वास्तव में “स्वयं बनें गोपाल” समूह के हर एक आर्टिकल के पीछे, इससे जुड़े स्वयं सेवकों का कितना हार्ड रिसर्च वर्क छिपा हुआ रहता है, इसका पता तब चलता है जब इसमें दी गयी...
बड़ा ही सीधा सा सिद्धांत है कि जब तक किसी समस्या का “कारण” (reason) मौजूद है तब तक उस समस्या से परमानेंट मुक्ति कैसे मिल सकती है ! जैसे जिस कील की वजह से...
भगवान् शिव की भक्ति का पवित्र समय चल रहा है और भक्त गण अपने घरों व मंदिरों में रुद्राभिषेक का आयोजन कर रहें हैं ! भगवान शिव की महिमा को तो अब विदेशी वैज्ञानिकों...
(“स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े एक स्वयं सेवक की सत्य आत्मकथा)- आज से लगभग 8 – 9 वर्ष पूर्व, कंपनी के जर्मनी हेडक्वाटर के नित्य बदलते फैसले की वजह से अचानक कुछ महीने...
अन्धे होने पर भी सर्व शास्त्र पारंगत- आर्य समाज के स्थापक नैष्ठिक ब्रह्मचारी स्वामी दयानन्द जी के गुरु प्रज्ञाचक्षु स्वामी श्री विरजानन्द जी सरस्वती ने अनेक कष्टï सहते हुए तीन वर्ष तक गंगा तीर...
श्री पं. रामस्वरुप जी चाचोदिया, राठ का कहना है सामान्यतया मनुष्य तत्काल के लाभ को देखता है। तात्कालिक लोभ के लिए वह भविष्य की भारी हानि का खतरा भी उठाता है। इसके विपरीत यदि...
श्री भूरेलाल जी वैद्य, हर्रई लिखते हैं कि पं. नर्मदाप्रसाद शास्त्री भदरस कानपुर के रहने वाले उद्ण्ट विद्यावान भाग्यवश हर्रई (जागीर) के राम मन्दिर में आकर पुजारी हो गये थे, ईश्वर कृपा से उनके...
शा. मोड़कमल केजड़ीवाल, कलकत्ता लिखते हैं कि जोधपुर राज्य के एक गाँव में हमारी जन्मभूमि है। हिन्दी मिडिल पास करने के बाद पास के गाँव में प्राइमरी स्कूल का अध्यापक हो गया। 12 रु....
श्री शंभूचरण विश्वनोई, वीरपुर लिखते हैं कि हमारे पिता जी बड़े चतुर और बुद्घिमान थे। उन्होने अपने हाथों लगभग दस लाख की सम्पत्ति कमाई थी। जमींदारी, देन-लेन, घी और गल्ले का व्यापार तथा और...
श्री लक्ष्मीनारायण श्रीवास्तव वकील कनकुआ लिखते हैं कि एक वर्ष के पहले मुझे साढ़े साती आया था । जिस काम में हाथ डालता था, उसी में हानि दृष्टिïगोचर होती थी । हानि पर हानि...
श्री बामन जी तरुड़कार ,बेतूल लिखते हैं कि मेरे पिताजी गायत्री के अनन्य भक्त हैं। उनका अधिकांश समय गायत्री उपासना में जाता है। 24 लक्ष का अनुष्ठान कर चुके हैं और सवा करोड़ की...
श्री बैजनाथ भाई रामजी भाई गुलारे का कहना है कि गायत्री की पूजा में धर्म और अर्थ दोनों का लाभ है, इसलिए दूसरी पूजाओं के बजाय मुझे यही अधिक प्रिय है। गायत्री की मैंने...
पं. शंभूप्रसाद मिश्र, हृदयनगर, कहते हैं कि मुझे अनुभव है कि मेरे इष्ट वेदमाता ने मेरे बड़े-बड़े हानि-लाभ के कार्यों में स्वप्नों में ही दिग्दर्शन कराके आने वाली विपत्ति से रक्षा की और शुभ...
पं. लक्ष्मीनथा झा व्याकरण साहित्याचार्य, झॉंसी लिखते हैं कि यह सेवक मिथिल के चौमथ ग्राम वास्तव्य राज ज्योतिषी पंडित प्रकाण्ड श्रीयुक्त कृपालु झा का लक्ष्मीकान्त झा नामक पुत्र है। यह यज्ञोपवीत संस्कार के अनन्तर...
श्री बसन्त कुमार गौड़, देहरादून, लिखते हैं कि पिछले वर्ष मेरी अच्छी पढ़ाई नहीं हो पाई थी। तीन बार मास्टर बदले। हर एक ने अपने-अपने ढंग से पढ़ाया। मन भी अच्छी तरह न लगा।...
पं. पूजा मिश्र, ठोरी बाजार, लिखते हैं कि हमारे यहाँ एक बड़े प्रसिद्घ महात्मा हो गए हैं। इनका असली नाम तो मालूम नहीं, पर उनको परमहंस जी कहा जाता था। ये भूमिहार ब्राहम्ण थे।...