Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को
हिंदी में पत्रकार-कला के संबंध में कुछ अच्छी पुस्तकों के होने की बहुत आवश्यकता है। मेरे मित्र पंडित विष्णुदत्त शुक्ल ने इस पुस्तक को लिखकर एक आवश्यक काम किया है। शुक्ल जी सिद्धहस्त पत्रकार...
श्रीमन् स्वागताध्यक्ष महोदय, देवियो और सज्जनो, इस स्थान से आपको संबोधित करते हुए मैं अपनी दीनता के भार से दबा-सा जा रहा हूँ। जिन साहित्य के महारथियों से इस स्थान की शोक्षा बढ़ चुकी...
वह आँधी सब जगह आयी, रूस, जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी, टर्की, चीन सब देशों के वन-उपवन उसके झोंके से कंपित हो उठे। प्रजातंत्र की वह आँधी कई देशों में आयी और उसने जनता की छाती...
संसार की स्वाधीनता के विकास का इतिहास उस अमूल्य रक्त से लिखा हुआ है, जिसे संसार के भिन्न-भिन्न भाग के कर्तव्यशील वीर पुरुषों ने स्वत्वों की रणभूमि में करोड़ों मूक और निर्बल प्राणियों की...
मनुष्य के हृदय में यह भाव निरंतर काम किया करता है कि वह दूसरों पर प्रभुता प्रापत करके अपने को सबसे ऊपर रखे। विकास और उन्नति की दृष्टि से यह भाव निंदनीय नहीं है।...
कुछ समय से हमारे अधिकांश नौजवान जिस वातावरण में है, उससे वे संतुष्ट नहीं है। निष्क्रियता में मुर्दों से बाजी लगाने वाले इस देश के युवक इस समय परिवर्तन और क्रांति का उत्साह के...
मेज्जिनी का आदेश ‘हममें से प्रत्येक का कर्तव्य है कि वह अपनी आत्मा को एक देवालय के समान पवित्र बनावे। उससे अहंकार को दूर भगा दे और सच्चे धार्मिक भाव के साथ निज जीवन...
राष्ट्र महलों में नहीं रहता। प्रकृत राष्ट्र के निवास-स्थल वे अगणित झोंपड़े हैं, जो गाँवों और पुरवों में फैले हुए खुले आकाश के देदीप्यमान सूर्य और शीतल चन्द्र और तारागण से प्रकृति का संदेश...
8 अप्रैल से 15 अप्रैल तक देश के कितने ही स्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा का सप्ताह मनाया जायेगा। इन उत्सवों का मतलब यह होगा कि लोग राष्ट्रीय शिक्षा की बात को अच्छी तरह समझें।...
देश में कहीं-कहीं राष्ट्रीयता के भाव को समझने में गहरी और भद्दी भूल की जा रही है। आये दिन हम इस भूल के अनेकों प्रमाण पाते हैं। यदि इस भाव के अर्थ भली-भाँति समझ...
कवि-श्रेष्ठ मिल्टन की उक्ति है कि शान्तिकाल की विजय युद्धकाल की विजयी से कम नहीं होती। हमारा विचार है कि शान्तिकाल की विजय अधिक स्थायी, अधिक गौरवप्रद और अधिक वास्तविक होती है। शान्तिकाल की...
हम अपने लक्ष्य से दूर हटते जा रहे हैं। देश की आजादी का सवाल हमारे सामने है। कुछ समय पहले अधिकांश कार्यकर्ताओं को रात-दिन उसी की धुन थी, परंतु इस समय वे शिथिल हैं।...
वर्तमान युग अधिकारों का युग है। संसार के कोने-कोने से अधिकारों की ध्वनि उठ रही है। अत्याचारों से पीड़ित व्यक्तियों और समूहों से लेकर स्वतंत्र और शक्तिसंपन्न व्यक्तियों और समूहों तक सभी ने वर्तमान...
अनुत्तरदायी? जल्दबाज? अधीर, आदर्शवादी? लुटेरे? डाकू? हत्यारे? अरे, ओ दुनियादार, तू किस नाम से, किस गाली से विभूषित करना चाहता है? वे मस्त हैं। वे दीवाने हैं। वे इस दुनिया के नहीं हैं। वे...
यह वज्रपात है। वज्रपात देश के हृदय-स्थल पर! स्वप्न में भी इस बात का ध्यान न हुआ था कि अचानक ऐसा हो जायेगा। तार पढ़ते हुए भी कुछ क्षण तक यह विश्वास न हुआ...
शिक्षा के अधिक प्रचार से देश को जो बड़ा लाभ हो सकता है, उस पर कुछ कहना-सुनना मानी हुई बातों को दोहराना है। किसी भी उद्देश्य से हो, परंतु इस बात को स्वीकार करना...