यहाँ पर बार बार के सफलता पूर्वक आजमाया हुये नुस्खे के बारे में बताया जा रहा है जो शर्तिया कई तरह के मुंह, दाँतों और गले के रोगों में बहुत फायदा करता है (Ayurvedic...
अर्जुन एक बहुत शक्तिशाली और बहुउपयोगी पौधा है ! अर्जुन की लगभग 15 प्रजातिया पाई जाती है पर उनमे से एक ही संभवत: ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है ! अगर आपको शुद्ध अर्जुन...
बारिश के पानी का कोई चिकित्सकीय लाभ भी हो सकता है ऐसा बहुत से लोगो को बिलकुल नहीं पता। पर हां सावन के महीने की शुरू की चार पांच बारिश के पानी को छोड़कर,...
(भाई राजीव दीक्षित सही मायने में आधुनिक युग के निर्भीक कान्तिकारी थे जिन्होंने कानपुर आई आई टी से M. TECH और अन्य कई बड़े साइंस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बावजूद अपना सुनहरा वर्तमान और...
कैसे खाएँ — खाना बैठकर ही खाएं । कौर को अच्छी तरह चबाएं। मुंह में चबाए गए कौर में लार मिलती है, जो पाचन में सहायक होती है। इससे पाचन सम्बन्धी विकार नहीं होते...
(भाई राजीव दीक्षित सही मायने में आधुनिक युग के निर्भीक कान्तिकारी थे जिन्होंने कानपुर आई आई टी से M. TECH और अन्य कई बड़े साइंस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बावजूद अपना सुनहरा वर्तमान और...
– हर रोज सुबह गुनगुने पानी में नींबू का रस और थोड़ा सा नमक मिला कर सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। – त्रिफला (10 ग्राम) चूर्ण को एक गिलास...
चंदन सम्पूर्ण भारत में पाया जाने वाला वृक्ष है। यह मध्यम श्रेणी का वृक्ष होता है। तथा मुख्यत: ठण्डे व शीतोष्ण प्रदेशों में पाया जाता है, वनस्पति जगत के ‘‘सैण्टेलेसी’’ (SANTALACEAE) ‘‘सैण्टेलम एल्बम’’ (SANTALUM...
झुर्रिया और आँखों के नीचे कालेपन या झाइयाँ होने पर पूरे चेहरे की खूबसूरती को उसी तरह ख़राब करते है जैसे चाँद में दाग ! इनके होने के पीछे कई कारण हो सकते है...
मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ- मासिक धर्म चक्र की अनियमिता की जितनी सभी समस्याएँ है इसकी हमारे आयुर्वेद मे बहुत ही अच्छी और लाभकारी ओषधी है, अशोक के पेड़ के पत्तों की चटनी।...
गलत खानपान और अनियमित दिनचर्या के वजह से यदि पेट की अग्नि किसी कारण से मंद पड़ जाये तो appetite (भूख) लगनी बंद हो जाती है जिससे आदमी leanness or thinness (दुबलेपन) का शिकार...
आयुर्वेद इस भूमण्डल में स्वास्थ्य एवं रोग निवारण के ज्ञान का सर्वप्रथम स्रोत है। वैसे तो यह ज्ञान प्रकृति की उत्पत्ति के साथ ही उत्पन्न हुआ लेकिन इसका नामकरण भगवान धन्वन्तरि जी द्वारा किया...