श्री गोकुलचन्द सक्सेना, खडग़पुर, लिखते हैं कि हमारे लोको दफ्तर के हैडक्लर्क और सुपरिटेण्डेण्ट से एक बार मेरी गरमा-गरम बहस हो गई। आपस में अशिष्ठ और अवांछनीय शब्दों का भी प्रयोग हो गया। उस...
श्री विनोद बिहारी गर्ग, विशनगढ़ का कहना है कि आजकल शहरों में बच्चों की सुरक्षा भी एक पेचीदा समस्या है। लड़के स्कूल में पढऩे जाते हैं, वहां कोई जन्मजात दुष्ट प्रकृति के ऐसे लड़के...
चौधरी अमरसिंह जी, इन्दौरा लिखते हैं कि अन्य साधनाओं की अपेक्षा मैं गायत्री मंत्र को इस वास्ते महव देता हूं कि जब मैं इस साधन के पूर्व अन्य प्रणालियां से साधना करता रहा तो...
श्रीमती चन्द्रकान्ता जेरथ बी.ए. दिल्ली लिखतीं हैं कि मुझे बचपन से ही गायत्री मन्त्र सिखाया गया था सो स्नान के बाद इसका 108 बार उच्चारण करने का स्वभाव हो गया था। पिता जी से...
पं. राधेश्याम शर्मा पोस्ट मास्टर दीक्षितपुरा लिखते हैं कि जब से मैंने गायत्री माता की शरण ली, तब से मेरा जीवन उत्तरोत्तर उन्नतशील दृष्टिïगोचर होता है। पहले की अपेक्षा मुझे अपने स्वभाव में पर्याप्त...
प्रभूदयाल शर्मा, संपादक सनादय-जीवन लिखते हैं कि मेरे बड़े पुत्र की स्त्री को कई वर्ष तक एक प्रेतात्मा लग गई थी। उससे उसे बड़ा कष्ट होता था। बार-बार बेहोश हो जाती थी। उसे कभी...
पं० बालचरण मिश्र, नसरुल्लाह गंज, लिखते हैं कि मेरे पिता जो इटावा जिले के निवासी थे श्री गायत्री के पक्के उपासक थे। प्रात: काल 4 बजे उठकर शौच क्रिया स्नान आदि के बाद सन्ध्या...
श्री शोभाराम गाप, शंकरपुर, लिखते हैं कि हमारा भतीजा राम किशोर बड़े उत्साही स्वभाव का था। सब कामों में आगे रहता था। साथियों को पहलवानी करने का शौक हुआ तो वह भी अखाडें जाने...
श्री प्रहद चन्द गोयल, भाखरी, लिखते हैं कि मेरे लड़के चि. लालचन्द का शरीर 16 वर्ष की आयु तक बिल्कुल स्वस्थ रहा उसमें कोई रोग या खराबी न थी, पर इसके बाद उसे चर्म...
श्री हरमानभाई पटेल, सदनपुरा, लिखते हैं कि गायत्री माता द्वारा उपार्जित शक्ति का मैंने प्रथम बार उपयोग किया और वह बहुत ही सफल रहा। मेरे बड़े भाई डाहभाई के पेट में कुछ दिन पूर्व...