Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

कहानी – गृह-नीति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब माँ, बेटे से बहू की शिकायतों का दफ्तर खोल देती है और यह सिलसिला किसी तरह खत्म होते नजर नहीं आता, तो बेटा उकता जाता है और दिन-भर की थकान के कारण कुछ...

कविता – सुआ खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

पदमावति तहँ खेल दुलारी । सुआ मँदिर महँ देखि मजारी॥ कहेसि चलौं जौलहि तन पाँखा । जिउ लै उड़ा ताकि बनडाँखा॥   जाइ परा बा खंड जिउ लीन्हें । मिले पंखि, बहु आदर कीन्हें॥...

कहानी – चमत्कार – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बी.ए. पास करने के बाद चन्द्रप्रकाश को एक टयूशन करने के सिवा और कुछ न सूझा। उसकी माता पहले ही मर चुकी थी, इसी साल पिता का भी देहान्त हो गया और प्रकाश जीवन...

कविता – सिंहलद्वीप वर्णन खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सिंघलद्वीप कथा अब गावौं। औ सो पदमिनि बरनि सुनावौं॥ निरमल दरपन भाँति बिसेखा। जो जेहि रूप सो तैसइ देखा॥   धानि सो दीप जहँ दीपक बारी। औ पदमिनि जो दई सँवारी॥   सात दीप...

कहानी – नया विवाह – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

हमारी देह पुरानी है, लेकिन इसमें सदैव नया रक्त दौड़ता रहता है। नये रक्त के प्रवाह पर ही हमारे जीवन का आधार है। पृथ्वी की इस चिरन्तन व्यवस्था में यह नयापन उसके एक-एक अणु...

कविता – स्तुतिखंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सुमिरौं आदि एक करतारू । जेहि जिउ दीन्ह कीन्ह संसारू॥ कीन्हेसि प्रथम जोति परकासू । कीन्हेसि तेहि पिरीत कैलासू॥   कीन्हेसि अगिनि, पवन, जल खेहा । कीन्हेसि बहुतै रंग उरेहा॥   कीन्हेसि धारती, सरग,...

कहानी – बालक – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

गंगू को लोग ब्राह्मण कहते हैं और वह अपने को ब्राह्मण समझता भी है। मेरे सईस और खिदमतगार मुझे दूर से सलाम करते हैं। गंगू मुझे कभी सलाम नहीं करता। वह शायद मुझसे पालागन...

कविता – मानसरोदक खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

एक दिवस पून्यो तिथि आई । मानसरोदक चली नहाई॥ पदमावति सब सखी बुलाई । जनु फुलवारि सबै चलि आई॥   कोइ चंपा कोइ कुंद सहेली । कोइ सु केत, करना, रस बेली॥   कोइ...

कहानी – नेऊर – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आकाश में चांदी के पहाड़ भाग रहे थे, टकरा रहे थे गले मिल रहें थे, जैसे सूर्य मेघ संग्राम छिड़ा हुआ हो। कभी छाया हो जाती थी कभी तेज धूप चमक उठती थी। बरसात...

कविता – राजा-सुआ संवाद खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

राजै कहा सत्य कहु सूआ । बिनु सत जस सेंवर कर भूआ॥ होइ मुख रात सत्य के बाता । जहाँ सत्य तहँ धारम सँघाता॥   बाँधाो सिहिटि अहै सत केरी । लछिमी अहै सत्य...

कहानी – विश्‍वास – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

उन दिनों मिस जोशी बम्बई सभ्य-समाज की राधिका थी। थी तो वह एक छोटी-सी कन्या-पाठशाला की अध्यापिका पर उसका ठाट-बाट, मान-सम्मान बड़ी-बड़ी धन-रानियों को भी लज्जित करता था। वह एक बड़े महल में रहती...

कविता – रत्नसेन जन्म खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

चित्रासेन चितउर गढ़ राजा । कै गढ़ कोट चित्रा सम साजा॥ तेहि कुल रतनसेन उजियारा । धानि जननी जनमा अस बारा॥   पंडित गुनि सामुद्रिक देखा । देखि रूप औ लखन बिसेखा॥   रतनसेन...

कहानी – जादू – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

नीला तुमने उसे क्यों लिखा ? ‘ ‘मीना क़िसको ? ‘   ‘उसी को ?’   ‘मैं नहीं समझती !’   ‘खूब समझती हो ! जिस आदमी ने मेरा अपमान किया, गली-गली मेरा नाम...

रत्नसेन जन्म खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी की कविता

चितउरगढ़ कर एक बनिजारा । सिंघलदीप चला बैपारा॥ बाम्हन हुत एक निपट भिखारी । सो पुनि चला चलत बैपारी॥   ऋन काहू सन लीन्हेसि काढ़ी । मकु तहँ गए होइ किछु बाढ़ी॥   मारग...

कहानी – मिस पद्मा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कानून में अच्छी सफलता प्राप्त कर लेने के बाद मिस पद्मा को एक नया अनुभव हुआ, वह था जीवन का सूनापन। विवाह को उसने एक अप्राकृतिक बंधन समझा था और निश्चय कर लिया था...

कविता – नागमती सुआ संवाद खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

दिन दस पाँच तहाँ जो भए । राजा कतहुँ अहेरै गए॥ नागमती रुपवंती रानी । सब रनिवास पाट परधाानी॥   कै सिँगार कर दरपन लीन्हा । दरसन देखि गरब जिउ कीन्हा॥   बोलहु सुआ...