अपार सफलता पाईये दिनचर्या के इन आसान कामों से सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों को समाप्त करके
सबसे पहले ये जानिये की आखिर ऋषियों – मुनियों ने ज्योतिष साइंस की खोज क्यों की थी ? वास्तव में जब ब्रह्मा जी ने हमारी सृष्टि का नया – नया निर्माण किया था तो उन्होंने सृष्टि का काम आगे ठीक से बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंप दी थी उस समय के सबसे बड़े साइंटिस्ट्स (वैज्ञानिकों) को और उन साइंटिस्ट्स (यानी ऋषियों – मुनियों) ने हजारों सालों तक रिसर्च करके एक से बढ़कर एक बेशकीमती व फायदेमंद अविष्कारों को खोज निकाला था, जिसमें से एक था ज्योतिष विज्ञान !
पर आज के कुछ ढोंगी ज्योतिषियों की वजह से, कई मूर्ख लोगों को मौका मिल गया है ज्योतिष जैसे हाइली एडवांस्ड साइंस को केवल अंधविश्वास का पिटारा साबित करके बदनाम करने का ! जबकि ज्योतिष विज्ञान का ये मतलब कत्तई नहीं है कि कोई आदमी मेहनत करना छोड़ दे, और केवल भाग्य भरोसे बैठकर सफलता पाने का इंतजार करता रहे !
अगर एक लाइन में समझना हो कि ज्योतिष साइंस का उद्देश्य क्या है, तो वो है,- “सांसारिक व आध्यात्मिक रूप से अपने आप को सही से समझ पाना” मतलब जैसे विश्व के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन से अगर कहा जाता कि आप वैज्ञानिक खोज करने की जगह फ़ुटबाल प्लेयर बनिए तो क्या वो उसी स्तर के एक महान प्लेयर बन पाते ! बिल्कुल नहीं बन पाते ! अल्बर्ट आइंस्टीन की किस्मत अच्छी थी कि जो काम (रिसर्च करना) उन्हें पसंद था उसी में उन्हें करियर बनाने का मौका मिल गया, जबकि दुनिया में अधिकाँश लोगों को किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती है जिसका कारण ये नहीं कि अधिकाँश लोगों को उनके मनपसंद काम को करने से किसी ने रोक रखा है, बल्कि सबसे मुख्य कारण यह है कि उन्हें खुद ही वास्तव में नहीं पता है कि उनका मनपसंद काम आखिर है क्या !
तो ऐसे मौके पर काम आता है ज्योतिष विज्ञान जो यह बता सकता है कि सांसारिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए अलग – अलग मानवों की अलग – अलग प्रकृति, परिस्थिति व अन्य कई तथ्यों के आधार पर कौन सा तरीका सबसे आसान साबित होगा ! ध्यान से समझिये कि आसान तरीका का मतलब कम मेहनत वाला तरीका नहीं होता है, बल्कि हर अलग – अलग मानव के हिसाब से वो अलग – अलग तरीका जिसमे कोई मानव कितनी भी मेहनत कर लें लेकिन उसे थकान, बोरियत की जगह उत्साह, संतुष्टि महसूस होती है ! जैसे- प्राप्त जानकारी अनुसार मध्य भारत का कई वर्ष पुराना एक किस्सा सुनने को मिलता है- जब एक लड़का बहुत टैलेंटेड व मेहनती होने के बावजूद भी कई सालों तक आई. ए. एस. ऑफिसर नहीं बन पा रहा था तब उसने अपने शहर के ही एक अनुभवी ज्योतिषी से मदद ली, तो ज्योतिषी ने उसकी कुंडली देखकर बताया कि शिक्षा से तुम्हे काफी सफलता तो लिखी है लेकिन बेहतर होगा कि अगर तुम शिक्षा को खुद लेने की जगह दूसरों को देने का काम शुरू कर दो !
तब उस लड़के ने बुझे मन से खुद सिविल सर्विसेज की तैयारी करना छोड़ दिया, और फिर उसने दूसरे स्टूडेंट्स को सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाने वाली एक छोटी सी कोचिंग की शुरूआत की, जिसमें बहुत ही कम स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया लेकिन चूंकि पढ़ना – पढ़ाना उस लड़के का पैशन था इसलिए उसने अपने स्टूडेंट्स को काफी मेहनत से पढ़ाया जिसकी वजह से पहली ही बैच की तीन गर्ल्स स्टूडेंट का स्टेट लेवल पर सेलेक्शन हो गया और उसकी कोचिंग का नाम काफी फ़ैल गया ! अब अगले साल कई नए स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया और उस साल भी कई स्टूडेंट्स ने विभिन्न एग्जाम को क्वालीफाई किया जिसकी वजह से उसकी कोचिंग की प्रसिद्धि से प्रभावित होकर दूसरे शहरों से भी बहुत से स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया ! धीरे – धीरे कुछ ही वर्षों में उसने बहुत पैसा कमाया और अपने शहर में विधायक का चुनाव भी लड़कर जीता जिसके बाद किसी मंत्री की बेटी से उसकी शादी भी हो गयी !
इस पूरी घटना में दो बातें ध्यान देने वाली है, जिसमें पहली बात यह है कि, एक ज्योतिषी के द्वारा बताये गए एक मामूली परिवर्तन से उसका जीवन क्या से क्या हो गया, मतलब कहाँ वो पहले एक निराश बेरोजगार गरीब युवक था और बाद में वो एक धनी बिजनेसमैन व माननीय विधायक भी बन गया ! और दूसरी बात यह है कि उन ज्योतिषी ने उसे प्रोफेशन बदलने को नहीं कहा, बल्कि केवल तरीका बदलने को कहा, क्योकि ज्योंतिषी को ये भी पता था कि उस लड़के की कुंडली के हिसाब से उसका सबसे ज्यादा इंटरेस्ट शिक्षा में ही है इसलिए वो लड़का सबसे ज्यादा उत्साह व ख़ुशी पूर्वक मेहनत भी शिक्षा में ही कर सकेगा, जिसकी वजह से वह शिक्षा में ही सबसे ज्यादा सफलता भी प्राप्त कर सकेगा (क्योकि बिना मेहनत के किसी भी क्षेत्र में टिकाऊ सफलता नहीं मिल सकती है) !
इस उदाहरण से यह भी साबित होता है कि ज्योतिष कभी भी भाग्यवाद या अकर्मण्यता को बढ़ावा नहीं देता है, बल्कि मेहनत करने के उन तरीकों को खोजने में मदद करता है जिनसे कम से कम समय में अधिक से अधिक सफलता प्राप्त किया जा सके ! ज्योतिष से ना केवल सभी सांसारिक समस्याओं का कारण व सफलताओं के पाने का तरीका जाना जा सकता है, बल्कि अपनी आध्यात्मिक उन्नति पाने का सही मार्ग भी जाना जा सकता है, जैसे-
“स्वयं बनें गोपाल” समूह उत्तर भारत के एक प्रसिद्ध चिकित्सक के बारें में जानता है जिन्होंने अपने चिकित्सकीय ज्ञान से ना जाने कितने ही लोगों की बहुत मदद की थी ! उन चिकित्सक की भगवान की पूजा पाठ करने में रुचि तो थी लेकिन उनकी बिजी लाइफ स्टाइल की वजह से उनके पास ज्यादा समय नहीं रहता था पूजा पाठ करने के लिए जिसका उन्हें मन ही मन पछतावा भी रहता था ! पर उनका यह पछतावा उस दिन दूर हो गया जब एक मूर्धन्य ज्योतिषीय ने उनका हाथ देखकर बताया कि वो मुख्यतः कर्मयोगी (यानी जरूरतमंदो की यथासम्भव सहायता करने वाले) प्रकृति के हैं इसलिए अगर उन्हें भक्ति योग (यानी पूजा पाठ) के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता है तो भी चिंता की कोई बात नहीं है ! और उन ज्योतिषी ने डॉक्टर साहब का हाथ देखकर यह भी बताया कि आपको जल्द ही आपके सभी अच्छे कर्मो की बदौलत कोई महाआश्चर्यजनक उपलब्धि भी मिलने वाली है ! वो उपलब्धि क्या थी ज्योतिषी उस समय अंदाजा नहीं लगा पाए लेकिन कुछ ही वर्षों बाद उन डॉक्टर साहब को वह महाआश्चर्यजनक उपलब्धि मिल भी गयी उत्तर भारत के एक प्राचीन मंदिर में ईश्वर के साक्षात् दर्शन के रूप में !
तो इस उदाहरण से यह साबित होता है कि कैसे ज्योतिष के माध्यम से कोई भी अपने आध्यात्मिक उन्नति से संबन्धित सभी शंकाओं का समाधान करके निश्चिन्त हो सकता है जैसे उन डॉक्टर साहब को शंका थी कि जरूरतमंदों की सेवा सहायता जैसे चाहे कितने भी अच्छे काम कर लो, लेकिन भगवान तब तक खुश हो ही नहीं सकते हैं जब तक कि रोज खूब पूजा पाठ ना करो !
वास्तव में हर आदमी यही तो चाहता है कि जब तक जीएं ख़ुशी से जियें और मरने के बाद जहाँ भी जाएँ वहां भी खुश रहें ! तो ऐसे में सारांश रूप में यही कहा जा सकता है कि अलग – अलग व्यक्तियों के हिसाब से सांसारिक ख़ुशी व पारलौकिक ख़ुशी दोनों को पाने क्या आसान तरीका हो सकता है, यह जानने का एक बहुत ही सशक्त माध्यम है ज्योतिष विज्ञान !
उम्मीद है ज्योतिष विज्ञान की उपयोगिता के बारे में अब तक जिन सज्जनों को भ्रम रहा होगा, ऊपर लिखे हुए तथ्यों से दूर हो गया होगा ! अब बात करतें हैं ज्योतिष विज्ञान की कुछ अन्य विशेष उपयोगिता के बारे में जिन्हे आसानी से आजमाकर कोई भी अपने जीवन में अपार सफलता प्राप्त कर सकता है (ये नई उपयोगिता यह भी प्रदर्शित करती है कि ज्योतिष विज्ञान कितना प्रैक्टिकल भी है जो सुखी समाज की सबसे प्रथम नीव यानी संयुक्त परिवार को जोड़कर रखने में कितना अधिक मददगार साबित होता है) !
जैसा की हमने पूर्व के आर्टिकल्स में भी बताया है कि हम वर्तमान में जो कुछ भी सुख – दुःख पातें हैं उसके मुख्य कारण होतें हैं हमारे वर्तमान कर्म और प्रारब्ध ! प्रारब्ध अगर बहुत बुरा हो (या अकाट्य हो) तो वर्तमान में अच्छे से अच्छा कर्म भी बेअसर हो जाता है ! ज्योतिष की दृष्टि से कह सकतें हैं कि बुरे प्रारब्ध का निर्धारण करतें हैं कुंडली में स्थित ग्रहों के बुरे प्रभाव ! वास्तव में हर ग्रह के अच्छे व बुरे प्रभाव होतें हैं लेकिन कोई ग्रह अच्छा प्रभाव पैदा करेगा या बुरा, यह तय होता है उस ग्रह की जन्म कुंडली में स्थिति पर !
इसलिए सारांश कहें तो कुंडली में स्थित सभी ग्रहों के बुरे प्रभावों को अगर विभिन्न उपायों द्वारा समाप्त करने की कोशिश की जाए और सभी ग्रहों के अच्छे प्रभावों को और ज्यादा बढ़ाने की कोशिश की जाए, तो ये दो आश्चर्यजनक फायदे मिलेंगे; पहला फायदा- जीवन में आने वाली कई छोटी – बड़ी तकलीफों से हमेशा मुक्ति मिलती रहेगी (अकाट्य बुरे प्रारब्धों को छोड़कर) ! दूसरा फायदा- अब तक जिन ग्रहों के साधारण अच्छे प्रभावों की वजह से साधारण तरक्की मिल रही होती है, उनके और ज्यादा बढ़ जाने की वजह से और ज्यादा बड़ी तरक्की मिलने लगती है !
अब यहाँ प्रश्न बनता है कि आखिर कैसे, ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम तथा अच्छे प्रभावों को बढ़ाया जा सकता है ! आम तौर पर ज्योतिषी लोग इसके लिए अलग – अलग तरह के रत्न (जैसे- नीलम, मोती, पुखराज, हीरा, माणिक, पन्ना, मूंगा, गोमेद, लहसुनिया आदि) बतातें हैं लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” समूह के शोधकर्ताओं ने काफी खोजबीन करके जाना है कि मार्केट में मिलने वाले कई रत्न भले ही असली हों लेकिन अधिकाँश रत्नो के अंदर कुछ ना कुछ समस्या (जैसे- छोटा सा दाग, धब्बा, जाला, चीरा, बिंदु आदि) जरूर देखने को मिल सकता है, इसी वजह से आपको ऐसे लोग कम मिलेंगे जो ये कह सकतें हैं कि उनको कोई रत्न पहनने से शर्तिया लाभ मिला हो !
कुछ रत्न (जैसे नीलम) तो इतने शक्तिशाली होतें हैं कि उनका डिफेक्टिव पीस धारण करने से कई लोगों को मात्र 24 घंटे में ही कोई अनहोनी समस्या (जैसे एक्सीडेंट आदि) झेलना पड़ा है (इसलिए कहा जाता है कि किसी रत्न को ऊँगली में अंगूठी बनाकर धारण करने से पहले अगर सम्भव हो तो सोते समय तकिया के नीचे रखकर सोना चाहिए जिससे अगर कोई शुभ सपना आये तो समझना चाहिए कि रत्न फायदेमंद साबित होगा) ! कुछ लोग ये भी तर्क देते हैं कि मोती में तो कोई दाग – धब्बे की समस्या नहीं होती तो उसे बेहिचक धारण किया जा सकता है जबकि ऐसा है नहीं क्योकि जो मोती प्राकृतिक रूप से समुद्र में मिलते हैं (जो कि अब ना के बराबर मिलते हैं) सिर्फ वही फायदेमंद होतें हैं, ना कि सीप की खेती के दौरान सीप की असमय हत्या करके प्राप्त मोती !
रत्नो के अलावा कई ज्योतिषी पूजा – पाठ आदि का भी उपाय बतातें है ग्रहों के बुरे प्रभावों को समाप्त करने के लिए, लेकिन लगभग सभी ग्रहों के मंत्र कठिन संस्कृत भाषा में हैं जिनका सही उच्चारण कर पाना सभी के वश की बात नहीं है !
इसलिए आज हम बात कर रहें हैं ऐसे तरीकों के बारे में जो ना केवल किसी भी मामले में रत्नों या पूजा पाठ आदि से कम फायदेमंद है, बल्कि उन्हें आजमाने के लिए एक रुपए भी खर्च करने की जरुरत नहीं हैं जिसकी वजह से इन उपायों को आजमाकर कई लोगों ने कई तरह के आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त किए हैं ! आईये बारी – बारी जानतें हैं सभी ग्रहों के बुरे प्रभावों को समाप्त करने व उनके अच्छे प्रभावों को बढ़ाने वाले, बेहद आसान तरीकों के बारें में (कृपया ध्यान दें कि आपकी कुंडली में कोई भी ग्रह, चाहे किसी भी खाने में बैठा हो, उससे आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योकि निम्नलिखित सभी तरीकों को एक साथ अपनी दिनचर्या में शामिल करने से बड़ी से बड़ी तकलीफों को भी कम होते हुए देखा गया है और अनायास सफलता मिलते हुए भी देखा गया है)-
मंगल ग्रह- मंगल इतना प्रचंड शक्तिशाली ग्रह होता है कि इस दुनिया में अब तक जितने भी विश्वविजयी सम्राट, सेनाअध्यक्ष हुए हैं वो बिना मंगल ग्रह के सपोर्ट के नहीं हो पाएं है क्योकि मंगल ही साहस, ऊर्जा व पराक्रम देता है ! मंगल विस्फोटक ग्रह है और तुरंत रियेक्ट करता है इसलिए मंगल की स्थिति शुभ होना जरूरी है ! आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मंगल ग्रह को शुभ करने का एक सबसे आसान तरीका है अपने भाईयों से संबंध बढ़िया रखना, इसलिए आपने देखा होगा कि जिन संयुक्त परिवार में भाईयों में प्रेम बना रहता है उस घर में मंगल ग्रह की कृपा बनी रहती है जिसकी वजह से उस घर के लोगों से मोहल्ले के बुरे आदमी भी पंगा लेने से अपने आप डरतें हैं !
लेकिन जो लोग अपने निर्दोष भाईओ को अपमानित करते हैं उनका पतन निश्चित है क्योकि उनका मंगल कमजोर हो जाने की वजह से उनके कई जाने – अनजाने दुश्मन पैदा हो जातें हैं जो एक ना एक दिन उनको बर्बाद कर देतें हैं, जैसे- रावण, बाली, दुर्योधन आदि जैसे सभी शक्तिशाली लोगों ने अपने भाईओं को अपमानित किया इसलिए इन सभी का सर्वनाश होने से दुनिया की कोई ताकत बचा नहीं पायी ! अगर कोई आदमी अपने सगे भाईयों के साथ – साथ अधिक से अधिक पराये लोगों को भी अपने सगे भाईयों की तरह सम्मान व सहायता करता है तो उसका मंगल ग्रह आश्चर्यजनक रूप से परम शुभकारी हो जाता है !
बुध ग्रह- यह ग्रह मुख्यतः मालिक होता है मानव की बुद्धि व सुन्दर बोलने की क्षमता का और जिसकी बुद्धि व बोलने की क्षमता अच्छी होती है वो हर क्षेत्र (जैसे- जॉब, बिजनेस, राजनीति आदि) में सम्मान पाता है ! बुध ग्रह का वास होता है बहन, बुआ, बेटी आदि में, इसलिए कहने की जरूरत नहीं है कि घर की इन स्त्रियों का बेवजह अपमान करने से कुंडली में अच्छी अवस्था में बैठा बुध ग्रह भी ख़राब फल देने लगता है ! और इसके विपरीत अपने घर की इन महिलाओं के साथ – साथ दूसरों की बहन, बुआ, बेटी आदि को भी यथोचित सम्मान देने से कुंडली में ख़राब अवस्था में बैठा बुध ग्रह भी बेहद शुभ फल देने लगता है !
बृहस्पति ग्रह- बृहस्पति बहुत ही विशाल ग्रह है जिसकी वजह से इसका अच्छा/बुरा असर भी बहुत विशाल होता है ! कुछ ज्योतिषियों का तो मानना है कि महिलाओं की शादी में सबसे अहम रोल बृहस्पति ग्रह का ही होता है ! यह ग्रह (जिसे गुरु ग्रह भी कहतें हैं) आम तौर पर मानव के संस्कार, क़ानून, धर्म, पाचन तंत्र की समस्याएं (मोटापा), आदि का कारक होता है ! गुरु ग्रह की वजह से ही कुंडली में कई बेहद अच्छे योग जैसे “केसरी योग”, “कुलदीपक योग” आदि बनतें हैं ! निष्कर्ष यही है कि अगर बृहस्पति मेहरबान है तो सम्बंधित क्षेत्रों में ठोस व टिकाऊ सफलता मिलती है लेकिन गुरु ग्रह विपरीत हो तो मानव बार – बार की असफलता से घबराकर इनसिक्योरनेस (असुरक्षा की भावना) का शिकार हो सकता है और कई कानूनी पचड़ों में भी बेवजह फंस सकता है !
जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि गुरु ग्रह का वास होता है गुरु में ! और गुरु का मतलब होता है ज्ञान देने वाला ! इस लिहाज से देखा जाए तो हर स्त्री/पुरुष की सबसे पहली गुरु होती है उसकी जन्म दाता माँ, फिर पिता, फिर दादा – दादी, चाचा – चाची, बड़े भाई – बहन आदि ! आजकल के स्कूल – कॉलेज में भी ज्ञान मिलता है लेकिन इस कलियुग में बहुत ही कम ऐसे टीचर देखने को मिलते हैं जिन्हे सही मायनों में गुरु कहा जा सकता हो ! अपने परिवार के अलावा जीवन में कभी – कभी ऐसे अजनबी शख्स से भी मुलाक़ात होने का सौभाग्य मिलता है जो ऐसा बेशकीमती ज्ञान दे जातें हैं जिससे धीरे – धीरे पूरा जीवन ही सुधरने लगता है !
अक्सर लोग जानना चाहतें हैं कि असली गुरु की पहचान क्या होती है ! तो इसके बारें में हम बताना चाहेंगे कि गुरु की मुख्य पहचान उसका स्वभाव व उसके ज्ञान का हाई क्लास लेवल होता है, ना कि उसकी वेशभूषा ! मतलब ये जरूरी नहीं है कि हर साधू – सन्यासी की वेशभूषा वाला शख्स गुरु हो और यह भी जरूरी नहीं कि हर पैंट – शर्ट पहने वाला शख्स गुरु ना हो, जिसके सबसे बड़े उदाहरण हैं खुद आपके माता – पिता जिनसे निश्चित तौर पर आपने अब तक के जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा ग्रहण की होगी !
लेकिन एक क्वालिटी, सभी गुरु में हमेशा पायी जाती है और वो है अपने स्टूडेंट की हजार कमियों व दुर्व्यवहार के बावजूद भी, जरूरत पड़ने पर स्टूडेंट की उचित सहायता करने से पीछे ना हटना ! वास्तव में हर स्टूडेंट अपनी नजर में हमेशा बहुत समझदार और मेच्योर होता है इसलिए कई बार स्टूडेंट को अपने मेंटर (गुरु) की बातें व्यर्थ बकवास लगतीं हैं, लेकिन काफी समय बीतने के बाद उस स्टूडेंट को समझ में आता है कि कैसे उसके बेहद बुद्धिमान मेंटर ने बिना अपने किसी स्वार्थ के, स्टूडेंट की ना जाने कितनी ही बदतमीजियों को बर्दाश्त करते हुए भी, धीरे – धीरे अपनी प्यार, हंसी, मजाक, डांट, व्यंग, ताना आदि युक्त बेशकीमती जानकारियों से स्टूडेंट की एकदम कायापलट कर दी !
इसलिए ऐसे परोपकारी गुरुओं का बार – बार अपमान करना बहुत घातक हो सकता है क्योकि गुरु तो तुंरत माफ़ कर देतें है लेकिन भगवान माफ़ नहीं करतें हैं जिसके एक सबसे बड़े उदाहरण थे काकभुशुण्डि जी जिनके द्वारा पूर्व जन्म में अपने बेहद परोपकारी गुरु का अपमान होते हुए देख भगवान शिव से रहा नहीं गया और उन्होंने तुरंत उन्हें सांप बन जाने का श्राप दे दिया, लेकिन सांप जैसी कई योनियों से उद्धार होने के बाद जब काकभुशुण्डि जी वापस मनुष्य बने तो फिर से अपने गुरु लोमष ऋषि का अपमान करने लगे जिसकी वजह से उन्हें फिर से कौवा बन जाने का श्राप मिल गया ! अगर काकभुशुण्डि जी ने अपने क्रोध, स्वार्थ, जिद्दीपन जैसी गलत आदतों पर शुरू से ही लगाम लगाया होता तो उनसे ना इतना जघन्य पाप हो पाता और ना ही उन्हें श्राप मिलता जानवरों की योनि में पैदा होने का !
यहाँ पर एक बात रोचक ये भी है कि काकभुशुण्डि जी ने जिन गुरुओं का अपमान किया था उन परम दयालु गुरुओं ने ही काकभुशुण्डि जी की तरफ से भगवान से बार – बार माफ़ी मांगकर भगवान से ये छूट पायी थी कि काकभुशुण्डि जी भले ही चाहे जिस भी जानवर की योनि में जन्म लेंगे लेकिन उनकी बुद्धि मानवों की ही तरह बनी रहेगी ! ऐसा होता है सच्चे गुरु का दिल, जो खुद हजार तकलीफ सहकर भी अपने स्टूडेंट्स की सिर्फ भलाई करने के बारे में ही सोचता है !
इसलिए बृहस्पति ग्रह के सभी अशुभ प्रभावों को ख़त्म करके शुभकारी बनाना हो तो जीवन में ईश्वरीय उपहार स्वरुप मिलने वाले सभी गुरुओं (जैसे- माता, पिता, अन्य आदरणीय अभिवावक, या कोई अजनबी जिसने जीवन के बहुत से भ्रमों को दूर किया हो) का सम्मान करना नहीं भूलना चाहिए !
शुक्र ग्रह- शुक्र ग्रह मुख्यतः शरीर की सुंदरता, यौवन, सुख, विलासिता, रोमांस, दया, करुणा आदि का प्रतीक है ! शुक्र ग्रह की स्थिति अगर कुंडली में शक्तिशाली हो तो व्यक्ति जल्दी बूढा हो ही नहीं सकता है ! आपने अक्सर मीडिया में सुना होगा कि कुछ लोग लगभग 65 – 70 वर्ष की आयु में भी बच्चे पैदा कर लेते हैं तो वो बिना शुक्र ग्रह के सपोर्ट के सम्भव नहीं है ! शुक्र ग्रह ना केवल सुंदर शरीर व अक्षय यौन ऊर्जा प्रदान करता है बल्कि व्यक्ति को बहुत ही ज्यादा दयालु, विनम्र भी बना देता है ! शुक्र अगर कुंडली में ठीक अवस्था में ना हो तो इसे ठीक करने का सबसे आसान तरीका है कि शुक्र ग्रह जैसा व्यवहार करना मतलब यथासम्भव सबसे प्रेम, विनम्रता व सहायता के भाव से बात करना ! इस तरह व्यवहार करने से पहले ही दिन से शुक्र ग्रह शुभ फल देने लगता है और इस सत्य को कई बार “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए ज्योतिष एक्सपर्ट्स द्वारा आजमाकर देखा जा चुका है इसलिए आप भी इसका निश्चित फायदा उठा सकतें हैं !
अगर आज के मॉडर्न साइंस के हिसाब से भी देखें तो शुक्र ग्रह की ऊपर लिखी हुए थ्योरी एकदम सही मालूम होती है क्योकि मॉडर्न साइंस ने भी यह स्वीकारा है कि आजकल तेजी से फैलती असमय नपुंसकता का एक बड़ा कारण क्रोध व तनाव है और प्राप्त जानकारी अनुसार दुनिया में जितने ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने 65 – 70 वर्ष की आयु में भी बच्चे पैदा करने का सामर्थ्य दिखाया है वे सभी बहुत हसमुँख स्वभाव के थे ! यानी खुश रहने से लम्बे समय तक यौन ऊर्जा बरकरार रहती है ! इसके अलावा एक कहावत भी है कि, एक हसमुँख चेहरे से अधिक सुंदर कुछ और नहीं होता है ! इसलिए सुंदर दिखने का सबसे आसान फार्मूला कहा जा सकता है कि यथासम्भव सबसे सिर्फ प्रेम, विनम्रता व ख़ुशी से व्यवहार करना !
शनि ग्रह- शनि ग्रह की आश्चर्यजनक शक्ति के बारे तो लगभग सभी लोग जानतें होंगे लेकिन शनि व मंगल ग्रह में अंतर ये होता है कि किसी व्यक्ति पर मंगल ग्रह का अच्छा/बुरा असर तुरंत होता है जबकि शनि का असर धीरे – धीरे होता है लेकिन होता बहुत जबरदस्त है ! आज विश्व में कई ऐसे कुबेर हैं जिन्होंने सिर्फ शनि के सपोर्ट की वजह से बहुत धन – दौलत, मान – सम्मान कमाया है ! शनि का मुख्यतः वास होता है हर उस व्यक्ति में जो आपकी तुलना में कमजोर है इसलिए आसानी से आपके अत्याचार, ज्यादती, दबंगई, धौंस, मनमानी, अवेहलना का शिकार हो सकता है ! आपकी कुंडली में शनि भले ही चाहे कितनी भी अच्छी अवस्था में बैठे हों, लेकिन यकीन मानिये कि अगर आपकी किसी जानी – अनजानी हरकत की वजह से कोई निर्दोष बार – बार दुखी हो रहा हो तो देर सवेर आप भी शनि महाराज के भयंकर क्रोध का शिकार बनकर ही रहेंगे क्योकि शनि जी न्याय के देवता व दंडाधिकारी हैं ! इसलिए शनि बहुत प्रसन्न होतें हैं जब कोई अपने से कमजोर लोगों की यथासम्भव मदद करता है !
सूर्य ग्रह- सूर्य मुख्यतः व्यक्ति के यश, प्रसिद्धि, आत्मिक दृढ़ता, गर्व, अभिमान, शासनाधिकार आदि का कारक होतें हैं ! सूर्य को सबसे प्रमुख ग्रह माना जाता है इसलिए इन्हे सभी ग्रहों का राजा या पिता भी कहा जाता है ! कुंडली में सूर्य संबंधित दिक्क्त होने पर कई तरह की समस्याएं खासकर बदनामी, अफवाह जैसी तकलीफें झेलनी पड़ सकती है ! सूर्य के सभी बुरे प्रभावों को समाप्त करके, सूर्य को शुभ बनाने का सबसे तेज व आसान उपाय है अपने पिता व पुरुष पूर्वजों (जैसे- दादा, परदादा, नाना, परनाना आदि) की प्रसन्नता के लिए उचित प्रयास करना, जैसे- यथासम्भव अपने पिता का आदर – सत्कार करते हुए उनके हर उचित आदेश का पालन करना ! अपने मृत पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए समय – समय पर पूजा – पाठ करवाना, भोजन – वस्त्र आदि का दान करना आदि ! आपको जानकार आश्चर्य होगा कि हमने कई ऐसे सज्जनो को देखा है जिन्होंने वर्षों बाद पूरे विधिविधान से अपने पितरों का श्राद्ध करवाया तो उनके बहुत से रुके हुए काम अचानक से पूरे हो गए और वर्षों पुरानी किसी बिमारी या समस्या से मुक्ति भी मिल गयी, क्योकि पूर्वजों के आशीर्वाद में प्रबल शक्ति होती है जो असम्भव को भी सम्भव कर सकती है !
इसलिए सिर्फ अपने बीवी – बच्चों के बारे में ही सोचने वाले अदूरदर्शी लोगों को कभी – कभी आँख उठाकर ऊपर आसमान की तरफ भी देख लेना चाहिए कि कैसे उनके जन्मदाता पूर्वज उनकी तरफ प्रेमभरी निगाहों से देखते हुए मानो यह कह रहें हों कि तुम बस एक बार हमारे लिए कुछ प्रयास करने का सच्चा प्रेम तो दिखाओ, फिर देखो हमारे आशीर्वाद से तुम्हारी तकदीर कैसे बदलती है ! ऐसा नहीं है कि आप अपने पूर्वजों के लिए कुछ नहीं करेंगे तो वे आपको आशीर्वाद नहीं देंगे, वे जरूर देंगे, बल्कि रोज अदृश्य रूप में दे ही रहें हैं जैसे आप अपने बच्चों को रोज डांटने – फटकारने के बावजूद भी अदृश्य रूप से शुभकामनाएं देते रहते हैं ! लेकिन जब आपका बच्चा आपके लिए एक ग्लास पानी अपने से लाकर आपका ख्याल रखने का थोड़ा सा भी प्रेम दिखाता है तब आप मन ही मन इतना निहाल हो जातें हैं की तुरंत सोचने लगतें है कि ऐसा क्या अधिक से अधिक आप अपने बच्चे के लिए कर दें जिससे वो खुश हो जाए, ठीक इसी तरह जब आप अपने जीवित व मृत पूर्वजों की ख़ुशी के लिए कोई भी अच्छा काम करतें हैं तो उनकी भी आत्मा निहाल हो जाती है और वो भी सोचतें हैं कि ऐसा क्या आर्शीवाद दे दें कि आप खुश हो जाएँ ! सारांश यही है कि पिता व पुरुष पूर्वजों को खुश करने से सूर्य कितना भी खराब हों, तुरंत शुभकारी फल देने लगतें हैं ! रोज सूर्य नमस्कार करके भी सूर्य ग्रह को प्रसन्न किया जा सकता है !
चन्द्रमा ग्रह- चंद्र ग्रह मन का स्वामी होता है और जैसा की “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने अपने पूर्व के आर्टिकल्स में बताया है कि मन में ही सभी बीमारियों की कंट्रोलर कीज यानी नियंत्रक चाभियाँ छिपी हुई होती हैं इसलिए चन्द्रमा के दूषित होने पर शरीर में बहुत कुछ उपद्रव पैदा हो सकता है ! चन्द्रमा का माता और सभी महिला पूर्वजों (जैसे- दादी, परदादी, नानी, परनानी आदि) में वास माना जाता है, इसलिए घर की इन स्त्रियों का आदर – सम्मान करने चन्द्रमा अशुभ फल की जगह शुभ फल देने लगता है !
राहु ग्रह- राहु एक छाया व पाप ग्रह है इसलिए कभी – कभी लोग इसको कम ताकतवर व सिर्फ बुरा ही समझतें हैं जबकि राहु से कुंडली में बनने वाले कुछ ऐसे योग भी हैं जिनके एक्टिवेट होने पर अचानक एक्सपोनेंशियल ग्रोथ मिलती है ! राहु ऐसी काल्पनिक तकलीफे भी पैदा करता है जिनका वास्तव में कोई वजूद नहीं होता है ! राहु नशे और गलत कामों में इंटरेस्ट पैदा कर सकता है ! षड्यंत्र व कालसर्प दोष जैसे बड़ी समस्याओं को पैदा होने में भी राहु का योगदान होता है ! राहु व शनि में समानताएं भी हैं इसलिए बेवजह कठोर, बुरे लगने वाले शब्दों को बोलना छोड़कर, राहु ग्रह को आसानी से तुरंत शुभ किया जा सकता है !
केतु ग्रह- केतु एक पाप ग्रह है लेकिन बड़ा रहस्यमय भी है ! इसके बुरे प्रभाव से कोई व्यक्ति बहुत झूठा, मायावी, स्वार्थी, धोखेबाज, बेशर्म, मौकापरस्त, क्रोधी व जिद्दी हो सकता है लेकिन केतु जबरदस्त इंट्यूशन पावर भी देता है जिससे व्यक्ति को अक्सर भविष्य में होने वाली घटनाएं या पैरानॉर्मल एक्सपीरियंस अनुभव होतें हैं ! केतु आध्यात्म, वैराग्य व मोक्ष का भी कारक होता है ! राहु और केतु दोनों एक ही राक्षस के शरीर के टुकड़े हैं इसलिए इनमें भी समानता है और दोनों ही ग्रहों के बुरे असर से शरीफ खानदान में पैदा हुआ कोई स्त्री/पुरुष कब एक नीच पापी इंसान बन जाता है यह उसे भी नहीं पता चलता है ! इसलिए शास्त्रों में राहु – केतु दोनों ग्रहों के बुरे असर को समाप्त करने के लिए माँ सरस्वती की नियमित पूजा करने को भी बताया गया है ! माँ सरस्वती की पूजा करने के सबसे आसान तरीको में एक है “जय माँ सरस्वती” का रोज कम से कम 108 बार जप करना, जिसके बारे में “स्वयं बनें गोपाल” समूह पूर्व में भी कई आर्टिकल्स प्रकाशित कर चुका है (जिनके लिंक्स इस आर्टिकल के नीचे दिए गएँ हैं) !
तो इस तरह हम देख सकतें हैं कि हमारे “संयुक्त परिवार का प्रेम” ही हमारे जन्म कुंडली के “सभी ग्रहों को कण्ट्रोल करने की चाभी” है इसलिए इसमें कोई शक ही नहीं है कि लम्बे समय तक सुखी जीवन जीने के लिए परिवार का प्रेमपूर्वक “संयुक्त” बने रहना कितना जरूरी है !
कहने का सारांश यही है कि अनंत वर्ष पुराने सनातन धर्म में यूं ही नहीं “संस्कारी संयुक्त परिवार” को कंपल्सरी बताया गया है बल्कि इसके पीछे कई तरह के जाने – अनजाने फायदे छिपे हुए है इसलिए आज से ही प्रयास करना चाहिए कि अपने “संयुक्त परिवार के प्रेम” नामक “यूनिवर्सल चाभी” द्वारा अपने सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने का, और शुभ प्रभावों को और ज्यादा बढ़ाकर सफलता में चार चाँद लगाने का !
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