यू एफ ओ, एलियंस के पैरों के निशान और क्रॉस निशान मिले हमारे खोजी दल को
लम्बे समय से ब्रह्मांड से सम्बंधित सभी पहलुओं पर रिसर्च करने वाले, “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए विद्वान रिसर्चर श्री डॉक्टर सौरभ उपाध्याय (Doctor Saurabh Upadhyay) के निजी विचार ही निम्नलिखित आर्टिकल में दी गयी जानकारियों के रूप में प्रस्तुत हैं-
एक खोजी अभियान के दौरान, “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए शोधकर्ता को उत्तर पूर्व भारत में ‘सीहोर’ निशान (संलग्न फोटोग्राफ्स देखें) दिखाई दिया !
इस तरह का क्रॉस के रूप में बना विशाल ‘सीहोर’ निशान शायद पहले कभी नहीं देखा गया था और ना ही किसी प्राचीन भारतीय ग्रन्थ में इसके बारे में कही लिखा हुआ मिला था !
जांच पड़ताल करने पर पता चला कि जिस जमीन पर वो क्रॉस का निशान बना था, उस जमीन की देखभाल करने वाले को भी पता नहीं था कि वो विशाल निशान कब, कैसे और किसके द्वारा उसकी जमीन पर बनाया गया था !
उच्च कोटि के सन्त समाज से संपर्क करने पर पता चला कि यह क्रॉस का निशान “सीहोर” कहलाता है और यह सीहोर निशान देवताओं के द्वारा, पृथ्वी के मानवों को दिया गया चेतावनी संकेत है कि, अब से सुधर जाओ और रोज जो बेधड़क अनाचार (झूठ बोलना, मांस मछली अंडा खाना, अनैतिक कमाई करना आदि) कर रहे हो उसे तुरंत रोक दो नहीं तो हम सभी देवता मिलकर भी, प्रकृति अर्थात महामाया को तुम मानवों पर क्रोध करने से रोक नहीं पायेंगे !
संत समाज ने बताया कि सप्तर्षि समेत सभी ऋषि गण और देव गण, ईश्वर के बनाए हुए अनन्त ब्रह्मांडों में सत्व, रज और तम गुणों में साम्यता बनी रहे, इसी का लगातार प्रयास करते रहते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा करने का स्वयं ईश्वर का निर्देश होता है !
सीहोर के निशान के जांच पड़ताल के दौरान ही ‘स्वयं बने गोपाल’ समूह के खोजी दल को रात में वहां से काफी दूरी पर आसमान में कुछ रोशनी के बिंदु असामान्य हरकत करते हुए दिखाई दिए जिन्हें हमने तत्काल अपने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया (नीचे संलग्न विडियोज देखें) !
अपने अब तक के ब्रह्माण्ड और एलियंस के खोज के अनुभव के आधार पर हमारे खोजी दल ने निष्कर्ष निकाला कि ये रोशनी के बिंदु यू. एफ. ओ. ही थे !
और सबसे बड़े आश्चर्य कि बात यह देखने को मिली कि सीहोर के निशान से थोड़ी ही दूर पर एक विशाल जीव के पंजों के निशान मिले (संलग्न चित्र देखें) जो निश्चित रूप से इस पृथ्वी के किसी भी ज्ञात जीव के तो नहीं हैं !
जिस जीव के पंजों के निशान इतने विशाल हों (लगभग 6.5 फीट लम्बे) तो वो जीव कितना बड़ा होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है !
वो जीव कौन था और वो किसी दूसरे लोक या किसी दूसरे आयाम से आया था, इसकी जानकारी अभी हमें नहीं हैं पर निश्चित रूप से सैकड़ों अबूझ रहस्यों से भरी दूसरी दुनिया के प्राणियों से सम्बंधित इन सबूतों को खोज निकालने को, एक महत्वपूर्ण खोज कही जा सकती है !
आदरणीय संत समाज से इन सारी बातों के बारे में पूछने पर सारांश रूप में केवल इतना ही जवाब मिला कि बस अभी इतना जान लो कि आने वाले इस महापरिवर्तन के युग में अभी बहुत सी उठा पटक होना बाकि है ! सर्वत्र फैले इस पाप मय वातावरण से धरती कराह रही है खासकर मांसाहार से जिसकी वजह से प्रतिदिन असंख्य निर्दोष मासूम जीवों की हत्या कर उनका रक्त, जगतमाता अर्थात इस धरती पर गिराया जा रहा है, दिन दूना रात चौगुना रफ़्तार से बढ़ती इन तामसिक प्रवित्तियों से प्रकृति बहुत ही क्रोधित हो चुकी है और अगर वक्त रहते मानवों के अन्दर मानवता की पुनर्स्थापना नहीं हुई तो परिणाम कल्पना से भी परे गम्भीर होने वाले हैं !
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