सैकड़ो रोगो में फायदा है अर्जुन
अर्जुन एक बहुत शक्तिशाली और बहुउपयोगी पौधा है ! अर्जुन की लगभग 15 प्रजातिया पाई जाती है पर उनमे से एक ही संभवत: ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है ! अगर आपको शुद्ध अर्जुन मिलने में समस्या आये तो आप श्री बाबा रामदेव के पतंजली स्टोर से खरीद सकते है (Baba ramdev patanjali product patanjali arjunarishta arjuna powder Arjuna Herb Heart Health Supplements Divya Arjuna Kwath Ayurvedic Medicine Uses Dose Ingredients)!
अर्जुन में चूने के अंश होने से रक्त स्तम्भक है। कैल्शियम होने से यह रक्त संग्राहक है। आँतों में यह प्रोटीन के साथ मिलकर एक आवरण बनाता है व विषों के प्रभाव से रक्षा करता है ! अर्जुन में हृदय शैथिल्य और उत्तेजक दोनों गुण होने से हृदय रोगों की यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है (Arjuna bark Ayurvedic benefits in Hindi, Terminalia Uses herbal Benefits & Dosage, Arjuna ki chhal or chhal)-
– वातज हृदय रोग में बलामूल चूर्ण एवं अर्जुन चूर्ण को पिप्पली एवं हरीतिकी क्वाथ से या मधु के साथ सेवन करने से लाभ होता है !
– पित्तज हृदय रोग में अर्जुन चूर्ण 3 ग्राम, शतावरी चूर्ण 1 ग्राम, मक्खन / मिश्री से सेवन करें।
– कफज हृदय रोग में इसका चूर्ण पोहकर मूलचूर्ण के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
– त्रिदोषज हृदय रोग में अर्जुन, मुलहठी, पुष्कर मूल, बलामूल चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
– दूध के साथ इसकी जड का चूर्ण सेवन करने से टूटी हड्डी जल्दी जुडती है व चोट के कारण निशान नीले पडे हो तो वह भी जल्दी ठीक होते है।
– इसकी छाल को दूध में पकाकर सेवन करने से समस्त हृदय रोग दूर होते हैं व खून की चर्बी – कोलेस्ट्रोल का स्तर घटता है।
– इसकी छाल का क्वाथ पीने से मूत्र को रोकने के कारण हुई उदावर्त्त, गैस का उपर की ओर चढना मिटता है व मूत्राघात हो तो वह भी दूर होती है।
– विषैले कीटों के दंश पर इसकी छाल का लेप करने से जलन मिटती है।
– तिल के तेल में इसका चूर्ण मिलाकर कुल्ले करने से मुखपाक हटता है।
– इसके पत्तों का रस कान में डालने से कर्णशूल मिटता है।
– इसका क्वाथ पीने से ज्वर छूटता है।
– इसके चूर्ण को मधु में मिलाकर लेप करने से मुख की झाइयाँ मिटती है।
– जल से इसका चूर्ण लेने से पित्त विकार मिटते है।
– दूध से इसका चूर्ण लेने से रक्त पित्त मिटता है व हृदय को मजबूती मिलती है।
– उच्च रक्त दाब में इसका चूर्ण जल / दूध से सेवन अत्यधिक लाभप्रद है।
– इसके एवं यष्टीमधु; मुलहठी चूर्ण को दूध / जल के साथ सेवन करने से हृदय रोग मिटते है। इसके लिए यह उत्तम रसायन है।
– गेहूँ एवं अर्जुन चूर्ण को बकरी के दूध एवं गाय के घृत में पकाकर उसमें मिश्री मिलाकर चाटने से अति उग्र हृदय रोग मिटता है।
– इसके एवं गंगेरण जड की छाल के चूर्ण को दूध से सेवन करने से वायु नाश होता है।
– अर्जुन चूर्ण एवं श्वेत चंदन चूर्ण का क्वाथ लेने से सभी प्रकार की प्रमेह दूर होती है।
– अर्जुन चूर्ण एवं श्वेत चंदन क्वाथ सभी प्रकार के प्रदर – श्वेत या रक्त दूर होते है।
– अर्जुन छाल को दूध में पीसकर मधु मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार मिटता है।
– अर्जुन छाल एवं गंगेरण समभाग लेकर व आधा भाग एरण्ड बीज चूर्ण प्रतिदिन प्रातः सांयकाल बकरी के दूध में डालकर, लगभग 5 ग्राम चूर्ण पकायें। ठण्डा होने पर पिलाने से क्षय रोग मिटता है।
– त्वक चूर्ण, अर्जुनत्वक चूर्ण एवं चावलों का चूर्ण सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है व समस्त प्रकार के त्वचागत रोग मिटते है।
– भृंगराज एवं अर्जुनक्षार दही के पानी के साथ सेवन करने से संग्रहणी में लाभ होता है।
– उडद के आटे में अर्जुन छाल चूर्ण मिलाकर घृत में सेंक कर भैंस के दूध में पकाकर सेवन करने से भस्मक , तीक्ष्णाग्नि मिटती है।
– 2 ग्राम अर्जुन त्वक चूर्ण, 2 ग्राम कडुवा इन्द्र जौ चूर्ण मिलाकर शीतल जल से सेवन करने से तीव्र अतिसार मिटता है।
– पाण्डु रोग में इसके चूर्ण के साथ स्वर्ण माक्षिक भस्म मिलाकर गोमूत्र , कफजन्य में या मिश्रीयुक्त दुग्ध, पित्तजन्य में निम्बपत्र स्वरस, आमलकी स्वरस से सेवन अत्यधिक हितकारी है।
– अर्जुन छाल 3 ग्राम, गुलाब जल 15 मिली, द्राक्षरिष्ट 15 मिली की मात्रा से प्रतिदिन भोजन के पश्चात यदि गर्भवती स्त्री सेवन करें तो उसे बहुत सुंदर सन्तान की प्राप्ति होती है।
– धड़कन होने में अर्जुनत्वक, सफद खैरेटी, बलामूल, गोखरू, जटामासी एवं अश्वगन्धा समान मात्रा में मिलाकर सुबह शाम 2 बार 2-2 ग्राम, दूध से सेवन करने पर उत्तम लाभ होता है।
– टमाटर का रस 250 ग्राम लेकर 3 ग्राम अर्जुन चूर्ण मिलाकर सेवन करने से हृदय की धड़कन ठीक स्थिति में आ जाती है।
(हर मरीज की शारीरिक स्थिति अलग अलग होती है इसलिए कोई नुस्खा प्रयोग करने से चिकित्सक का परामर्श लेना उचित है)
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