Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

कहानी – बड़े घर की बेटी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं की कीर्ति-स्तंभ थे। कहते...

लेख – प्रेमतत्त्व – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

प्रेम के स्वरूप का दिग्दर्शन जायसी ने स्थान-स्थान पर किया है। कहीं तो यह स्वरूप लौकिक ही दिखाई पड़ता है और कहीं लोकबंधन से परे। पिछले रूप में प्रेम इस लोक के भीतर अपने...

कहानी – आत्माराम – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रातः से संध्या तक अँगीठी के सामने बैठा हुआ खटखट किया करता था। यह लगातार ध्वनि सुनने के लोग इतने अभ्यस्त हो...

लेख – फुटकल प्रसंग – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

पदमावत के बीच-बीच में बहुत से ऐसे फुटकल प्रसंग भी आए हैं जैसे, दानमहिमा, द्रव्यमहिमा, विनय इत्यादि। ऐसे विषयों के वर्णन को काव्यपद्धति के भीतर करने के लिए कविजन या तो उनके प्रति अनुराग,...

कहानी – दुर्गा का मन्दिर – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बाबू ब्रजनाथ कानून पढ़ने में मग्न थे, और उनके दोनों बच्चे लड़ाई करने में। श्यामा चिल्लाती, कि मुन्नू मेरी गुड़िया नहीं देता। मुन्नू रोता था कि श्यामा ने मेरी मिठाई खा ली। ब्रजनाथ ने...

लेख – अलंकार – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

अधिकतर अलंकारों का विधान सादृश्य के आधार पर होता है। जायसी ने सादृश्यमूलक अलंकारों का ही प्रयोग अधिक किया है। सादृश्य की योजना दो दृष्टियों से की जाती है – स्वरूपबोध के लिए और...

कहानी – फातिहा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

सरकारी अनाथालय से निकलकर मैं सीधा फौज में भरती किया गया। मेरा शरीर हृष्ट-पुष्ट और बलिष्ठ था। साधारण मनुष्यों की अपेक्षा मेरे हाथ-पैर कहीं लम्बे और स्नायुयुक्त थे। मेरी लम्बाई पूरी छह फुट नौ...

लेख – सूक्तियाँ – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

सूक्तियों से मेरा अभिप्राय वैचित्रयपूर्ण उक्तियों से है जिनमें वाक्चातुर्य ही प्रधान होता है। कोई बात यदि नए अनूठे ढंग से कही जाय तो उससे लोगों का बहुत कुछ मनोरंजन हो जाता है, इससे...

कहानी – दो भाई – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

प्रातःकाल सूर्य की सुहावनी सुनहरी धूप में कलावती दोनों बेटों को जाँघों पर बैठा दूध और रोटी खिलाती। केदार बड़ा था, माधव छोटा। दोनों मुँह में कौर लिये, कई पग उछल-कूद कर फिर जाँघों...

कहानी – समुद्र-संतरण (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

क्षितिज में नील जलधि और व्योम का चुम्बन हो रहा है। शान्त प्रदेश में शोभा की लहरियाँ उठ रही है। गोधूली का करुण प्रतिबिम्ब, बेला की बालुकामयी भूमि पर दिगन्त की तीक्षा का आवाहन...

कहानी – महातीर्थ – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मुंशी इंद्रमणि की आमदनी कम थी और खर्च ज्यादा। अपने बच्चे के लिए दाई का खर्च न उठा सकते थे। लेकिन एक तो बच्चे की सेवा-शुश्रूषा की फ़िक्र और दूसरे अपने बराबरवालों से हेठे...

कहानी – अन्तिम प्यार (लेखक – रवींद्रनाथ टैगोर)

आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे थे, ठीक उसी समय योगेश बाबू ने कमरे में प्रवेश किया। योगेश बाबू अच्छे चित्रकार थे, उन्होंने अभी थोड़े...

लेख – काव्य और सृष्टि प्रसार – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

हृदय पर नित्य प्रभाव रखनेवाले रूपों और व्यापारों को भावना के सामने लाकर कविता बाह्य प्रकृति के साथ मनुष्य की अंत:प्रकृति का सामंजस्य घटित करती हुई उसकी भावात्मक सत्ता के प्रसार का प्रयास करती...

कहानी – कैदी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

चौदह साल तक निरन्तर मानसिक वेदना और शारीरिक यातना भोगने के बाद आइवन ओखोटस्क जेल से निकला; पर उस पक्षी की भाँति नहीं, जो शिकारी के पिंजरे से पंखहीन होकर निकला हो बल्कि उस...

लेख – मनुष्यता की उच्च भूमि – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

मनुष्य की चेष्टा और कर्मकलाप से भावों का मूल संबंध निरूपित हो चुका है और यह भी दिखाया जा चुका है कि कविता इन भावों या मनोविकारों के क्षेत्र को विस्तृत करती हुई उनका...

कहानी – दो बैलों की कथा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ है या उसके सीधेपन, उसकी...