लिवर, आंत, ह्रदय, किडनी, मूत्रांग, ब्रेन, फेफड़ा, पैंक्रियाज, थायराइड, आँख, बाल, दांत, मसूढ़े, गर्दन, कान, पीठ, गुदा, घुटना, कमर, हड्डियां, त्वचा आदि को स्वस्थ करने के बेहद आसान व प्रभावी उपाय
किसी बिमारी की वजह से या एलोपैथिक दवाओं के लम्बे सेवन की वजह से शरीर के किसी अंग में कोई समस्या पैदा हो गयी हो तो निम्नलिखित नेचुरल तरीकों को आजमाने से कई बार बहुत लाभ मिलते हुए देखा गया है ! ऐसे मौके पर निम्नलिखित नेचुरल तरीकों को भी एलोपैथिक दवाओं के साथ – साथ ले चलने पर संबंधित अंगों को फिर से मजबूत किया जा सकता है जिससे एलोपैथिक दवाओं का कोर्स (इलाज) बिना किसी दिक्क्त के पूरा हो सके ! आईये जानते हैं सभी अंगों से संबंधित नेचुरल इलाजों के बारे में-
लिवर- यह शरीर का सबसे मजबूत अंगो में से एक होता है लेकिन हमारी वर्षों से चली आ रही गलत खान – पान व रहन – सहन की आदतों की वजह से मजबूत लीवर भी असमय कमजोर होने लगता है, जिससे भूख नहीं लगती है, थोड़ा सा भी गरिष्ठ या हैवी खाना खाते ही इनडाइजेशन, उल्टी, लूज मोशन जैसी कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं !
लिवर को मजबूत करने का एक सबसे बेहतरीन उपाय है आयुर्वेदिक औषधि- “सर्वकल्प क्वाथ” ! यह इतनी जबरदस्त दवा है कि इससे बड़ी से बड़ी पीलिया को भी मात्र 15 दिनों से लेकर 1 महीने में ही पूरी तरह से ठीक होते हुए देखा गया है ! यह लिवर की लगभग हर तरह की बिमारी की आश्चर्यजनक दवा है ! सर्वकल्प क्वाथ इन तीन औषधियों से मिलकर बना हुआ होता है- पुनर्नवा, भूमिआंवला, मकोय ! आप चाहें तो खुद घर पर सर्वकल्प क्वाथ को बना सकतें हैं या मार्केट में इसे शुद्ध रूप में श्री बाबा रामदेव के पतंजलि सेंटर से भी खरीद सकतें हैं (Yoga Guru Baba Ramdev center Patanjali Divya Sarvakalp Kwath) !
सर्वकल्प क्वाथ का नाम “सर्व कल्प” क्यों हैं, क्योकि यह “सर्व” यानी पूरे शरीर का “कल्प” यानी कायाकल्प करने की क्षमता रखता है इसलिए स्वस्थ आदमी भी इसे एक महीने के लिए रोज सेवन करके अपने शरीर को और ज्यादा स्वस्थ व मजबूत कर सकता है ! इस क्वाथ का असर ना केवल लिवर पर बल्कि शरीर के हर अंग पर अच्छा पड़ता है क्योकि यह शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन्स को भी बाहर निकालने में मदद करता है इसलिए इसे एक शक्तिशाली इम्युनिटी बूस्टर (Immunity Booster) भी कहा जा सकता है ! चिकित्सकीय परामर्शनुसार इसे छोटे बच्चों को भी उनकी उम्र के हिसाब से देने से, भूख ना लगने की समस्या व कब्ज में लाभ मिलता है जिससे बच्चों का वजन व लम्बाई दोनों बढ़ने में मदद मिलती है !
सर्वकल्प क्वाथ को मरीज को देने के लिए सबसे पहले लगभग डेढ़ ग्लास पानी में 1 चम्मच क्वाथ को डालकर तब तक आग में उबालें जब तक सिर्फ आधा ग्लास पानी बचे ! फिर उस आधा ग्लास पानी को छानकर, ठंडा करके मरीज को सुबह – शाम खाली पेट पीने के लिए दें !
“स्वयं बनें गोपाल” समूह ने लिवर ठीक करने के लिए आज तक सर्वकल्प क्वाथ से तेज और शतिकशाली कोई और औषधि नहीं देखी है लेकिन हो सकता है कि कुछ मरीज इसके कड़वे स्वाद की वजह से इसे पी ना सकें तो वे मरीज बाबा रामदेव के द्वारा ही बनाई गयी अन्य औषधि- “लिव अमृत टैबलेट” (2 – 2 गोली सुबह – शाम) या “लिव अमृत सिरप” (2 – 2 चम्मच सुबह – शाम) भी ले सकतें हैं !
अगर लिवर की स्थिति ज्यादा खराब हो गयी हो तो जल्दी आराम के लिए चिकित्सक के परामर्श अनुसार सर्वकल्प क्वाथ के साथ – साथ लिव अमृत टैबलेट व लिव अमृत सिरप भी दिया जा सकता है !
आंत- आँतों की कार्यक्षमता बढ़ाने व आँतों के सभी रोगों को दूर करने के लिए “वज्रासन” से बढ़कर कुछ और नहीं है ! वज्रासन ही एकमात्र आसान है जिसे खाने के तुरंत बाद किया जा सकता है ! आँतों से संबधित सभी रोगों के इलाज के लिए सबसे अच्छा होता है कि दोनों मुख्य भोजन (अर्थात लंच व डिनर) के बाद आधा – आधा घंटा वज्रासन में बैठा जाए !
वज्रासन ना केवल आंत, बल्कि शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगो (जैसे- लिवर, हार्ट, लंग्स, यूरिन ऑर्गन, एनस, ब्रेन, किडनी, स्पाइन आदि) पर अच्छा असर डालता है जिसे पहले ही दिन से थोड़ा – बहुत निश्चित महसूस किया जा सकता है ! अगर आप वृद्ध, कमजोर या गठिया के मरीज हैं तो वज्रासन में पहले ही दिन आधा घंटा बैठने की कोशिश ना करें, बल्कि धीरे – धीरे अपना अभ्यास बढ़ाएं !
वज्रासन के अलावा अंकुरित अनाज (जैसे- अंकुरित चना, मूंग, गेंहू आदि) भी आंतो के नवीनीकरण में अच्छी भूमिका अदा करता है (खाने के आधे घंटे पहले से लेकर, खाने के 1 घंटे बाद तक सिर्फ 1 – 2 घूँट पानी ही पीना चाहिए और दिन भर में जब भी पानी पीएं एक बार में एक ग्लास से ज्यादा पानी ना पीएं, नहीं तो गैस बन सकती है) !
ह्रदय- हार्ट के लगभग सभी रोगों में “नौकासन” से जबरदस्त लाभ मिलते हुए देखा गया है ! नौकासन दिखने में भले ही एकदम साधारण क्रिया लगती हो लेकिन हमने इसका हार्ट पर इतना जबरदस्त असर देखा है कि धड़कन महसूस करने वाले मरीजों को मात्र 3 दिन में ही इससे आराम मिल गया है ! लेकिन ज्यादा बूढ़े लोग को नौकासन लगाने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है इसलिए वे आराम से सीधे बैठकर धीरे – धीरे कोई भी अपना मनपसंद प्राणायाम कर सकतें है क्योकि लगभग सभी प्राणायाम का बहुत ही अच्छा असर पड़ता है हार्ट के सभी फंक्शंस पर (अनुलोम – विलोम प्राणायाम को सीधे लेटकर भी किया जा सकता है) !
अपनी उचित क्षमतानुसार महाबंध या सिर्फ उड्डीयन बंध लगाने से भी हृदय रोगों में पहले ही दिन से लाभ मिलना शुरू हो सकता है ! अर्जुन पेड़ की छाल व अन्य महत्वपूर्ण औषधियों के मिश्रण से बनी दवाओं को भी चिकित्सकीय परामर्श अनुसार सेवन किया जा सकता है ! लो ब्लड प्रेशर की अनुभूत दवा है रोज सुबह लहसुन की 2 कच्ची कलियों को बासी मुंह चबा कर खा जाना या पानी से निगल जाना और हाई ब्लड प्रेशर के लिए बाबा रामदेव की “मुक्तावटी” शर्तिया फायदेमंद है ! हार्ट की ब्लॉकेज या वाल्व की खराबी आदि जैसी लगभग सभी समस्यों में नौकासन के अलावा कपालभाति प्राणायाम से तेज लाभ पहुचाता है ! हृदय के लिए सबसे बढियाँ टॉनिक है अधिक से अधिक हँसना ! सभी प्राणायाम व बंध को करने का तरीका जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- जानिये हर प्राणायाम को करने की विधि
किडनी- किडनी की बीमारियों के लिए नीम व तुलसी की 7 ताज़ी पत्तियों को पीसकर सुबह खाली पेट पीने से बहुत लाभ मिलता है ! इससे हर तरह के बुखार का भी नाश होता है ! चंद्रप्रभा वटी इसकी एक प्रसिद्ध दवा है जिसे चिकित्सक के परामर्श अनुसार लिया जा सकता है ! किडनी के बारे में “स्वयं बनें गोपाल” समूह पूर्व में भी एक विस्तृत आर्टिकल प्रकाशित कर चुका है जिसे पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- कुछ विशेष योगासन व प्राणायाम से अपनी किडनी को फेल होने से बचाईये
मूत्रांग- अगर किसी कारण से पेशाब रूक रही हो तो पतंजलि “पुनर्नवादि मंडूर” से जबरदस्त फायदा मिलता है ! यह दवा अकेले जलोदर (Ascites) तक को ठीक करने की क्षमता रखती है ! पेशाब ज्यादा हो रही हो तो नमक – पानी का घोल पिलाकर पेशाब रोका जा सकता है ! पेशाब का ज्यादा होना भी ठीक नहीं है क्योकि इससे जीवनदायी तत्व शरीर से बाहर निकलने लगता है जिससे बाल झड़ना, शारीरिक ताकत – आँख की रौशनी व याद्दाश्त की कमजोरी होना, सांस लेने में भारीपन होना आदि समस्या हो सकती है ! चंद्रप्रभा वटी का भी पूरे मूत्रांग पर अच्छा असर पड़ता है !
जननांग- जननांग की कार्यक्षमता में कमी, लापरवाही भरी दिनचर्या (जैसे- रेग्युलर हार्ड फिजिकल वर्क ना करना, पौष्टिक खाना छोड़कर मार्केट के जंक फ़ूड खाना, नशा करना आदि) की वजह से हुई हो या किसी गन्दी आदत की वजह से हुई हो, लगभग सभी में जबरदस्त फायदा पहुंचाता है- “वज्रासन” (वज्रासन का नाम “वज्र – आसन” इसलिए भी पड़ा है क्योकि ये शरीर को वज्र के समान मजबूत, शक्तिशाली बनाने की क्षमता रखता है) !
कई लोगों ने जब अपने पेट के रोगों को दूर करने के लिए वज्रासन को रोज आधा – आधा घंटा, दोपहर व रात में खाने के बाद किया, तो उन्होंने गौर किया कि उनकी पेट की समस्याओं (जैसे- गैस, अपच, एसिडिटी, दर्द, खट्टी डकार, अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि) के साथ – साथ, उनके जननांग की कार्यक्षमता में भी मात्र 3 दिन से लेकर 1 हफ्ते में ही स्पष्ट रूप से अपने आप सुधार हुआ है !
नपुंसकता के हर मरीज को सूर्योदय के समय मॉनिंग वाक व योग जरूर करना चाहिए क्योकि कई बार देखा गया है कि घोर नपुंसकता से पीला निस्तेज पड़ चुका चेहरा भी सूर्योदय की रौशनी में योगाभ्यास करने से लालिमा युक्त सुंदर हो जाता है ! वास्तव में भगवान सूर्य के प्रकाश के कण, केवल उजाला पैदा करने के माध्यम नहीं होतें हैं बल्कि अमृत समान पोषण लिए हुए “पासवर्ड प्रोटेक्टेड टिफिन बॉक्स” की तरह होतें हैं जिनसे अमृत तुल्य भोजन को बाहर निकाल कर खाने का सबसे आसान तरीका है योग, और इसी सूर्य प्रकाश में छिपे अमृत तुल्य भोजन के भरोसे हजारो सालों से कितने ही गुप्त योगी (जिनके दर्शन अब तक कई श्रद्धालु कर चुके हैं) हिमालय के बर्फ के निर्जन पहाड़ पर बिना कुछ खाये – पीये हुए जिन्दा हैं !
ब्रेन- कोई भी मस्तिष्क रोग (जैसे- डिप्रेशन, बाइपोलर डिसआर्डर, शिजोफ्रेनिआ, अनिद्रा, अकारण डर – चिंता महसूस होना, एंग्जायटी, अल्जाइमर, साईकोपन – पागलपन आदि) हो जाए या किसी एलोपैथिक दवा के साइड इफ़ेक्ट से ब्रेन की सेन्स करने की क्षमता कमजोर महसूस हो तो लगभग सभी परिस्थितियों में देवी सरस्वती का यह नाम जप- “जय माँ सरस्वती” बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है ! इसे मरीज खुद अपने लिए कर सकता है या उसका कोई हितैषी उसके लिए कर सकता है (इस नाम जप को करने का विस्तृत तरीका व लाभ जानने के लिए कृपया इस आर्टिकल के नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें) !
ब्रेन की कार्यक्षमता को दुरुस्त करने में योग की “ज्ञान मुद्रा” से भी निश्चित लाभ मिलता है जिसके बारे में विस्तार से जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा प्रकाशित यह आर्टिकल पढ़ें- लकवा, पागलपन, घबराहट, डर, स्ट्रेस, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस आदि सभी मानसिक रोगो में गारन्टीड फायदा देगी यह मुद्रा
इसके अतिरिक्त ब्रेन के लिए कुछ दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधियां भी काफी मददगार साबित होतीं हैं जैसे- ब्राह्मी, शंखपुष्पी, बच आदि ! चूंकि लुप्त होती इन औषधियों का अब शुद्ध रूप में हर जगह मिलना मुश्किल है इसलिए इन्हे भी शुद्ध रूप में पतंजलि सेंटर से “मेधा वटी” के नाम से खरीदा जा सकता है ! ब्रेन टॉनिक के तौर पर पतंजलि “च्यवनप्राश” (ठंड के मौसम में) और “अमृत रसायन” (गर्मी के मौसम में) का भी लाभ कई बार देखा व आजमाया गया है !
फेफड़ा- फेफड़े की ज्यादातर समस्याएं धूम्रपान करने वालों को होती हैं ! फेफड़ों की समस्या होने पर मरीज छोटी – छोटी सांस ले पाता है इसलिए भस्त्रिका प्राणायाम का धीरे – धीरे अभ्यास करने से फेफड़ों की समस्या में सबसे तेज लाभ मिलते हुए देखा गया है ! पर अगर भस्त्रिका करने में दिक्क्त हो तो सबसे आसान प्राणायाम यानी अनुलोम – विलोम प्राणायाम करके भी फेफड़ों को निश्चित तौर पर पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है ! प्राप्त जानकारी अनुसार फेफड़े प्राण वायु से ही हील अप होतें हैं इसलिए प्राणायाम में गहरी सांस लेने से पूरे फेफड़ों की मरम्मत होने लगती है और फेफड़े फिर से नए जैसे बनने लग सकते हैं !
पैंक्रियाज- डायबिटिज के मरीजों में खाना खाने के बाद बढ़ने वाली शूगर को कण्ट्रोल करने में निश्चित तौर पर बहुत मदद करता है वज्रासन ! वज्रासन का नियमित अभ्यास पूरे पाचन तंत्र को सुधारता है जिससे खाना – पीना अच्छे से पचकर शूगर लेवल नियंत्रित होता है ! वज्रासन के अलावा “मंडूकासन” व “मयूरासन” भी अत्यंत फायदेमंद है डायबिटिज में !
सभी जीवों में मयूर अर्थात मोर पक्षी प्रसिद्ध है अपनी प्रचंड पाचन शक्ति के लिए क्योकि ये दुनिया के सबसे जहरीले सांप किंग कोबरा (जिसके एक बार डसने में 20 आदमियों को मारने की ताकत होती है) को भी आसानी से पचा लेता है इसलिए मयूरासन का रोज पर्याप्त मात्रा में अभ्यास करने वाले के शरीर में डायबिटिज बिमारी ज्यादा दिनों तक रह ही नहीं सकती है ! मयूरासन को कर पाना कठिन जरूर है लेकिन “जहाँ चाह वहां राह” इसलिए धीरे – धीरे अभ्यास करके मयूरासन को हर कोई कर सकता है !
डायबिटिज के लिए “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने पूर्व में भी एक आश्चर्यजनक रूप से फायदेमंद आर्टिकल प्रकाशित किया था जिसे पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- बिना किसी विशेष परहेज व दवा के, 121 दिनों में डायबिटिज में जबरदस्त फायदा पहुचाने वाला बेहद आसान तरीका या इसी आर्टिकल को यूट्यूब वीडियो के रूप में देखने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- sugar ka ilaj || diabetes treatment in Ayurveda
थायराइड- वैसे तो थायराइड की समस्या में मार्जरासन, सिंहासन व उज्जायी प्राणायाम से जल्दी लाभ मिलता है लेकिन हमने अपने अनुभव से जाना है कि थायराइड की समस्या से परमानेंट मुक्ति तब तक नहीं मिल सकती है जब तक कि दिनचर्या में जाने – अनजाने होने वाले कुछ बेहद हानिकारक काम (जैसे- रोज देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना, रोज उचित शारीरिक मेहनत ना करना, रोज पौष्टिक भोजन ना करना, बहुत ज्यादा तनाव लेना या दुखी रहना, नशा करना आदि) पूरी तरह से बंद नहीं कर दिए जाते (हर तरह के नशे की आदत को जल्दी छुड़वाने का बेहद आसान तरीका जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- नशे की लत छुड़ाने का सबसे आसान तरीका) !
आँख- आँखों से संबंधित सभी समस्याओं के आसान नेचुरल इलाज जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा प्रकाशित यह आर्टिकल पढ़ें- जानिये कैसे, आँख के इलाज से ही मुफ्त में ठीक हो गया घुटना और कमर भी
बाल- बालों से संबंधित सभी समस्याओं के आसान नेचुरल इलाज जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा प्रकाशित यह आर्टिकल पढ़ें- गंजे सिर पर बाल उगाने और सफ़ेद बालों का काला कर सकने में सक्षम
दांत- दांतों से संबंधित सभी समस्याओं के आसान नेचुरल इलाज जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा प्रकाशित यह आर्टिकल पढ़ें- दांत दर्द, दांत सड़ना के जबरदस्त प्राकृतिक इलाज
मसूढ़े- मसूढ़े से संबंधित सभी समस्याओं के आसान नेचुरल इलाज जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा प्रकाशित यह आर्टिकल पढ़ें- बिना कोई दवा खाए 1 महिने में मसूढ़े की कई बिमारियों में जबरदस्त आराम
गर्दन- लम्बे समय तक कोई बीमार होकर लेटा रहे तो गर्दन की जकड़न या सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (cervical spondylosis) आदि की वजह से सिर दर्द या चक्कर आदि की समस्या हो सकती है जिसमें “ब्रह्म मुद्रा” लगाने से बहुत लाभ मिल सकता है जिसके बारे में जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- हस्त मुद्राऐं और उनके लाभ
कान- कान का बहना, बहरापन, कम सुनाई देना, कान में दर्द इत्यादि कान के विभिन्न रोगों में फायदेमंद है “शून्य मुद्रा” जिसको करने का तरीका जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- हस्त मुद्राऐं और उनके लाभ
पीठ- पीठ की लगभग सभी तरह की समस्याओं में चार योगासन बहुत फायदा पहुचातें हैं- सर्पासन, शलभासन, पवनमुक्तासन व ताड़ासन ! इन चारो आसन को रोज सुबह खाली पेट 5 से 10 बार करने पर पीठ की तकलीफों में आराम मिलता है और रीढ़ से जुड़े सारे फंक्शन सही काम करने लग सकतें हैं (रीढ़ की समस्या होने पर इन आसनो को करने से पहले योग्य चिकित्सक से परामर्श लेना ना भूलें) ! सभी योगासनों को करने का तरीका जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- जानिये हर योगासन को करने की विधि
गुदा- दवाओं की गर्मी से बवासीर (Piles) जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं और पेशाब में भी जलन हो सकती है ! पेशाब की जलन मिटाने के लिए तो पानी ज्यादा पीना चाहिए और हो सके तो नारियल का पानी या गोमूत्र पीना चाहिए (इससे पेट की अम्लीयता या गर्मी भी शांत होती है जिससे पाइल्स के दर्द में भी राहत मिलती है) ! बवासीर में राहत पाने के लिए ध्यान देना होगा कि कब्ज बिल्कुल ना होने पाए और ज्यादा देर तक एक ही जगह बैठे ना रहें मतलब थोड़ी – थोड़ी देर पर या तो टहल लें या लेट जाएँ ! कब्ज से मुक्ति पाने के लिए कृपया हमारा यह आर्टिकल पढ़ें- सारी बिमारियों की जड़ कब्ज का परमानेंट आयुर्वेदिक इलाज
घुटना, कमर, हड्डियां व त्वचा- वास्तव में शरीर के इन सभी अवयवों से संबंधित लगभग सभी तकलीफों में हमने सबसे ज्यादा लाभ मिलते हुए देखा है तो सिर्फ एक साधारण काम से और वो काम है सुबह सूर्य की रोशनी में बैठकर पूरे शरीर की किसी भी तेल (सरसों, नारियल आदि) या देशी गाय माँ के घी से विधिवत आधा घंटे तक मालिश करने से !
मालिश इतना चमत्कारी इलाज है कि कई बार हमने देखा है कि मात्र 1 महीने तक रोज विधिवत मालिश करने से बूढ़े मरीजों की भी 10 से 30 प्रतिशत तक झुर्रियां गायब हो गयी हैं (जो कि शायद आज उपलब्ध किसी महंगे से महंगे इलाज या मेकअप से भी सम्भव नहीं है) और साथ ही साथ मरीजों की शारीरिक ताकत में भी काफी इजाफा हुआ (हड्डियों में विटामिन D व कैल्शियम का लेवल भी नार्मल हो गया है) ! इसलिए अगर चिर यौवन व ताकत चाहिए तो रोज नहाने से पहले कम से कम 5 – 10 मिनट के लिए ही सही पर मालिश करना बिल्कुल मत भूलिए !
तो ये रहा सभी महत्वपूर्ण अंगो को स्वस्थ करने का बेहद आसान व प्रभावी उपाय, आईये अब आपको बतातें है इनसे जुड़े हुए कुछ बेहद महत्वपूर्ण व उदाहरण स्वरुप घटनाक्रम जो अनिश्चितता व अनहोनी से भरी इस जिंदगी में कभी भी, किसी के लिए भी प्राण रक्षक साबित हो सकतें हैं !
आपको जानकर शायद आश्चर्य होगा कि कुछ ऐसे मरीज जो हॉस्पिटल में भर्ती होने के बावजूद भी अपना इलाज ठीक से करवा नहीं पा रहे थे क्योकि एलोपैथिक दवाएं उन्हें रियेक्ट कर जा रही थी (खासकर वाइटल ऑर्गन्स जैसे- लिवर, हार्ट, फेफड़ों के लिए बहुत समस्या पैदा कर रही थी) तो उन्हें हमारे द्वारा बताये गए उपर्युक्त तरीकों से इतना लाभ मिला कि उनका आधा – अधूरा अर्थात आंशिक रूप से रुका हुआ एलोपैथिक ट्रीटमेन्ट का कोर्स अंततः सफलतापूर्वक पूरा हो सका और वो अपनी बीमारी से मुक्त हो सके ! हमारा परामर्श था मुख्यतः वाइटल ऑर्गन्स को पूरे एलोपैथिक ट्रीटमेंट के दौरान, निम्नलिखित नेचुरल तरीके से मजबूत रखने के लिए-
(1) लिवर को स्वस्थ रखने के लिए सर्वकल्प क्वाथ का सेवन रोज सुबह – शाम करना ! किडनी के लिए नीम – तुलसी का मिश्रण देना (आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक परामर्श अनुसार चंद्रप्रभा वटी देना) !
(2) हार्ट व फेफड़ों (पूरा श्वसन तंत्र व हीमोग्लोबिन) के फंक्शन्स को सही रखने के लिए यथासम्भव बेड पर ही सीधे लेटकर या बैठकर धीरे – धीरे अनुलोम विलोम प्राणायाम को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा तक रोज सुबह – शाम करना (हर मरीज की शारीरिक दशा व परिस्थितियां अलग – अलग हो सकतीं हैं, इसलिए कोई मरीज किसी योगासन व प्राणायाम का अभ्यास तथा किसी भी दवा का सेवन कर सकता है या नहीं, इसका निर्णय हमेशा संबंधित योग्य चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही करना चाहिए) !
(3) बेड पर ज्यादातर समय लेटे रहने से बॉडी में ब्लड सर्कुलशन सही से ना हो पाने की वजह से शरीर के अंगो (खासकर हार्ट से दूर स्थित अंग जैसे पैर के पंजों) में सुन्नपन, कमजोरी व बेड सोर (bed sore) आदि जैसी अक्सर हो जाने वाली तकलीफों को रोकने के लिए, मरीज के परिवार के सदस्यों द्वारा मरीज के शरीर की 10 मिनट से लेकर आधा घंटा तक सुबह – शाम, हल्की – हल्की मालिश करवाना (हॉस्पिटलाइज्ड मरीज की मालिश बिना तेल के भी हो सकती है और इस मालिश में केवल हथेलियों से शरीर के हर अंग पर धीरे – धीरे सहलाना होता है ताकि ब्लड फ्लो उचित तरीके से बना रहे ! मरीज अगर खुद सक्षम हो तो उसे खाली टाइम में अपने शरीर के हर अंग पर बारी – बारी हाथ से सहलाते रहना चाहिए जिससे बहुत फायदा मिलता है) !
(4) बड़ी बीमारियों का इलाज अक्सर लम्बा चलता है जिसमे मरीज अक्सर निराशा, नकारात्मक भावनाएं (कभी – कभी आत्महत्या का भाव भी) से परेशान हो जातें हैं जिसमें किसी के भी समझाने से कुछ ख़ास फायदा नहीं मिलता है इसलिए ऐसे मरीजों को खुद या उनके परिवार के सदस्यों को मरीज के लिए रोज कम से कम 108 बार “जय माँ सरस्वती” का जप करना (जिससे मन में बीमारी से हार जाने की जगह, बीमारी को हरा देने का जज्बा बना रहे; आत्महत्या से क्या वाकई में सभी तकलीफों से तुरंत मुक्ति मिलती है, यह जानने के लिए कृपया हमारा यह लेख पढ़ें- अगर आप भी आत्महत्या को सभी मुश्किलों का अंत समझते हों तो, कृपया यह लेख जरूर पढ़ें) !
वैसे किसी भी रोग को ठीक करने के लिए एलोपैथिक इलाज ही एकमात्र विकल्प नहीं है, क्योकि ये शाश्वत सत्य है कि दुनिया में कोई भी ऐसा रोग नहीं है जिसे योग – आयुर्वेद जैसे एबसॉल्यूट नेचुरल तरीके से ठीक ना किया जा सके, इसलिए बस जरूरत है योग – आयुर्वेद के सही जानकार से मुलाक़ात होने की !
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