Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को
संसार के विस्तीर्ण कर्मक्षेत्र में सब प्राणियों द्वारा अगणित काम प्रतिदिन नहीं, प्रति घंटा, प्रति मिनट, यहाँ तक कि प्रतिपल होते रहते हैं। अच्छे कामों के संपादन में कुछ विशेष गुणों का परिचय, किसी...
साम्यवाद क्या है? संपत्तिवाद के विरुद्ध घोर प्रतिवाद। औद्योगिक क्रांति ने प्राचीन औद्योगिक संगठन को उलट कर उसके स्थान पर अर्वाचीन संपत्तिवाद की नींव डाली। पहले घरों के हाथ से माल तैयार किया जाने...
मेल-मिलाप की बातें करने वाले नेताओं के चरणों में ये सतरें हम निवेदित करते हैं। नेतागण विद्वान हैं। वे तपस्वी हैं। प्रभूत दया, देशप्रेम, सौहार्द और कष्ट-सहन उनके जीवन में ऐसे घुले-मिले हैं जैसे...
जेल के कैदी जेल को जेल और जेल के बाहर के स्थान को ‘दुनिया’ के नाम से पुकारते हैं। इसी प्रकार पहाड़ के रहने वाले लोग अपने देश को ‘पहाड़’ और नीचे के देश...
‘बलिदान केवल बलिदान’ – चित्तौड़ की स्वतंत्रता देवी बलिदान चाहती है। बादल उमड़े थे, बिजलियाँ कड़की थीं और घोर अंधकार छा गया था। अपवित्रता पवित्रता पर कब्जा करना चाहती थी और अनाचार आचार और...
संग्राम-घोर! न्याय और अन्याय का! मनुष्य के सर्वोच्च भावों और उसके सबसे नीचे भावों का। पशुता मनुष्यता के मुकाबले में है। एक ओर विकराल शक्ति और दूसरी ओर सौम्य शान्ति! एक ओर पशु-बल और...
1792 के पहले यूरोप तथा अमेरिका में गुलामों का निर्बाध व्यापार होता था। हब्शियों और नीग्रो लोगों को पकड़-पकड़कर यूरोपियन व्यापारी यूरोप तथा अमेरिका के रईसों और जमींदारों के हाथ बेचा करते थे। इन...
गहरे विश्राम के पश्चात् ‘प्रभा’ आज फिर कार्यक्षेत्र में पर्दापण करती है। उसका पहला वायुमंडल अत्यंत उच्च और सात्विक था। इसकी कल्पना तक हृदय को शुद्ध और ओजपूर्ण भावनाओं की ओर अग्रसर करती है।...
जिन्हें काम करना है, वे गाँवों की तरफ मुड़ें। शहरों में काम हो चुका। शहर के लोगों को उतनी तकलीफ भी नहीं। शहरों में देश की सच्ची आबादी रहती भी नहीं। देश भर में...
जी खोल कर हँसना-बोलना और खुशी मनाना उन्हीं लोगों का काम है जिनके शरीर भले और मन चंगे हों। लेकिन जिनके ऊपर विपत्ति और पतन की घनघोर घटा छाई हो, जिनका घर और बाहर...
अब हालत इतनी नाजुक हो गई है कि बिना जिहाद के काम चलता नहीं दिखाई देता। धर्म का नाम लेकर घृणित पाप के गड्ढे खोदने वालों की संख्या घृणित रक्त-बीज की तरह बढ़ रही...
कानपुर कांग्रेस की समाप्ति के बाद से युक्तप्रांत में, हिंदू सभा द्वारा व्यवस्थापिका सभाओं के आगामी चुनाव लड़े जाने की बात फिर जोर पकड़ रही है। अलीगढ़ की मुस्लिम लीग में मुसलमान नेताओं ने...
अंधकारमय निशा में दूर-दूर तक शुभ्र ज्योत्सना छिटकाने वाली दीपावली की दीपमाला! तेरा और तेरी रश्मियों का स्वागत। स्वागत इसलिये नहीं कि तेरी श्री, श्री की श्री है, संपन्नता की द्योतक और वैभव का...
वर्तमान युग में बड़े बल और वेग के साथ संसार के सामने जनसत्ता की समस्या उपस्थित की है। एक समय था कि लाखों और करोड़ों आदमियों पर केवल एक आदमी की मनमानी हुकूमत चलती...