Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को
दाननाथ जब अमृतराय के बँगले के पास पहुँचे तो सहसा उनके कदम रुक गए, हाते के अंदर जाते हुए लज्जा आई। अमृतराय अपने मन में क्या कहेंगे? उन्हें यही खयाल होगा कि जब चारों...
संध्या का समय है, डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ से, एक अंग्रेजी ढंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी...
होली का दिन आया। पंडित वसंत कुमार के लिए यह भंग पीने का दिन था। महीनों पहले से भंग मँगवा रखी थी। अपने मित्रों को भंग पीने का नेवता दे चुके थे। सवेरे उठते...
लाला बदरीप्रसाद को दाननाथ का पत्र क्या मिला आघात के साथ ही अपमान भी मिला। वह अमृतराय की लिखावट पहचानते थे। उस पत्र की सारी नम्रता, विनय और प्रण, उस लिपि में लोप हो...
बाबू दाननाथ के स्वभाव में मध्यम न था। वह जिससे मित्रता करते थे, उसके दास बन जाते थे, उसी भाँति जिसका विरोध करते थे, उसे मिट्टी में मिला देना चाहते थे। कई महीने तक...
बड़े बेटे संतकुमार को वकील बना कर, छोटे बेटे साधुकुमार को बी.ए. की डिग्री दिला कर और छोटी लड़की पंकजा के विवाह के लिए स्त्री के हाथों में पाँच हजार रुपए नकद रख कर...
मि.सिन्हा उन आदमियों में हैं जिनका आदर इसलिए होता है कि लोग उनसे डरते हैं उन्हें ेदेखकर सभी आदमी आइए, आइए करते हैं,लेकिन उनके पीठ गेरते ही कहते हैं-बड़ा ही मूजी आदमी है, इसके...
शहर अमीरों के रहने और क्रय-विक्रय का स्थान है। उसके बाहर की भूमि उनके मनोरंजन और विनोद की जगह है। उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएँ और उनके मुकद़मेबाजी के अखाड़े होते...
चंचल प्रकृति बालकों के लिए अंधे विनोद की वस्तु हुआ करते हैं। सूरदास को उनकी निर्दय बाल-क्रीड़ाओं से इतना कष्ट होता था कि वह मुँह-अंधोरे घर से निकल पड़ता और चिराग जलने के बाद...
भैरों पासी अपनी माँ का सपूत बेटा था। यथासाधय उसे आराम से रखने की चेष्टा करता रहता था। इस भय से कि कहीं बहू सास को भूखा न रखे, वह उसकी थाली अपने सामने...
सूरदास के आर्तनाद ने महेंद्रकुमार की ख्याति और प्रतिष्ठा को जड़ से हिला दिया। वह आकाश से बातें करनेवाला कीर्ति-भवन क्षण-भर में धाराशायी हो गया। नगर के लोग उनकी सेवाओं को भूल-से गए। उनके...
मिस्टर जॉन सेवक ने ताहिर अली की मेहनत और ईमानदारी से प्रसन्न होकर खालों पर कुछ कमीशन नियत कर दिया था। इससे अब उनकी आय अच्छी हो गई थी, जिससे मिल के मजदूरों पर...
प्रभु सेवक ने तीन वर्ष अमेरिका में रहकर और हजारों रुपये खर्च करके जो अनुभव और ज्ञान प्राप्त किया था, वह मि. जॉन सेवक ने उनकी संगति से उतने ही महीनों में प्राप्त कर...
चारों आदमी शफाखाने पहुँचे, तो नौ बज चुके थे। आकाश निद्रा में मग्न, ऑंखें बंद किए पड़ा हुआ था, पर पृथ्वी जाग रही थी। भैरों खड़ा सूरदास को पंखा झल रहा था। लोगों को...
ऐसा शायद ही कोई महीना जाता कि अलारक्खी के वेतन से कुछ जुरमाना न कट जाता। कभी-कभी तो उसे ६) के ५) ही मिलते, लेकिन वह सब कुछ सहकर भी सफाई के दारोग़ा मु०...
कल शाम को चौक में दो-चार जरूरी चीजें खरीदने गया था। पंजाबी मेवाफरोशों की दूकानें रास्ते ही में पड़ती हैं। एक दूकान पर बहुत अच्छे रंगदार,गुलाबी सेब सजे हुए नजर आये। जी ललचा उठा।...