Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को
पूजा-पाठ आजकल का एक ढंग यह भी है कि पहले तो हमारे मन की जितनी बातें नहीं हैं, उनको हम मानना नहीं चाहते, और यदि किसी कारण से हमको उन्हें मानना पड़ता है, तो...
तन्त्र यन्त्र मैं समझता हँ इस ग्रन्थ के पढ़नेवालों में कितने लोग ऐसे होंगे, जो तन्त्र का नाम पढ़ते ही मुँह बना लेंगे और ग्रन्थ को अपने हाथ से दूर फेंक दें, तो भी...
मृत्यु का भय मृत्यु क्या है? यह आप लोगों ने समझ लिया। जैसा हमें बतलाया गया है, उससे पाया जाता है कि मृत्यु कोई ऐसी वस्तु नहीं है, कि जिससे कोई डरे। यह सच...
मृत्यु का प्रभाव संसार में आज जो अमन दिखलाई पड़ रहा है, धुली हुई चाँदनी सी शान्ति जो चारों ओर छिटकी हुई है। जब आप यह जानेंगे कि इसमें सबसे अधिक श्रेय मृत्यु का...
नरक स्वर्ग के साथ नरक के विषय में तेरहवें सर्ग में बहुत सी बातें लिखी जा चुकी हैं। जैसे स्वर्ग के विषय में भूतल के समस्त ग्रन्थ एक राय हैं, और उसके अस्तित्व को...
जन्मान्तर वाद पुनर्जन्म का सिद्धान्त आर्य जाति की उच्च कोटि की मननशीलता का परिणाम है। इसीलिए चाहे सनातन धर्म हो, चाहे बौद्ध धर्म उनमें पुनर्जन्म वाद स्वीकृत है। अन्य धर्मों अर्थात् ईसवी, मुसल्मान, और...
संसार क्या है? प्रकृति का क्रीड़ा स्थल, रहस्य निकेतन, अद्भुत व्यापार समूह का आलय, कलितकार्य कलाप का केतन, ललित का लीलामन्दिर, विविध विभूति अवलम्बन, विचित्र चित्र का चित्रपट, अलौकिक कला का कल आकर, भव्य-भाव...
प्रिय विचारशील एवं विवेचक महाशय, ‘चार’ शब्द से आशा है कि आप भली-भाँति परिचय रखते होंगे और समाचार, दुराचार, अत्याचार, अनाचार, सदाचार, शिष्टाचार, आचार, उपचार, प्रचार, विचार, उचार, अचार इत्यादि पदों के अन्त में...
महाराज भोज की गणना भारतवर्षीय प्रधान दानियों में होती है। वे अपने समय के धन-कुबेर तो थे ही, दानि-शिरोमणि भी थे। यदि वे मुर्तिमन्त दान थे तो उनकी धारानगरी दानधारा-तरंगिणी थी। हृदय इतना उदार...
यह कैसे कहा जा सकता है कि भारत के आधार से ही भगवान भूतनाथ की कल्पना हुई है। वे असंख्य ब्रह्माण्डाधिपति और समस्त सृष्टि के अधीश्वर हैं। उनके रोम-रोम में भारत जैसे करोड़ों प्रदेश...
चंदा मामा, दौड़े आओ दूध कटोरा भरकर लाओ। उसे प्यार से मुझे पिलाओ मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ। मैं तेरा मृग छौना लूँगा उसके साथ हँसूँ-खेलूँगा। उसकी उछल-कूद देखूँगा उसको चाटूँगा, चूमूँगा।
मनुष्य को कभी-कभी ऐसा कार्य हाथ में लेना पड़ता है, जिसमें उसकी स्वाभाविक प्रवृत्तिा नहीं होती, अब मैं एक ऐसा ही विषय हाथ में ले रहा हूँ, जिस पर मैं कुछ लिखना नहीं चाहता...
अशोक में फिर फूल आ गए है। इन छोटे-छोटे, लाल-लाल पुष्पों के मनोहर स्तबकों में कैसा मोहन भाव है। बहुत सोच समझकर कंदर्प देवता ने लाखों मनोहर पुष्पों को छोड़कर सिर्फ पाँच को ही...