जब अपने तुच्छ भक्त की रक्षा के लिए शेरनी की तरह दौड़ पड़ी गाय माँ
आज से मात्र 4 दिन पहले की बात है जब “स्वयं बनें गोपाल” समूह के एक स्वयं सेवक के साथ एक विचित्र घटना घटी ! वैसे तो यह घटना सुनने में कुछ लोगों को साधारण लग सकती है लेकिन उस घटना के प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार यह घटना साधारण नहीं, बल्कि मर्मस्पर्शी थी !
वे स्वयं सेवक अपने लखनऊ शहर स्थित आवास से कार से दूसरे शहर किसी काम से जाने की तैयारी कर रहे थे ! चूंकि उन्हें लम्बी दूरी तय करनी थी इसलिए उन्होंने अपनी बड़ी गाड़ी को ले जाना उचित समझा लेकिन बड़ी गाड़ी को वे कम ही यूज करते थे क्योकि शहर के ट्रैफिक जाम में अक्सर बड़ी गाड़ी से सफर करने में काफी टाइम लग जाता था और अचानक कोरोना वायरस का लॉक डाउन लग जाने की वजह से तो बड़ी गाड़ी 3 महीने से एकदम बंद खड़ी हुई थी ! लेकिन तब भी गाड़ी स्टार्ट करने पर ठीक तरीके से स्टार्ट होकर चल रही थी तो उन्होंने सोचा की गाड़ी ठीक है और वो उससे आराम से यात्रा कर सकते हैं !
उन स्वयं सेवक और उनके पूरे परिवार के मन में गाय माँ के लिए बड़ी श्रद्धा थी और उनके परिवार से जो कुछ सेवा गाय माँ के लिए बन पड़ती थी वे रोज करना भूलते नही थे ! वे अपने घर के सामने से गुजरने वाली कई बेसहारा गाय माँ के लिए भी यथा संभव भोजन पानी की व्यवस्था करते थे ! उस दिन भी जब वो स्वयं सेवक कार से घर से बाहर निकल रहे थे तो एक बेसहारा गाय माँ उनके घर के सामने खड़े होकर, उनके परिवार के द्वारा दिए हुए भोजन सामग्री का सेवन कर रही थी !
जैसे ही वे स्वयं सेवक कार में बैठकर घर से बाहर की तरफ निकले, वैसे ही ना जाने क्या हुआ है कि वो गाय माँ एकदम पागलों की तरह उनकी कार के पीछे – पीछे भागी ! चूंकि उन स्वयं सेवक के कार की रफ्तार तेज थी इसलिए उस समय गाय माँ भी उनके कार के पास जल्दी पहुचने के लिए एक शेरनी की तरह तेजी से दौड़ रही थी !
एक लम्बी चौड़ी गाय माँ को बीच सड़क पर इतनी तेज रफ्तार से दौड़ते हुए देखकर सड़क पर उपस्थित सभी आदमी डर गये थे जिसकी वजह से जिस आदमी को जहा जगह मिली वो वहीं छिपने लगा ! लेकिन कुछ ही देर बाद उन स्वयं सेवक की कार तेज रफ्तार से आगे निकलकर आँखों से ओझल हो गयी तब गाय माँ भी एकदम थककर शांत हो गयी और फिर एकटक स्वयं सेवक के परिवार के उन सदस्यों की तरफ देखने लगी जो स्वयं सेवक को विदा करने के बाद अभी तक अपने घर के दरवाजे पर ही खड़े थे !
स्वयं सेवक के परिवार के सदस्यों को भी गाय माँ का यह अजीब व्यवहार समझ में नही आया लेकिन कुछ ही समय पश्चात उन्हें गाय माँ की इस आतुरता भरी छटपटाहट का मतलब समझ में आ गया जब वो स्वयं सेवक कार के टायर में हवा भरवाने के लिए एक मैकेनिक शॉप पर रुके तो वहां के मैकेनिक ने आश्चर्यचकित होकर पूछा कि अभी तक आपकी कार का एक्सीडेंट कैसे नही हुआ ! मेकैनिक के अनुसार उनकी कार तो बहुत ही खतरनाक स्थिति में पहुँच चुकी थी क्योकि कार की स्टीयरिंग के पास वाला टायर तो कभी भी बाहर निकल सकता था जिससे उनका कभी भी खतरनाक एक्सीडेंट हो सकता था !
तब जाकर उन स्वयं सेवक और उनके परिवार को गाय माँ की व्याकुलता का कारण पता लग सका ! बेचारी बेजुबान गाय माँ ने अपने परम ममतामयी स्वभाववश पूरी कोशिश की थी उन स्वयं सेवक की कार को रोकने की लेकिन जब वो कार को रोक नहीं सकी तो फिर उन गाय माँ ने अपने अदृष्य पर अमोघ आशीर्वाद से उन स्वयं सेवक के प्राणों की रक्षा की !
गाय माँ में किसी बड़ी से बड़ी विपत्ति को हरने की कितनी आश्चर्यजनक क्षमता होती है इसका उदाहरण प्राचीन भारतीय गंथों से भी सुनने को मिलता है, जैसे- सभी जानते हैं कि भगवान शिव की तीसरी आँख की प्रचंड अग्नि जिस पर गिरती है उसे मरने से कोई नही बचा सकता है (यहाँ तक की स्वयं कामदेव भी भगवान शिव की तृतीय नेत्र की अग्नि से जल कर भस्म हो गये थे) लेकिन भगवान् शिव की तीसरे आँख की अग्नि से भी अपने शरण में आये हुए एक देव पुरुष की रक्षा कर चुकी हैं गौ माता, जब वो देव पुरुष अपनी किसी गलती की वजह से भगवान् शिव के क्रोध के भाजन हुए थे !
जब भगवान् शिव के तृतीय नेत्र की अग्नि उन देव पुरुष को भस्म करने के लिए आगे बढ़ी तो फिर पूरे ब्रह्मांड में किसी का भी साहस नही हो सका जो उन देव पुरुष की रक्षा कर सके ! तब वे देव पुरुष तुरंत भागकर गौ माता की शरण में गये थे ! अपने परम ममतामयी स्वभाववश गौ माता ने उन देव पुरुष की रक्षा करना तुरंत स्वीकार कर लिया था और भगवान् शिव के तीसरे आँख की अग्नि का वार खुद अपने शरीर पर झेल लिया था जिसकी वजह से गौ माता का पूरा शरीर काला पड़ गया था और तभी से कपिला गाय (यानी श्यामा गाय) की नस्ल की शुरुआत मानी जाती है ! आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार भी कपिला गाय का दूध सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है ! इसका आध्यात्मिक कारण यही है कि कपिला गाय माँ की नस्ल, भगवान शिव की परम तेजस्वी अग्नि से भी विशेष रूप से शोधित हो चुकी हैं !
ग्रन्थों में गाय माँ को जगत माता का दर्जा क्यों दिया गया है क्योकि एक माँ अपने पुत्र को हर उचित चीज देने में सक्षम होती है (गाय माता केवल एक वर्ष में कैसे हर उचित मनोकामना को पूरी कर सकती हैं व उनके अन्य सैकड़ों शारीरिक व आध्यात्मिक फायदों को जानने के लिए, कृपया नीचे दिए गए आर्टिकल्स के लिंक्स को क्लिक करके पढ़ें) ! श्रीमद् भागवत पुराण में भी लिखा है कि पृथ्वी माँ, जब भगवान नारायण से मिलने के लिए गयी थी तो उस समय उनका रूप एक गाय का ही था !
और अगर हम आज के आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो पायेंगे कि मानवों को जीने के लिए जो दो सबसे आवश्यक चीजें होतीं हैं (शुद्ध भोजन व हवा) वो बिना भारतीय देशी गाय माँ की सहायता के निरंतर प्राप्त होते रहना संभव नही है क्योकि दुनिया में सबसे ज्यादा टोक्सिंस को प्योरिफाई (विष नाश) करने की क्षमता है तो वो है गोबर व गोमूत्र में ! यहाँ तक की दुनिया के सबसे ख़तरनाक व जहरीले माने जाने वाले रेडियोएक्टिव विकिरण को भी जबरदस्त सोखने की क्षमता है गोबर में और इसके इस दुर्लभ गुण की बहुत चर्चा हुई थी जब आज से कुछ वर्ष पूर्व जापान देश के फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में हुई तबाही को कम करने के लिए जापान द्वारा भारत से हजारो टन गाय माँ के गोबर को खरीदने की बात सुनने को मिली थी !
इतना ही नहीं जब खुद ईश्वर को सबसे खतरनाक किस्म का जहर पिला दिया गया था (जब पूतना ने भगवान कृष्ण को जहर पिला दिया था) तो उनको भी तुरंत गोबर से खूब नहलाया गया था ताकि उनके शरीर का सारा जहर बाहर निकल सके !
आज वास्तव में हर आदमी, हर समय जाने अनजाने कई किस्म के खतरनाक केमिकल्स (जैसे- पेस्टीसायिड्स, फ़र्टिलाइजर्स, प्रिजर्वेटिव्स, कॉस्मेटिक्स, डिटर्जेंट, वायुप्रदुषण आदि) को आहार, त्वचा व सांस के माध्यम से अपने शरीर के अंदर डाल रहा होता है जिसकी वजह से आज मानव विभिन्न तरह की खतरनाक बिमारियों से अपने आप ग्रसित होता जा रहा है ! हम भोजन चाहे शाकाहारी करें या मांसहारी सभी में तरह – तरह के केमिकल्स की मिलावट किसी ना किसी तरह से हो ही रही है और यहाँ तक की इलाज के नाम पर जिन एलोपैथिक दवाओं को धड़ल्ले से खिलाया जा रहा हैं उनके भी ना जाने कितने तरह के साइड इफेक्ट्स अलग से होते हैं !
निष्कर्ष यही है कि समस्या चाहे आध्यात्मिक (जैसे- अकाट्य प्रारब्ध) हो या भौतिक (जैसे- विश्वव्यापी भुखमरी को दूर करने के लिए केमिकल्स की अधिकता से एकदम बाँझ हो चुकी जमीन में व्याप्त टोक्सिंस को दूर करके फिर से जमीन को उपजाऊ बनाकर अन्न की पैदावार बढ़ाना या शरीर में व्याप्त टोक्सिंस को दूर करके विभिन्न किस्म की जटिल बीमारियों का प्राकृतिक निदान करना आदि) हो, उन सभी का सबसे सस्ता व सबसे अच्छा समाधान है- भारतीय देशी गाय माता !
इसलिए हम मूर्ख व आत्मघाती मानवों के लिए ईश्वर का साक्षात् वरदान ही हैं गौ माता और हमें इस शाश्वत सत्य को कभी भी नही भूलना चाहिए कि “जब गाय माँ बचेंगी तभी विश्व बचेगा” !
वन्दे मातरम् !
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