क्या आलू में नर का अंश व मूंगफली में स्वयं नारायण का अंश हैं ?
जब किसी के पास अपार ताकत आ जाती है तो उसकी बाहें फड़कने लगती हैं कुछ ऐसा कर गुजरने के लिए जैसा आज तक किसी ने ना किया हो !
यही हाल हुआ परम तेजस्वी ऋषि विश्वामित्र जी के साथ !
उच्च कोटि के दिव्यदृष्टि प्राप्त संत समाज के सानिध्य से हमें यह दुर्लभ जानकारी प्राप्त हुई है जिसका संक्षेप में निम्नवत वर्णन हैं –
वशिष्ठ ऋषि के यहाँ से कपिला गाय पाने के चक्कर में हुई बहुत बुरी हार से राजा विश्वामित्र भयंकर रूप से तिलमिला गए थे और अपने इस अपमान का बदला लेने का दृढ़संकल्प किया !
उन्होंने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए गायत्री मन्त्र का असंख्य बार जप किया जिससे वे एक क्षत्रिय से प्रचंड तेजस्वी ऋषि में बदल गए !
इसके बाद उन्होंने शुरू किया अपना शक्ति प्रदर्शन जिसमे उन्होंने नए स्वर्ग के निर्माण से लेकर कई अन्य नयी आश्चर्यजनक चीजें बनायी !
उनकी बनाई हुई कई चीजों में से एक था आलू और दूसरी थी मूंगफली !
एक बहुत सोची समझी दूरदर्शी सोच की तहत उन्होंने आलू में नर (अर्थात मानव) के सारे गुण डाले !
मतलब जैसे नर अपने आप में अकेले कुछ भी करने में अक्षम है पर जब जब जिसका जिसका साथ मिलता जाता है वैसा वैसा बड़ा या छोटा काम करता जाता है !
यह साथ किसी निर्जीव (भोजन, पानी, हवा आदि) या सजीव (जैसे – गुरु, ईश्वर आदि) का होना नितान्त जरूरी होता है अन्यथा अकेला मनुष्य एक किकर्तव्यविमूढ़ प्राणी की ही तरह है !
और इसी नर को जब स्वयं नारायण का साथ मिल जाता है तो वो उसी तरह इतिहास रच देता है जैसे अर्जुन रुपी नर ने कृष्ण रुपी नारायण का साथ पाकर किया था !
अतः नर की यह अद्भुत खूबी कि किसी योग्य का साथ पाकर वह क्या से क्या हो सकता है, आलू में डालकर विश्वामित्र ऋषि बहुत प्रसन्न हुए लेकिन अब उनकी अगली इच्छा स्वयं नारायण को किसी वस्तु के रूप में बाँधने की थी !
यह इच्छा सर्वथा असम्भव थी क्योंकि ईश्वर असीमित हैं तो कोई कैसे उन्हें सीमित आकार में बाँध सकता है !
लेकिन एक तर्क यह भी है कि ईश्वर अपने सुयोग्य भक्त की मनोकामना पूर्ण करने के लिए हर नियम कानून तोड़ने को भी तैयार रहते हैं !
और यही दुर्लभ ईश्वरीय कृपा मिली श्री विश्वामित्र ऋषि को भी !
श्री विश्वामित्र की विशेष प्रार्थना पर नारायण ने अपना दिव्य अंश, श्री विश्वामित्र द्वारा बनायीं गयी मूंगफली में डाल दिया !
नारायण का अंश डालने भर से ही मूंगफली अद्वितीय, अतुलनीय पोषण देने वाली खाद्य सामग्री बन गयी !
और तब से (वैदिक काल से) ही नर और नारायण का संगम अर्थात “आलू – मूंगफली” को साथ साथ खाया जा रहा है खासकर व्रत उपवास के दिनों में जब शरीर को उर्जा की अधिक आवश्यकता होती है !
और तब से ही आलू को लगभग हर सब्जी में अनिवार्य रूप से मिलाने की प्रथा भी शुरू हो गयी !
मूंगफली के बारे में आधुनिक विशेषज्ञों से भी पूछने पर पता चला कि यह बात सही है कि अभी तक मूंगफली के सभी पोषक तत्वों के बारे में आज के वैज्ञानिक खोज नहीं पाए हैं !
वैसे इस कलियुग में हम मानवों द्वारा दो काम बहुत गलत हुए हैं जिसका बहुत बुरा असर पड़ा है सभी सब्जियों, अनाजों व फलों पर जिससे उनके पोषक तत्वों में काफी गिरावट हुई है ! इनमे से पहला काम हैं सब्जी, अनाज और फलों की ओरिजनल प्रजातियों से छेड़छाड़ कर आधुनिक वैज्ञानिक विधि से ज्यादा पैदावार वाली नयी प्रजातियाँ बनाना और दूसरा काम है खेतों में केमिकल युक्त जहरीली खाद और कीटनाशकों का खूब प्रयोग !
पर इन सबके बावजूद भी मूंगफली में आज भी मौजूद जबरदस्त पोषक तत्वों को बिल्कुल भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता इसलिए एक स्वस्थ दिनचर्या के तहत मूंगफली का आलू के साथ कम से कम हफ्ते में एक बार तो सेवन करना ही चाहिए !
मूंगफली और आलू के आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए फायदों के बारे में जानने के लिए निम्नलिखित लिंक्स पर क्लिक करें-
जब इतना फायदा है तो कोई क्यों ना खाए आलू
मूंगफली किस मामले में किसी मेवा से कम है
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