत्पादन में सन्तुलन रखता है।
– यह जीवाणुनाशी व मूत्रवर्धक होने से विष (toxin) को नष्ट करता है, मूत्र मार्ग से पथरी (stone) को हटाने में सहायक है।
– यह बेहतरीन रक्तशुद्धि कर्ता (blood purifier), अस्थि में शक्ति प्रदाता (bone strengthener), कीटाणुनाशक, रक्त में तेजाबी अवयवों (acidic elements) को कम करता है।
– यह जीवन में शक्ति व उत्साह (zeal and energy) वर्द्धन (boost) कर सक्रियता (activeness) लाता है ! मानसिक रूग्णता (mental sickness) व प्यास (thirst) से बचाता है। पुनरोत्पादक शक्ति (reproduction or sex power) प्रदान करता है।
– आँखों के रोग जैसे मोतियाबिंद (cataract), ग्लुकोमा (glaucoma), रैटिनल डिटैचमेन्ट (retinal detachment) के अलावा ऑखों की अन्य सभी छोटी-मोटी बीमारियाँ जैसे आँखों का लाल होना (red eye), आँखों से पानी निकलना, आँखों में जलन होना (eye infections) आदि गोमूत्र से ठीक होती देखी गयी हैं | शुद्ध गोमूत्र को सूती कपड़े के आठ परत से छानकर 1-1 बूंद आँखों में डालना होता है।
– कान बहने में 1-1 बूंद रोज सुबह-सुबह डालना होता है।
– बच्चे जिनकी पसलियाँ (rib) कफ की वजह से परेशान करती हैं, एक चम्मच गोमूत्र पीला दें आराम मिलना शुरू हो जायेगा। ऐसा बड़े लोग भी कर सकते हैं, मात्रा आधा कप तक बढ़ाकर ।
– बहुत से लोग कब्ज दूर करने के लिए हरण का रोज सेवन करते हैं, हरड़ पानी में घिस कर देने पर कम लाभ करती है जबकि गोमूत्र में घिस कर देने पर अधिक लाभ करती है।
[ नोट – गोमूत्र ताजा पीना चाहिए, 48 मिनट के अन्दर गोमूत्र बोतल में भरकर 4-5 दिन तक रख सकते हैं। बोतल काँच का होना चाहिए। गाय माता जो साफ-सुथरे वातावरण में रहती हो, अच्छा चारा खाती हो और नियमित रूप से घूमने के लिए जाती है, उनका मूत्र जरूर पियें वो सबसे ज्यादा लाभकारी होगा। यदि ऐसी गाय माता का अभाव हो तो किसी भी देशी गाय माता का मूत्र ले लें।
भारतीय देशी गाय (Indian desi cow) माता का गोमूत्र कभी भी नुकसान नहीं करता, जब भी करता है, सिर्फ फायदा ही करता है ! सारे शोध यही बताते हैं कि देशी गाय माता के गोमूत्र का कोई भी साइड इफेक्ट (side effect) नहीं है। गोमूत्र अधिक पी लेने पर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है अर्थात् किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचता है। इसमें सिर्फ इतनी बात ध्यान में रखनी है कि गाय माता (Mother Cow) सिर्फ देशी हो और गर्भवती या बीमार न हो !
व्यक्ति की आयु के हिसाब से औसत गोमूत्र पीने की मात्रा हैं – 18 वर्ष से अधिक की स्थिति में गोमूत्र की मात्रा 1/2 कप (50 ग्राम) और 18 वर्ष से कम की स्थिति में 25 ग्राम। गोमूत्र पीने का सर्वोत्तम समय सुबह-सुबह निराहार अर्थात् खाली पेट (fast), या कुछ भी खाने के 1 घंटे पहले है। लंबी और गंभीर बीमारियों (serious illness) की स्थिति में गोमूत्र कम से कम 3 महीना पीना चाहिए और छोटी बीमारियों की स्थिति में 2 हफ्ते से 1 महीने तक गोमूत्र पीना चाहिए ! यहाँ पर दिए गए सारे फायदे सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय माता के मूत्र के हैं, ना कि जर्सी गाय या भैंस के मूत्र के ]
[नोट – यहाँ पर दिए गए सारे फायदे सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय माता से प्राप्त होने वाले सभी अमृत तुल्य वस्तुओं (जैसे- गोबर, मूत्र, दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि) के हैं, ना कि भैंस के या वैज्ञानिकों द्वारा सूअर के जीन्स से तैयार जर्सी गाय से प्राप्त होने वाली वस्तुओं के]
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