बिना किसी विशेष परहेज व दवा के, 121 दिनों में डायबिटिज में जबरदस्त फायदा पहुचाने वाला बेहद आसान तरीका
“स्वयं बनें गोपाल” समूह के मूर्धन्य शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गए इस बेहद आसान तरीके से, ना जाने अब तक कितने ही डायबिटिज (Diabetes) के मरीजों ने अपनी समस्या में जबरदस्त आराम महसूस किया है !
इस तरीके को जानने से पहले यह जानना जरुरी है कि इस तरीके को प्रयोग करने से स्थायी लाभ, 121 दिनों के बाद से ही मिलना शुरू होगा जबकि उससे पहले शूगर लेवल में अक्सर उतार – चढ़ाव देखने को मिल सकता है, इसलिए जिन लोगों में बिना धैर्य खोये हुए 121 दिनों तक लगातार इस प्रयोग को करने का सामर्थ्य हो, सिर्फ वही इस प्रयोग को करें !
मुख्यतः इस प्रयोग में 3 काम करने पडतें हैं जिनमें से 2 काम के बारे में तो लगभग सभी लोग जानतें हैं कि उन्हें करने से शूगर लेवल नियंत्रित होता है जबकि तीसरे काम के बारे में बहुत ही कम लोग जानतें हैं कि उसे करने से भी शूगर लेवल पर कितना जबरदस्त पॉजिटिव असर पड़ता है !
इन तरीको को अपनाने से हाई शूगर लेवल के ऐसे मरीज जिनका फास्टिंग ब्लड शूगर लेवल (Fasting Blood Sugar Level; मतलब सुबह खाली पेट शूगर का लेवल) दवाओं को लेने के बावजूद भी 400 mg/dL से ऊपर पहुच चुका था, उन्हें भी 121 दिनों में 75 mg/dL तक पहुंचते हुए देखा गया है इसलिए बहुत से शूगर के मरीज इस पूरी प्रक्रिया को अपने जीवन के लिए वरदान स्वरुप मानतें हैं !
तो वे 3 बेहद आसान काम इस प्रकार हैं-
(पहला काम)- रोज ये पांच योगासन करना– सबसे पहले 20 मिनट कपालभाति प्राणायाम करना, फिर 10 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम करना, तत्पश्चात 5 बार मंडूकासन करना, फिर 5 बार ताड़ासन करना और अंत में 5 बार महाबंध लगाना !
चूंकि इन सभी योगासन को करते समय पेट खाली होना चाहिए इसलिए सबसे अच्छा है कि इन सभी योगासनों को सुबह खाली पेट ही किया जाए !
और अगर सुबह करने का समय ना मिल पाता हो तो शाम या रात में भी किया जा सकता है पर ध्यान रहे कि इन योगासनों को करने के कम से कम 3 घंटे पहले ही कोई ठोस भोजन खाया गया हो और कम से कम आधा घंटे पहले कोई लिक्विड पिया गया हो (वैसे तो आम तौर पर 4 से 5 घंटे ठोस पदार्थ और 1 घंटे लिक्विड पदार्थ के लिए रुकने की सलाह दी जाती है पर शूगर के मरीज को अधिक देर तक भूखे रहने में दिक्कत हो सकती है) !
अगर आपको हृदय रोग हो तो कपालभाति धीरे – धीरे करना चाहिए ! गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए !
(दूसरा काम)- रोज कम से कम आधा घंटा टहलना या किसी अन्य तरह की हार्ड एक्सरसाइज (जैसे- जिम, अखाड़ा आदि) करना– टहलना एक ऐसी आसान एक्सरसाइज है जिसे हर कोई कर सकता है पर अगर आपके शरीर में कोई विशेष दिक्कत (जैसे- हृदय रोग, 6 महीने के अंदर हुये किसी ऑपरेशन का कोई घाव, गर्भावस्था, वृद्धावस्था की समस्याएं आदि) ना हो तो आपको इतना तेज टहलना चाहिए कि पूरा शरीर पसीने से नहा जाए !
अगर किसी युवा को टहलना पसंद ना हो तो वो जिम, अखाड़ा या प्लेग्राउंड में जाकर भी कम से कम आधा घंटा ऐसी एक्सरसाइज करे या खेल खेले (जैसे- फुटबाल, क्रिकेट, बैडमिन्टन आदि) कि उसका पूरा शरीर पसीने से नहा जाए (ध्यान रहे कि योगासन या हार्ड एक्सरसाइज को पहले ही दिन ज्यादा नहीं कर लेना चाहिए क्योकि इससे शरीर को नुकसान पहुच सकता है इसलिए इसका समय रोज धीरे – धीरे अपनी क्षमता अनुसार बढ़ाना चाहिए) !
अगर टहलने का काम रोज सुबह ठीक सूर्योदय के समय हो तो सबसे अच्छा होता है क्योकि कुछ ही दिनों में इसकी वजह से रात में इतनी ज्यादा गहरी नीद आने लगती है कि शरीर के सभी हार्मोंसे बैलेंस होने लगतें हैं जिससे अपने आप कई बीमारियों में लाभ मिलने लगता है !
(तीसरा काम)- रोज कम से कम 121 बार और अधिक से अधिक 1089 बार माँ दुर्गा के इस मन्त्र का जप करना- “ भुवनेशी माम् पाहि ”
इस तीसरे कार्य अर्थात माँ दुर्गा के इस मन्त्र (भुवनेशी माम् पाहि) के जप से प्राचीन काल में ऋषि मुनियों ने बड़े – बड़े रोगों, बाधाओं व समस्याओं का नाश किया है और आज के युग में “स्वयं बनें गोपाल” समूह के शोधकर्ताओं ने जब – जब इस मन्त्र का प्रयोग, बेहद खतरनाक माने जाने वाली बिमारियों में से एक डायबिटीज के इलाज के लिए किया है तब – तब आश्चर्यजनक लाभ मिलते हुए देखा है !
वास्तव में “स्वयं बनें गोपाल” समूह का सदा से यही सिद्धांत रहा है कि बड़ी मेहनत व रिसर्च से एकत्र की गयी बेशकीमती दुर्लभ जानकारियों को मुफ्त में अधिक से अधिक आम जनमानस की भलाई के लिए उपलब्ध कराना और शायद हमारे स्वयं सेवकों के इसी निरंतर परिश्रम का नतीजा है कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह पर परम आदरणीय गो माता, ऋषि सत्ता और आप सभी का अति मूल्यवान प्रेम व आशीर्वाद दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है !
चूंकि यह मन्त्र (भुवनेशी माम् पाहि) संस्कृत में हैं इसलिए इसके जप करते समय उच्चारण और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए !
इस मन्त्र को शुरुआत में मन में जपने से गलत उच्चारण होने की संभावना बनी रहती है इसलिए इसका उच्चारण कुछ दिनों तक मुंह से बोलकर करना चाहिए ! इस मन्त्र को बिना किसी माला के सिर्फ उंगलियों (अर्थात कर माला) की सहायता से भी रोज कम से कम 121 बार और अधिक से अधिक 1089 बार जप सकतें हैं !
अगर जपने से पहले नहाने या कपड़े बदलने की सुविधा उपलब्ध नहीं हो तो 3 बार “जय माँ गंगा” बोल लेना चाहिए जिससे शरीर, कपड़े व आसन की अशुद्धता समाप्त हो जाती है (पर जूते चप्पल पहनकर या चमड़े की बेल्ट – लेदर जैकेट पहनकर या लेदर कुर्सी पर बैठकर नहीं जपना चाहिए ! जूठे मुंह, शौचालय में या किसी अन्य अपवित्र काम को करते हुए नहीं जपना चाहिए ! पर बेहद बीमार या कमजोर मरीज अशुद्ध अवस्था में भी जप सकतें है) !
माँ दुर्गा के इस संस्कृत मन्त्र (भुवनेशी माम् पाहि) का हिंदी में अर्थ यही है कि “हे सभी भुवनों (अर्थात पूरे ब्रह्मांड) की अधीश्वरी मेरी रक्षा करिए” ! इस मन्त्र का जप करने से शरीर के लिए हानिकारक सभी तत्वों (चाहे वे किसी भी बिमारी के विषाणु हों या भाग्य में लिखी कोई मुसीबत) के प्रति शरीर व भाग्य की भी प्रतिरोधक क्षमता बढती जाती है जिससे शरीर रोज पहले से ज्यादा स्वस्थ, मजबूत, सुखी व सौभाग्यशाली होने लगता है !
वास्तव में दुर्गा देवी कोई और नहीं है बल्कि हम सभी जीवों के शरीर में वास करने वाली हमारी निराकार आत्मा ही हैं (क्योकि आत्मा; परमात्मा की ही स्वरुप होकर अमर व अविनाशी है) जिन्हें समझने की आसानी के लिए उनके साकार रूप सिंहवाहिनी देवी के रूप में ध्यान किया जाता है !
हर मानव में वास करने वाली आत्मा चूंकि निराकार होती है पर हम अल्प बुद्धि वाले मानव किसी बिना रूप वाले का ध्यान कैसे कर सकतें है, अतः इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए ऋषियों मुनियों ने अथक मेहनत तपस्या करके उस निराकार आत्मा को बारम्बार प्रसन्न किया जिसकी वजह से परमात्मा स्वरुप आत्मा ने कभी दुर्गा का साकार रूप धारण किया तो कभी शिव का, कभी लक्ष्मी का तो कभी नारायण का ! हर साकार रूप के अलग – अलग लाभ हैं जिनके बारे में आगामी लेखों में प्रकाशन होगा !
माँ दुर्गा का यह मन्त्र रोग नाश में कितना जबरदस्त लाभ पहुचाता है यह कोई भी स्त्री/पुरुष इस मन्त्र का जप करके निश्चित महसूस कर सकता है !
यह सुनकर आप लोगों को आश्चर्य होगा कि कई लोगों ने “स्वयं बनें गोपाल” समूह से अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया है कि वे देवी दुर्गा के इस मन्त्र (भुवनेशी माम् पाहि) का जप तो अपने परलोक को सुधारने के लिए कर रहे थे पर ना जाने कब उनका शूगर लेवल भी नार्मल हो गया उन्हें खुद भी नहीं पता चला !
असल में “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने अपने पूर्व के लेखों में यह बार – बार खुलासा किया है कि शरीर की हर बिमारी को ठीक करने की कंट्रोलर कीज (नियंत्रक चाभियाँ) मानव मस्तिष्क में ही छुपी हुई होती हैं और जिन्हें एक्टिवेट (जागृत) करने के लिए विभिन्न मानव अपनी रूचि अनुसार विभिन्न योगों {जैसे- हठयोग के अभ्यासों- आसन प्राणायाम ध्यान आदि, राजयोग के अभ्यास- प्राण उर्जा चिकित्सा, कर्मयोग के अभ्यासों- माता पिता बड़े भाई बहन व गरीबों मानवों तथा बेसहारा जीव जंतुओं आदि की सेवा, भक्ति योग के अभ्यास- जप पूजा पाठ आदि) का सहारा लेतें रहतें हैं !
माँ दुर्गा के इस मन्त्र का जप भक्ति योग का ही एक महा शक्तिशाली तरीका है और इसका जप मात्र डायबिटिज के लिए ही नहीं बल्कि सभी शारीरिक रोगों व मानसिक समस्याओं (जैसे- स्ट्रेस, डिप्रेशन, डर, गुस्सा, चिडचिडापन, बेचैनी, घबराहट आदि) में भी बेहद फायदेमंद है !
वैसे तो मन्त्र बहुत से हैं और हो सकता है उनमें से कई मन्त्र डायबिटिज के लिए भी बहुत फायदेमंद हों पर जहाँ तक हमारे अनुभव की बात है हमने हर बार डायबिटिज पर इस मन्त्र (भुवनेशी माम् पाहि) का जबरदस्त सकारात्मक प्रभाव देखा है वो भी 121 दिनों में !
अतः “स्वयं बनें गोपाल” इस लेख को पढ़ने वाले सभी मधुमेह के रोगियों से यही निवेदन करता है कि पूरे जोश से इस प्रयोग को कम से कम 121 दिनों के लिए अवश्य करके देखें !
इसमें 121 दिनों का रहस्य यह है कि प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में कुछ निश्चित दिनों के अंतराल के बारे में व्याख्या दी गयी है (जैसे- 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 9 दिन, 11 दिन, 18 दिन, 21 दिन, 27 दिन, 40 दिन, 54 दिन, 108 दिन, 121 दिन, 1 वर्ष, 1089 दिन, 1331 दिन, 5 वर्ष, 11 वर्ष आदि) ! ग्रन्थों के अनुसार ऊपर दिए गए दिनों के अंतराल तक किसी भी योग का ठीक तरह से अभ्यास करने पर शरीर पर ऐसा निश्चित प्रभाव पड़ता है जिसे स्पष्ट तौर पर महसूस किया जा सकता है ! अर्थात ये दिनों के अंतराल सफलता के माईल स्टोन (milestone, मील के पत्थर) की तरह हैं ! मतलब जितने ज्यादा दिनों के माईल स्टोन तक योग अभ्यास किया जाए उतना ही ज्यादा लाभ स्पष्ट देखने को मिलता है !
इस पूरी प्रक्रिया में खाने पीने का कोई विशेष परहेज नहीं है मतलब घर का बना हुआ लगभग सभी खाद्य पदार्थ संतुलित मात्रा में खाया पीया जा सकता है !
अगर आप शूगर की कोई दवा (चाहे वो एलोपैथिक हो या होम्योपैथिक हो या आयुर्वेदिक) पहले से ले रहें हों तो उसे लेतें रहें और जब 121 दिन बाद आपको आराम मिलना शुरू हो जाए तो चिकित्सक की सलाह से दवा की मात्रा धीरे – धीरे कम करते हुए बंद कर दें !
हमेशा याद रखें कि दुनिया की कोई भी बिमारी ऐसी नहीं हो सकती है जिसे कभी ठीक ही नहीं किया जा सकता हो, इसलिए किसी भी डॉक्टर द्वारा किसी भी बिमारी के बारे में यह सलाह देना गलत है; कि यह बिमारी कभी भी ठीक हो ही नहीं सकती और इसके लिए जीवन भर दवा खाना ही होगा !
वास्तव में किसी भी कठिन से कठिन बिमारी को निश्चित हराया जा सकता है निम्नलिखित तीन बातों को ध्यान में रखकर- (1)- सही इलाज का चुनाव, (2)- उचित परहेजों को करना, (3)- बिमारी को हराने के लिए बिना निराश हुए लगातार प्रयास करने का साहस होना !
इस प्रयोग में मुख्य परहेज है तामसिक भोजन (जैसे- मांस, मछली, अंडा, शराब, सिगरेट, तम्बाखू, बियर, गुटखा आदि) का पूरी तरह से त्याग करना, क्योकि इन तामसिक भोजन को लेते रहने पर, इस सात्विक उपाय से किसी भी तरह के लाभ को मिल पाने की उम्मीद करना बेकार है !
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