सभी वास्तुदोषों को बेहद जल्दी समाप्त करके, घर को ही महाशुभदायक तीर्थ बनाने का एक सबसे आसान तरीका
हमारा घर चाहे छोटा, पुराना या टूटा – फूटा ही क्यों ना हो लेकिन यह तो सभी ने महसूस किया होगा कि हमारा घर ही दुनिया का वो कोना होता है जहाँ पहुंच कर हम अपनी सारी तकलीफों से मुक्ति पाने की कोशिश करतें हैं ! घर से लोगों का इतना गहरा लगाव होता है कि सभी चाहतें हैं कि मरते समय उनका प्राण त्याग उनके खुद के घर में, उनके अपने लोगों के बीच में ही हो (यहाँ तक की ऐसे निर्मोही अपराधी जिन्हे सैकड़ों लोगों का क़त्ल अपने हाथों से करने में कोई मोह नहीं लगता, वे भी चाहतें हैं कि मरते समय वे अपने घर में ही हो) !
घर की इतनी प्रचंड महिमा होने के बावजूद भी कई लोगों को अपने ही घर जाने का मन नहीं करता क्योकि इसके मुख्यतः दो कारण अक्सर सुनने को मिलते है; पहला कारण- घर में रहने वाले लोगों के स्वभाव में कोई दिक्क्त (जैसे- झगड़ालूपन, स्वार्थीपन आदि) हो, दूसरा कारण- घर की जमीन या कमरों आदि में कोई बड़ा वास्तु दोष हो जिसकी वजह से घर में बिना किसी कारण के भी अक्सर अच्छा महसूस ना होता हो !
घर के लोगों के स्वभाव में कोई दिक्क्त हो तो उसे दूर करने के लिए “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने पहले भी कई आश्चर्यजनक लाभ पहुंचाने वाले आर्टिकल्स प्रकाशित किए हैं (जिनमें से एक आर्टिकल को पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- सभी बिमारियों, सभी मनोकामनाओं व सभी समस्याओं का निश्चित उपाय है ये) !
अब बात करते हैं वास्तु दोष की ! सबसे पहले जिन आदरणीय पाठकों को ये ही नहीं पता की “वास्तु दोष” क्या चीज होता है तो उन्हें हम बताना चाहेंगे कि अनंत वर्ष पुराने हिन्दू धर्म के वेरी साइंटिफिक ज्ञान ज्योतिष (Astrology) में ही वर्णित है, हर तरह की समस्याओं व बाधाओं (यानी वास्तु दोषों) से रहित, एक ऐसे अभेद्य सुरक्षा कवच रुपी घर का निर्माण करने का तरीका, जिसमें रहने की वजह से लोग विभिन्न परेशानियों (जैसे- बिमारी, गरीबी, एक्सीडेंट, फर्जी मुकदमे, अपमान आदि) से अधिक से अधिक सुरक्षित रहते हुए, सदा प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए जीवन की चार प्रमुख उपलब्धियों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) को प्राप्त करतें हैं ! जैसे- घर की अग्नि कोण (यानी घर की पूर्व व दक्षिण दिशा के बीच का स्थान) की अग्नि मजबूत हो तो घर में किसी भी तरह की नेगेटिव एनर्जी प्रवेश नहीं कर पाती है इसलिए अग्नि कोण पर ही घर की रसोई बनाने और मंदिर का दीपक हमेशा जलाने का प्रावधान है लेकिन जब लोग अग्नि कोण पर ही बाथरूम बनवा देतें है (जिसमें अक्सर पानी गिरता रहता है) तो अग्नि कमजोर पड़ जाती है जिससे घर का रक्षा कवच भी कमजोर पड़ जाता है !
वास्तु दोष से जुड़े हुए नियम (जैसे- बेड रूम, डाइनिंग रूम, स्टडी रूम आदि किस – किस दिशा में होना चाहिए) इतने ज्यादा हैं और इतने खर्चीले भी हैं कि आमतौर पर इन्हें पूरी तरह से पालन कर पाना सभी के वश की बात नहीं होती है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि इन वास्तुदोषों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाए, जैसे उदाहरण के तौर पर एक अच्छा भला स्वस्थ आदमी भी किसी ऐसे तिकोने (triangular shape) बने हुए घर (जिसकी जमीन भी तिकोनी हो) में रहने लगे तो उसे भी अजीब सी घबराहट होने लग सकती है क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार त्रिकोण में बना हुआ मकान गृह स्वामी के लिए मृत्युतुल्य कष्टदायक हो सकता है ! इसके अतिरिक्त वास्तुशास्त्र के अनुसार किसी घर के मध्य में बना हुआ आंगन अगर क्षतिग्रस्त (टूटा -फूटा) हो या हमेशा कूड़ा – करकट से भरा हुआ रहता हो तो भी घर के लोग अक्सर बेवजह उदिग्न या परेशान बने रह सकतें हैं ! जिन लोगों का खाना खाते समय मुंह दक्षिण दिशा की तरफ रहता है उन्हें उस खाने से पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है क्योकि दक्षिण दिशा यमराज की होती है इसलिए वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा की तरफ मल – मूत्र का त्याग करना ही श्रेयस्कर होता है (इसलिए घर में टॉयलेट का निर्माण करवाते समय पॉट या कमोड की दिशा ऐसे ही निर्धारित करना चाहिए) ! ये तो लगभग सभी को पता होगा कि सोते समय सिर उत्तर दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए क्योकि उत्तर दिशा की खिचाव की वजह से गहरी नींद आने में दिक्क्त आती है ! घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की तरफ हो तो घर में छोटी – मोटी समस्या अक्सर बनी रहती है और खाने – पीने का सामान भी जल्दी सड़ जाता है, जबकि पूरब व उत्तर मुखी घर में उत्साह का माहौल बना रहता है और खाने – पीने का सामान भी अपेक्षाकृत ज्यादा देर तक सुरक्षित रहता है ! घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की तरफ हो तो घर में उदासी आती है !
वास्तव में देखा जाए तो यह बहुत जटिल समस्या है कि एक आम आदमी जो धन व सामर्थ्य की कमी की वजह से वास्तु दोष के सारे नियम पालन नहीं कर सकता, तो वो आखिर ऐसा क्या करे कि, उसे वास्तु दोष की सभी समस्याओं से मुक्ति मिल सके ! ऐसा बहुत बार देखा गया है कि घर में किसी बड़े वास्तुदोष की वजह से, घर में रहने वाले सभी लोगों की हाई लेवल की पढ़ाई – लिखाई – समझदारी एकदम बेकार साबित होती है जिसकी वजह से घर में ना तो सुख – शान्ति रहती है (हर रोज लड़ाई – झगड़े या कोई नयी मुसीबत खड़ी हो जाने की वजह से) और ना ही घर के लोग काफी मेहनत करने के बावजूद भी अपने टैलेंट के अनुरूप धन कमा पातें हैं ! यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कोई घर ऊपर से चाहे कितना भी सुंदर, सुख – सुविधा सम्पन्न दिखाई देता हो लेकिन उसके अंदर अगर बड़े वास्तुदोष मौजूद हो तो वह घर किसी दुर्भाग्य की ही तरह घर में रहने वाले लोगों को बर्बाद कर सकता है यानी जिस घर को हम अपना “रक्षक” समझ रहें होतें हैं वही घर वास्तव में हमारा “भक्षक” बन सकता है !
इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने परम आदरणीय ऋषि सत्ता से सहायता लेने का प्रयास किया और हर बार की ही तरह जनकल्याणार्थ परम आदरणीय ऋषि सत्ता का कृपा स्वरुप ज्ञान हमें आसानी से प्राप्त हो गया !
परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार इस दुनिया में जितने भी तरह के वास्तु नियम हैं उन सभी को अपने अंदर धारण करतीं हैं “धरती माँ” ! वास्तव में धरती माँ त्रिगुणात्मक (सत्व, रज, तम युक्त) हैं इसलिए अलग – अलग व्यक्ति, अपने – अपने प्रारब्ध अनुसार धरती माँ के अलग – अलग रूपों का दर्शन करता है ! यहाँ अलग – अलग रूपों का मतलब है कि जहाँ वास्तुदोष अधिक हैं वहां समझना चाहिए कि धरती में तम की मात्रा ज्यादा है (जैसे- कसाईखाना जहाँ पहुँचते ही मन में अजीब सी नेगेटिविटी फैलने लगती है) और जहाँ वास्तुदोष नहीं हैं वहां समझना चाहिए सत्व की मात्रा अधिक है (जैसे- सैकड़ों साल पहले बनें हुए प्राचीन सिद्ध मंदिर जहाँ पहुंचते ही बेचैन मन भी शांत होने लगता है) !
तो परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार, अगर घर को हर तरह के वास्तुदोष के दुष्प्रभावों से बचाना हो तो, सबसे आसान और सटीक तरीका है कि खुद धरती माँ (की मूर्ती या चित्र या सजीव रूप) को ही घर में स्थापित कर दिया जाए, क्योकि जिस घर में धरती माँ की विधिवत स्थापना करके, उन्हें घर के सभी सदस्यों द्वारा रोज सिर्फ एक बार भी प्रेमपूर्वक प्रणाम किया जाता हो, उस घर में ना तो बड़े से बड़ा वास्तु दोष भी कोई बुरा असर डाल सकता है और ना ही उस घर में कभी मरने वाला कोई व्यक्ति नर्क या निम्न योनि में जन्म ले सकता है (क्योकि वह घर किसी भी मामले में तीर्थ स्थल से कम पवित्र व शुभ नहीं होता है) !
तो अब यहाँ पर कई ऐसे प्रश्न पैदा होतें है जिनका उत्तर आम तौर पर लोग नहीं जानतें है, जैसे- धरती माँ कौन हैं ? धरती माँ दिखती कैसी हैं (क्योकि बिना यह जाने की धरती माँ दिखती कैसी हैं उनकी मूर्ती या चित्र को घर में कैसे स्थापित किया जा सकता है) ?
तो इन सभी प्रश्नों का उत्तर यही है कि धरती माँ कोई और नहीं बल्कि गाय माँ ही हैं (इसलिए ग्रंथों में गाय माँ को ही जगत माता कहा गया है और खुद श्रीमद् भागवत महापुराण में भी लिखा है कि धरती माँ जब नारायण से बात कर रही थी तो उनका रूप गाय का ही था) !
वास्तव में एक निराकार (मतलब जिसका कोई आकार नहीं है) ईश्वर अलग – अलग विशिष्ट कामों को करने के लिए अलग – अलग रूप धारण करते रहतें हैं (जैसे संहार के लिए शिव जी का रूप, पालन करने के लिए विष्णु जी का रूप, और पैदा करने के लिए ब्रह्मा जी का रूप) उसी तरह ईश्वर ने जगत को धारण करने के लिए विशाल धरती यानी पृथ्वी का रूप लिया ! लेकिन धरती माँ अपने सभी पुत्रों के लिए हमेशा उपजाऊ बनी रहें इसलिए वो खुद को सूक्ष्म रूप (यानी गाय के रूप में) में परिवर्तित करके, हम मानवों के बीच में विचरने लगी (लेकिन हम में से कई मूर्ख मानवों ने गाय माँ से प्राप्त बेशकीमती गोबर व गोमूत्र से अन्न की पैदावार बढ़ाने की जगह, गाय माँ को ही मारकर खाना शुरू कर दिया) ! इसलिए कई आदरणीय संत महात्मा, भारतीय देशी नस्ल की गाय माँ को भगवान कृष्ण का ही साक्षात् ममतामयी अवतार मानते हैं !
वैसे आज के मॉडर्न साइंस (जो कि वास्तव में अभी बहुत अपरिपक्व अवस्था में है) के आधार पर भी वैज्ञानिकों ने यह नयी खोज की है कि हमारी पृथ्वी केवल विभिन्न खनिज पदार्थों का बना हुआ कोई विशाल गोला मात्र नहीं है बल्कि यह एक ऐसा इंटेलीजेंट प्लेनेट है जिसके पास सोचने के लिए अपना खुद का दिमाग है जिसकी वजह से पृथ्वी पर होने वाली सारी घटनाओं को पृथ्वी हमेशा से खुद अपने दिमाग से ही तय करती आ रही है (इस खोज के बारें में अधिक जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- Brain Of Earth: धरती के पास अपनी बुद्धि है, वो उसके हिसाब से करती है काम…नई स्टडी) ! अब यह तो कोई मूर्ख भी समझ सकता है कि सोचने का काम कोई निर्जीव वस्तु नहीं, बल्कि केवल एक जीवित प्राणी ही कर सकता है ! खैर वैज्ञानिको ने अब कम से कम ये तो माना की पृथ्वी निर्जीव नहीं, बल्कि जीवित है ! फिर, जैसे सूर्य से पृथ्वी की सही दूरी के बारे में, कई सौ साल पहले ही श्री तुलसीदास जी हनुमान चालीसा में लिखकर चले गए थे (जिसे बाद में आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी सही पाया था), वैसे ही भारतीय ग्रंथो में लिखे इस सत्य “कि भारतीय देशी नस्ल की गाय माँ ही विशाल पृथ्वी का साक्षात् व संक्षिप्त स्वरुप हैं” को भी आधुनिक वैज्ञानिक देर – सवेर स्वीकारेंगे !
अतः अगर आप अपने महानगरीय रहन – सहन (जैसे- अपार्टमेन्ट सिस्टम, घर में जगह की कमी आदि) की वजह से अपने घर में गाय माँ को सजीव रूप में (यानी जीवित गाय माँ) रखने में समर्थ नहीं हैं तो भी कोई चिंता की बात नहीं है क्योकि आप वही लाभ गाय माँ की फोटो या मूर्ती की प्रेमपूर्वक स्थापना से भी निश्चित पा सकतें हैं ! आपको बस करना यह है कि गाय माँ की कोई भी प्रसन्नचित्त फोटो को घर के मुख्य द्वार के अंदर वाले कमरे की दीवार पर साफ़ सुथरी जगह पर टांग देना हैं और रोज जब भी मौका मिले बस एक बार प्रेम से गाय माँ को प्रणाम कर देना है !
यहाँ पर एक बात और ध्यान देने की जरूरत है कि आप गाय माँ की जो फोटो लगाएंगे उसमें सिर्फ गाय माँ ही होना चाहिए और दूसरा कोई नहीं ! मतलब गाय माँ की फोटो में, कोई दूसरे भगवान की फोटो (जैसे कृष्ण जी , शिव जी आदि) नहीं होनी चाहिए क्योकि वास्तु की दृष्टि से धरती के सभी वास्तु नियमो की फर्स्ट एंड इमीडियेट कंट्रोलर अथॉरिटी हैं- “ईश्वर का गाय माँ वाला रूप” ; जिसे आसान भाषा में कहें तो, मान लीजिये अगर कभी आपके इलाके में कोई वारदात होती है तो आप किसी दूसरे को इन्फॉर्म करने की जगह, सबसे पहले आप अपने इलाके के थाना इंचार्ज को ही रिपोर्ट करतें हैं क्योकि नियमानुसार थाना इंचार्ज को ही संवैधानिक रूप से ताकत मिली है अपने इलाके की क़ानून व्यवस्था को मेंटेन रखने के लिए, उसी तरह पूरी पृथ्वी की सभी शक्तियों को अपने अंदर समेटकर ईश्वर ने गाय माँ का रूप इसलिए ही धारण किया है ताकि वो पृथ्वी पर स्थित बड़े से बड़े और खतरनाक से खतरनाक वास्तु दोषों का भी जल्द से जल्द नाश कर सकें (गाय माँ के इसी गुप्त व आश्चर्यजनक फायदे के बारें में प्राचीन काल में सभी लोग जानतें थे इसलिए सभी लोग अपने घर में गाय माँ को पालकर देवी की तरह सेवा करना कभी नहीं भूलते थे) !
अगर आपको गाय माँ की ऐसी कोई फोटो नहीं मिल पा रही हो जिसमें सिर्फ गाय माँ ही हो, तो आपकी सुविधा के लिए हमने इस आर्टिकल में, ठीक ऊपर गाय माँ की जो फोटो प्रकाशित की है, उसे आप किसी भी प्रिंट आउट वाली दूकान पर जाकर डाउनलोड करवाकर, प्रिंट करवा सकतें हैं और फिर अपनी इच्छानुसार लेमिनेशन या फ्रेम से कवर करवाकर हमेशा के लिए सुरक्षित भी कर सकतें हैं ! यह फोटो हमने बड़ी साइज की प्रकाशित की है जिससे आप अपनी इच्छानुसार छोटी पासपोर्ट साइज से लेकर, 1 फ़ीट लम्बी – चौड़ी तक फोटो, आसानी से तुरंत प्रिंट करवा सकतें हैं {हमसे जुड़े कई लोगों ने भी “स्वयं बनें गोपाल” समूह की वेबसाइट के Logo (बैनर) पर बनी गाय माँ की फोटो (जिस फोटो का बड़ा रूप आज हमने इस आर्टिकल में भी ठीक ऊपर प्रकाशित किया है) को ही प्रिंट करवाकर घर के मुख्य द्वार पर लगवाया था, जिसके बाद मात्र एक से दो दिन के अंदर ही उन्हें घर के बोझिल माहौल में हल्कापन महसूस होना शुरू हो गया था} !
गाय माँ की फोटो को घर के मेन गेट के पास वाले कमरे में लटकाने के लिए किसी भी शुभ मुहूर्त का इंतजार करने की जरूरत नहीं है क्योकि दुनिया के सारे तरह के अशुभ को, शुभ में बदलने की अपार क्षमता रखती हैं गाय माँ (इसी वजह से भगवान का ऐसा कोई अवतार नहीं है जो गाय माँ के शरीर में वास ना करता हो) ! गाय माँ की फोटो लगाते समय इस बात का ध्यान दें कि वो फोटो बारिश के पानी या धूप की गर्मी, या धूल -धुंआ आदि से खराब ना हो सके ! वैसे तो आप फोटो को कमरे के अंदर कहीं भी अपनी सुविधानुसार लगा सकतें हैं लेकिन बेहतर होगा कि आप मुख्य कमरे (जो कि मेन गेट के सबसे ज्यादा पास होता है और लोग जिसे आम तौर पर ड्राइंग रूम, गेस्ट रूम या बैठक भी कहतें हैं) के उस दीवार पर लगाएं जो कि मुख्य कमरे के प्रवेश द्वार के ठीक सामने पड़ती हो ताकि मुख्य कमरे में प्रवेश करते ही सबसे पहले गाय माँ का परम शुभ दर्शन हो सके !
अगर आपके मुख्य कमरे में एक से ज्यादा प्रवेश द्वार हों तब भी आपको एक ही फोटो लगानी है और वो भी उसी प्रवेश द्वार के ठीक सामने वाली दीवार पर लगानी है जिस प्रवेश द्वार का उपयोग (यानी अंदर आने व बाहर जाने के लिए) आपके घर के सदस्य सबसे ज्यादा करते हों ! गाय माँ की फोटो को दीवार पर ना बहुत उचाई पर लगाना है और ना ही बहुत नीचे, सबसे अच्छा रहता है कि 5 से 7 फ़ीट तक की ऊंचाई के बीच में लगाना ताकि जब भी कोई घर से बाहर जा रहा हो या बाहर से घर के अंदर आ रहा हो तो उसको आसानी से गाय माँ का सर्वदुर्भाग्यनाशक दर्शन हो सके ! वैसे तो गाय माँ की फोटो को रोज बस एक बार प्रेम से प्रणाम कर लेना ही पर्याप्त है (क्योकि एक आदर्श माँ को अपने पुत्रों से केवल प्रेम चाहिए होता है) लेकिन आप अपनी ख़ुशी के लिए चाहें तो गाय माँ के प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए उनकी फोटो पर 1 – 2 फूल या अगरबत्ती या दीपक या जो कुछ भी आप चाहें अर्पित कर सकतें हैं !
बस इतना ख्याल रखियेगा कि जब घर में सुख शान्ति धीरे – धीरे बढ़ने लगे तब आप गाय माँ के प्रति अपना प्रेम – सम्मान भी धीरे – धीरे कम मत करने लगिएगा क्योकि आम तौर पर ज्यादातर लोग यही गलती करतें हैं कि जब उन्हें कोई बढियाँ लाभ नया – नया मिलना शुरू होता है तो वो उसकी बहुत इज्जत करतें हैं पर धीरे – धीरे उस लाभ के प्रति लापरवाह होने लगतें हैं, जिसकी वजह से वो बढियाँ लाभ वापस गायब होने लगता है ! यहाँ इस बात को फिर से दोहराया जा रहा है कि गाय माँ की फोटो या मूर्ती को आपसे चाहिए सिर्फ थोड़ा सा प्रेम (जिसमें आपका एक रूपए भी खर्च नहीं होना है) इसलिए आप भले ही कितना व्यस्त, परेशान या दुखी हों लेकिन गाय माँ को रोज एक बार प्रेमपूर्वक प्रणाम करना मत भूलियेगा (अगर कभी आपको कई दिनों के लिए घर से कही बाहर जाकर रहना पड़ रहा हों तब भी आप गाय माँ की फोटो को रोज मानसिक प्रणाम करके बेशकीमती आशीर्वाद जरूर प्राप्त कर सकतें हैं) !
इस सत्य का तो धर्म ग्रंथो में बार – बार वर्णन है कि जिस जगह पर गाय माँ की दिल से सेवा करके उन्हें प्रसन्न रखा जाता हैं, वह जगह अपने आप भगवान् कृष्ण का निजधाम, परम दुर्लभ “गोलोक” बन जाता है और फिर वहां बिना बुलाये ही अपने आप, अनंत ब्रह्माण्डों के निर्माता लड्डू गोपाल का दृश्य – अदृश्य रूप में निवास करना तय है ! क्योकि गाय माँ के बिना भगवान गोपाल एक क्षण भी नहीं रह सकते हैं इसलिए भगवान गोपाल ने अपने नित्य निवास स्थल का नाम, अपने नाम पर नहीं बल्कि गाय माँ के नाम पर ही “गोलोक” रखा हुआ है ! इसलिए बहुत से भक्त, लड्डू गोपाल को जल्दी प्रसन्न करने के लिए, लड्डू गोपाल की पूजा करने से ज्यादा समय, गाय माँ की सेवा करने में लगाते हैं (जैसे देखिये इस वीडियो में- कैसे जर्मनी देश की चमक – दमक वाली नश्वर आधुनिक लाइफ को छोड़कर, यह महिला भगवान गोपाल की भक्ति महासुख में सदा निमग्न रहने के लिए, परम संतुष्टि भाव से वर्षो से वृन्दावन में गाय माँ की सेवा में ही लगी हुईं हैं- Vrindavan :21 साल पहले जर्मनी से वृंदावन आकर क्यों उठा रही है गोबर?) ! अतः आप भी जितना ज्यादा गहरा विश्वास रखेंगे कि आपके द्वारा घर में स्थापित गाय माँ की फोटो या मूर्ती, केवल एक निर्जीव फोटो या मूर्ती नहीं है, बल्कि साक्षात् गाय माँ की कृपा दृष्टि का प्रतिबिम्ब हैं, आप उतना ही जल्दी घर में आश्चर्य व ख़ुशी मिश्रित सुधार देखेंगे !
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