100 परसेंट गारंटी जीवन नरक बनाने की
अगर कोई आदमी किसी बर्तन में पानी भरे और उस बर्तन में छेद हो तो उस बर्तन में पानी कैसे टिक सकता है ? वह आदमी चाहे कितने बार भी प्रयास कर ले उसकी मेहनत, बेकार और समय की बर्बादी है, ठीक उसी तरह अपने माता पिता और अपने से बड़ो का अपमान करके, हमेशा सुखी रहने के बारे में सोचना भी केवल मूर्खता है |
कोई आदमी कितनी भी मेहनत करके खूब रूपया पैसा इकठ्ठा करके सोच ले की वो पूरी जिंदगी आराम सुख चैन से बिताएगा पर अगर उस आदमी के कर्मो से उसके माता पिता दुखी हों तो 100 परसेंट जान लीजिये की उसके माता पिता का दुःख उसके खुशियों के बर्तन में छेद की तरह काम करेगा और उस बर्तन में कभी खुशिया जमा होने ही नहीं देंगा |
माता पिता जितना ज्यादा बूढ़े, कमजोर और लाचार होते जाते है उतना ज्यादा उनके श्राप और आशीर्वाद में ताकत बढ़ती जाती है |
नयी जनरेशन के बहुत से लोगो को पता ही नहीं कि हमारे धर्म ग्रंथो में माता पिता को भगवान से भी बढ़कर बताया गया है। माता पिता अच्छे हो या बुरे, स्वस्थ हो या बीमार हर हाल में उनकी सेवा सहायता करना ही चाहिए।
आजकल के माता पिता को भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे उन्हें उनके बच्चो के आगे शर्मिन्दा होना पड़े और जो मा बाप अपने बच्चे को तामसिक खाना मांस – मदिरा का सेवन कराते है वो कभी भूल कर भी इस गलत फहमी में ना रहे की उनका लड़का बड़ा होकर उनका ख्याल रखेगा | ऐसे तामसिक खाना खाकर बड़े हुए लड़के सिर्फ अपने फायदे और स्वार्थ के लिए अपने मा बाप का इस्तेमाल करते है और मतलब पूरा होने पर छोड़ देते है ।
जो बच्चे अपने माता पिता के साथ हर समय झगड़ा लड़ाई या उनका अपमान करते है, अपनी बीवी के वश में आकर अपने बूढ़े कमजोर माता पिता का ख्याल रखना छोड़ देते है या दिखावटी, आधा – अधूरा ख्याल रखते है या अपनी नौकरी या बिज़नेस की वजह से समय की कमी बताते हुए सही से ख्याल नहीं रखते वो लड़के 100 % गारंटी है की अपनी जिंदगी में कभी – कभी – कभी खुश रह ही नहीं सकते है।
ऐसी औलाद कुछ देर के लिए दुनिया के नजर में खुश दिख सकती है पर उन्हें अन्दर ही अन्दर हमेशा बेचैनी और तनाव निश्चित ही बना रहता है क्योकी जिसने अपने मा बाप का दिल दुखाया उसने सारे देवता और भगवान का दिल दुखाया है और जिसने मा बाप के दिल को ख़ुशी पहुचाई उसने बिना किसी पूजा – पाठ – व्रत – तीर्थ स्नान – मंदिर दर्शन के सारे देवता और भगवान को खुश कर दिया |
मा बाप का रोज – रोज दिल से ख्याल करने वाले ऐसे महान व्यक्ति पर चाहे कितनी बड़ी से बड़ी विपत्ती पड़ जाय वो हमेशा अन्त में उस खतरे से सुरक्षित बच ही जाते है |
अगर माँ बाप के अन्दर कोई बुराई भी हो तो, प्रेम से और बेहद समझदारी से उस बुराई को ख़त्म करने के लिए उन्हें समझाना चाहिए जिससे उनके दिल को ठेस ना पहुचे |
अपने औलाद के मुह से निकली मामूली सी भी कड़वी जबान मा बाप के दिल को बहुत दर्द पहुचाती है इसलिए औलाद अगर अपने जीवन में सुख चाहता है तो माँ बाप को हमेशा खुश रखने की कोशिश करे और अगर अपने जीवन को नरक बनाना चाहता है तो माँ बाप की परवाह करना छोड़ दे !
कृपया हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे यूट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे एक्स (ट्विटर) पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे ऐप (App) को इंस्टाल करने के लिए यहाँ क्लिक करें
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !